
आष्टा । आष्टा अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद जिला इकाई सीहोर का एक आवश्यक सम्मेलन जिले के बाराखंबा तहसील इछावर में दिनांक 1 /3/ 2025 को आयोजित किया गया। जिसमें अधिवक्ता परिषद तहसील इकाई आष्टा के अध्यक्ष पद पर रामेश्वर धनगर एडवोकेट उपाध्यक्ष के पद पर जीवन सिंह खजुरिया एडवोकेट मंत्री के पद पर कृष्ण पाल भाटी एडवोकेट को नियुक्त किया गया। उक्त नियुक्ति मुख्य अतिथि अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री विक्रम दुबे जी एवं राष्ट्रीय कार्य परिषद के सदस्य अर्जुन सिंह सेंधव ने

सर्व सम्मति से की उक्त अधिवक्ताओ की नियुक्ति पर अभिभाषक संघ आष्टा के सदस्य निलेश कुमार शर्मा एडवोकेट, जितेंद्र दुबे एडवोकेट,भूपेंद्र सिंह राणा एडवोकेट,बाबूलाल परमार एडवोकेट, सुनील कचनेरिया एडवोकेट, योगेश पटेल एडवोकेट, मुकेश वर्मा एडवोकेट, सीताराम परमार एडवोकेट, योगेंद्र सिंह ठाकुर एडवोकेट, कुलदीप सिंह ठाकुर, जयप्रकाश शर्मा लखन लाल खंडारे सहित अभिभाषक संघ आष्टा के सदस्य गणों ने बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की।

“दिल्ली में 17 मार्च को गौ प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द जी के सानिध्य में चर्चा होगी”
देश मे गौ हत्या बन्द हो क्योंकि हिन्दू धर्म, जैन धर्म सहित सभी भारतीय धर्मों में गौ माता को पूज्य माना गया है। इस मान्यता के वैज्ञानिक कारण भी हैं । देश की आजादी के पूर्व और पश्चात विभिन्न संतों महात्माओं द्वारा गौ हत्या के विरुद्ध जन जागरण के साथ ही सरकार जागरण के अभियान भी चलाए गए दुर्भाग्य से सिर्फ राजनीतिक लाभ हेतु आश्वासनों के अलावा कुछ भी नहीं हुआ। वास्तविकता में गौ हत्या आज भी उसी प्रकार जारी है ।

देश के चारों पीठों के शंकराचार्य वृंद ने अब इस ओर ध्यान देकर ज्योति पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी को अभियान का प्रतिनिधित्व देकर इस पुनीत कार्य की सफलता हेतु अभियान का नेतृत्व भी सौंपा है । उनके नेतृत्व में 17 मार्च को रामलीला मैदान दिल्ली में इस बाबत संत समाज माननीय नागरिकगण तथा उपस्थित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर आगामी अभियान को तीव्रता प्रदान की जाएगी ।

जो राजनीतिक दल इस अभियान में सम्मिलित नहीं होंगे उसकी आमजन को जानकारी दी जाएगी इस आशय के विचार आज एक बैठक में गौ संसद के राष्ट्रीय सचिव देवेंद्र पांडे ने साथियों सहित व्यक्त किये । बैठक स्थानीय सन्त ज्ञानेश्वरानन्द जी के आश्रम आराध्य वाटिका में हुई । श्री पांडे ने इस कार्य के लिए संत ज्ञानेश्वर आनंद जी को आष्टा अंचल का प्रतिनिधि नियुक्त किया है। बैठक में प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ,महासचिव प्रदीप प्रगति , स्थानीय गौशाला के पूर्व अध्यक्ष देवकरण पहलवान संत सिंह परमार , पुरुषानंद , हर्ष मिश्रा , महेंद्र भार्गव आदि उपस्थित रहे ।

“श्रमणी आर्यिका विरम्या मति जी एवं विसंयोजना मति माता जी का हुआ नगर प्रवेश
आज व्यक्ति धन कमाने में इतना उलझा है कि वह धर्म को भूल गया, पूर्ण होने पर ही लक्ष्मी की प्राप्ति –विसंयोजना मति माता जी”
भगवान के मंदिर में पुजारी कम भिखारी संसारी सुख की प्राप्ति वाले अधिक आते हैं।यह सुख क्षणिक रहता है।व्यक्ति के मन में लौकिक चाह अधिक रहती है। हमेशा एक जैसे रहना सिद्धों में होता है।हर व्यक्ति को कुछ न कुछ चाहिए।आज व्यक्ति धन कमाने में इतना उलझा है कि वह धर्म को भूल गया। सभी ने सांसारिक सुख चाहा।यह सभी सुखा वास है,

