मंदिर में सहज और सरल बनकर आना चाहिए,ज्ञान – ध्यान और तप में लीन वाले गुरु पूज्यनीय और प्रशंसनीय है –मुनिश्री सानंद सागर मुनिराजजब तक मानवता समझ में नहीं आएगी तब तक धर्म समझ नहीं आ सकता- मुनिश्री प्रवर सागर जी
आष्टा। ज्ञान, ध्यान और तप में लीन वाले गुरु पूज्यनीय और प्रशंसनीय है।आचार्य समंतभद्र स्वामी ने बताया गुरु कौन और कैसे होते हैं,आपने गुरु का स्वरुप बताया। आचार्य समंतभद्र स्वामी…