आष्टा। संसार पर दृष्टि पढ़ती है तो लगता है कि वही सुखी है जिन्होंने मोक्ष फल प्राप्त कर लिया है।आष्टा नगरी नहीं मधुवन लग रहा है। आदिनाथ भगवान की प्रतिमा देखकर मन बहुत प्रफुल्लित हुआ।जिस नगरी में त्यागी- तपस्वियों का सम्मान होता है वह साधारण नगरी नहीं तीर्थ नगरी है।आष्टा में शब्दों का नहीं भाव व पुण्य का उदय है। तीन प्रकार का पुण्य होता है। विशेष पुण्य का उदय है जो मुनिराज के प्रवेश व धर्म सभा में उपस्थित हैं।

पुण्य का संग्रह करना आसान नहीं पाप का संग्रह करना आसान है। भरत चक्रवर्ती ने पुत्र का मुख नहीं देखा वे भगवान के मोक्ष कल्याणक की सूचना पर वहां गए।जब दो दिगंबर साधु मिलते हैं तो धर्म प्रभावना होती है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर नगर प्रवेश के पश्चात आशीष वचन देते हुए परम पूज्य राष्ट्रसंत गणाचार्य आचार्य विराग सागर जी महामुनि राज के सुयोग्य शिष्य उपाध्याय विनिश्चल सागर महाराज , परम पूज्य प्रवचन केसरी मुनिश्री विश्रांत सागर महाराज एवं परम पूज्य प्रवर सागर जी महाराज ने कही।मुनिश्री विश्रांत सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा पल भर का भरोसा नहीं,इस लिए कल की बात नहीं करते हैं।

पंचम काल में धर्म की ध्वजा युवा पीढ़ी ही फहराएंगी। जिनवाणी सभी को अवश्य सुनना चाहिए।जिनका मन भटकता है उन्हें जिनवाणी श्रवण करा देना चाहिए,मन नहीं भटकेंगा। मंदिर में आकर घर या यहां -वहां की चर्चा की तो कल्याण नहीं होगा।घर पर धर्म की चर्चा करोंगे तो कल्याण होगा। जिनवाणी का नीर जिसमें गिरता है उसका कषाय दूर हो जाता है। जैन संत आस्था, श्रद्धा, समर्पण और विश्वास के भूखे हैं भोजन के नहीं। श्रद्धा मन में नहीं तो नमन से क्या होगा। कालिया नाग को वश में करना है तो वीण बजा दो।

जिनवाणी की वीण बजेगी तो आष्टा वाले वश में हो जाएंगे। आचार्य कुंदकुंद स्वामी की कलम को सभी पंथ वाले मानते हैं। श्वेताम्बर व दिगंबर एक ही पिता के दो पुत्र हैं।नाम अलग -अलग है, लेकिन दोनों महावीर की संतान हैं। नदियों के नाम अलग- अलग है, लेकिन पानी एक है।पैसा सुख का कारण नहीं प्रेम सुख का कारण होता है।आभूषण, मकान व पत्नी में सुख नहीं बल्कि प्रेम में सुख है, इसलिए सभी प्रेम , भाईचारे से रहो।पूर्व भव के संस्कार इस भव में नजर आते हैं। यहां बैठे सभी सौभाग्यशाली और पुण्यशाली हैं। समाज के अनेक लोग घर व दुकान पर बैठे होगे उनका पुण्य नहीं है।आपका पति अभिषेक करें,जिनवाणी श्रवण करें वह पुण्यशाली है, पैसा कमाने वाला नहीं।

आत्मा के बारे में सुनोगे तो कल्याण होगा। बिना बुलाए संत आ जाएं तो पुण्यशाली है।प्रेम से रहना सीखो।उपाध्याय विनिश्चल सागर महाराज ने कहा जीवन भर की साधना सद्भावना पूर्वक समाधि, संलेखना है। इंदौर में जैनियों का महाकुंभ होने जा रहा है। जिसका मरण होता है उसे कुछ भी सुध नहीं रहती है। लेकिन आचार्य विशुद्ध सागर महाराज को उनके गुरु ने पट्टाचार्य के लिए चुना। इंदौर के सुमतिधाम में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज का पट्टाचार्य महोत्सव में सैकड़ों मुनिश्री उपस्थित रहेंगे।जैसा कि आपको अवगत है कि इंदौर की पावन पुनित धरा पर 27 अप्रैल से 02 मई 2025 तक भव्य पट्टाचार्य महोत्सव आयोजन होने जा रहा है, जिसमे परम पूज्य आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के आचार्य पद को विशुद्ध सागर जी महाराज को दिया जा रहा है। आप इस पावन शुभ बेला पर उपस्थित रहे। मुनि संघ के नित्य प्रवचन सुबह साढ़े आठ बजे से होंगे।

राष्ट्रसंत आचार्य विराग सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य उपाध्याय मुनिश्री विनिश्चल सागर महाराज ससंघ एवं मुनि श्री विश्रांत सागर जी महाराज, मुनिश्री प्रवर सागर महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश 6 अप्रैल रविवार को भोपाल नाका से हुआ। समाज जनों ने अगवानी कर जुलूस के रूप में नगर प्रवेश कराया। गाजे-बाजे के साथ जुलूस भोपाल नाका से अस्पताल चौराहा से बुधवारा, खंडेलवाल चौराहा से ओम शांति मार्ग, बड़ा बाजार होते हुए किला मंदिर पर पहुंचा। उक्त मुनि संघ के पावन सानिध्य में 10 अप्रैल को महावीर भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव समाज मनाएंगे।
“पदमा कासलीवाल ने चंद्र प्रभु मंदिर गंज में चौबीसी मांगलिक बुलावा कराया, काफी संख्या में महिलाओं ने शामिल होकर भजन गाएं”

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी के जन्म कल्याणक महोत्सव से लेकर चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक महोत्सव तक दिगंबर जैन समाज के मंदिरों में समाज के महिला मंडलों एवं श्राविकाओं द्वारा चौबीसी मांगलिक बुलावा कराया जा रहा हैं। रविवार की शाम को श्री चंद्र प्रभु मंदिर गंज में वरिष्ठ श्रीमती पदमा, खुशी एवं मंदा कासलीवाल द्वारा चौबीसी का मांगलिक बुलावा कराया गया। जिसमें समाज की काफी संख्या में महिलाओं ने उपस्थित होकर एक से बढ़कर एक भजन ढोलक की थाप पर गाएं।
इन दिनों दिगंबर जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक महोत्सव के पूर्व धर्म आराधना भक्तिभाव से की जा रही है।

श्री नेमिनाथ जिन मंदिर नेमि नगर में जिनवाणी महिला मंडल एवं नेमि जिन बहू मंडल ने मांगलिक भजन बुलावा का आयोजन किया। वहीं श्री चंद्र प्रभु मंदिर गंज में दिवंगत वाणी भूषण समाजसेवी फूलचंद जी कासलीवाल की पुत्र वधू श्रीमती पदमा अशोक कासलीवाल, श्रीमती खुशी मोहित कासलीवाल तथा श्रीमती मंदाकिनी सुमित कासलीवाल ने चौबीसी मांगलिक बुलावा कराया। उसके पूर्व भगवान की भक्ति भाव से आरती की गई। सभी को श्रीमती कासलीवाल ने प्रभावना वितरित की।