स्थायी सुख नहीं।सुख सभी चाहते हैं, लेकिन सुख के काम नहीं करते हैं तो फिर स्थायी सुख की प्राप्ति कैसे। प्रत्येक श्रावक का कर्तव्य है कि धर्म आराधना करें। कभी कभार धर्म – आराधना करने से कल्याण नहीं होगा। धर्म करने से ही पुण्य अर्जित होता है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या श्रमणी आर्यिका विसंयोजना मति माता जी ने नगर प्रवेश के पश्चात आशीष वचन देते हुए कही।

आर्यिका जी के प्रवचन की जानकारी देते हुए समाज के नरेन्द्र गंगवाल ने बताया कि उन्होंने एक गुरु का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने अपने सभी शिष्यों से अपनी चाहत लिखने को कहा। सभी ने सांसारिक सुख चाहा।आज व्यक्ति घन कमाने में इतना उलझा रहता हैं कि धर्म करना भूल जाते हैं। जबकि धर्म करने से पुण्य अर्जित होता है।चार सौ घर की समाज में दो व्यक्ति ही हमारे विहार में आएं थे।

चार सौ घर की समाज में चालीस लोग ही पूजा -अर्चना करते हैं। विसंयोजना मति माता जी ने कहा जबकि हर श्रावक का कर्तव्य है धर्म -आराधना करें।जैन कुल में जन्म लिया है तो अपने छः कर्तव्यों का पालन करें। छः षट आवश्यक देव पूजा, गुरु उपासना,स्वाध्याय,संयम और दान आदि। कभी-कभी धर्म आराधना करने से मानव का कल्याण नहीं होगा।जब तक धर्म नहीं करोंगे तो धन कहां से मिलेगा। धर्म करने से ही पुण्य अर्जित होता है और धन की प्राप्ति भी। आर्यिका विसंयोजना मति माता जी ने कहा पुण्य होने पर ही आपको लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। भगवान की भक्ति और देव, शास्त्र की पूजा -अर्चना से आपकी तिजोरी भर जाती है। व्यक्ति के पाप कर्म के उदय से सारी धन दौलत व जेवरात चला जाता है।

आपने कहां धन की तरफ नहीं धर्म की तरफ दौड़े।धन की तरफ पीठ करके धर्म की तरफ मुंह करके दौड़ेंगे तो धन स्वत ही आपके पास आएगा।षट कर्तव्यों का पालन करें, वहीं सही श्रावक है।धन ऐसी चीज है,कभी भी किसी का मन नहीं भरता है।धन संचय से पेट नहीं भरता है। परिग्रह नरक में ले जाएगा।साधु संतों की वाणी सुनकर अपने जीवन में उतार कर आत्म कल्याण करें। देव, शास्त्र, गुरु के प्रति राग-द्वेष की भावना उत्पन्न नहीं हो, वहीं सच्चे श्रावक है।राग – द्वेष नहीं करें। राग द्वेष कर्मों से बांधते हैं। भगवान के गुणों को देखें। जिसने राग द्वेष आठ कर्मों को जीत लिया उसे वीतरागी कहते हैं।सभी जीवों पर दया भाव रखें, उन्हें हितोपदेशी कहते है।किसी को महावीर नाम से तो किसी को राम व रहीम नाम से पुकारते हैं, नाम अलग है लेकिन है एक।

उन सभी के लिए अपना मस्तिष्क झुकना चाहिए,जो वीतरागी होते हैं।चारों योग में भगवान की एक जैसी वाणी निकलतीं है।जिस तरह गाय के चारों थनों से एक जैसा सफेद दूध निकलता है।जिसके मन में साधु के प्रति राग-द्वेष उत्पन्न हो,वह सच्चा श्रावक नहीं।तीन कम नौ करोड़ मुनिराजों के प्रति अच्छा भाव रखें और आराधना करें वहीं सच्चा श्रावक है।

रविवार प्रातः 8 बजे भोपाल नाका से गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या श्रमणी आर्यिका 105 विरम्या श्री माताजी एवं विसंयोजना श्री माताजी का आष्टा नगर आगमन हुआ। नगर के प्रमुख मार्गों से आर्यिका संघ को जुलूस के रूप में किला मंदिर पर लेकर पहुंचे। आचार्य विद्यासागर पाठशाला के बच्चों ने गणाचार्य विराग सागर महाराज एवं बड़े बाबा आदिनाथ भगवान सहित आचार्य विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के चित्र का अनावरण कर शास्त्र आर्यिका रत्न को सौंपें।
