आष्टा। सांदीपनि शासकीय उमावि आष्टा में 01 दिसंबर को विकासखण्ड स्तरीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। प्राचार्य सितवत खान ने बताया कि विरासत भी, विकास भी, की परिकल्पना को लेकर मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति संचालनालय द्वारा अभ्युदय मध्यप्रदेश अभियान चलाया जा रहा है ।

जिसके अंतर्गत विभिन्न संस्थानों विशेषकर विद्यालयो के किशोर विद्यार्थियों को इसमें सम्मिलित कर विभिन्न आयोजन पूरे प्रदेश में किये जा रहे हैं । इनका उद्देश्य मध्यप्रदेश के नागरिकां की प्रतिभा, नेतृत्व तथा सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहित करना है। इसी तारतम्य में आज विकासखण्ड स्तरीय गीता महोत्सव का आयोजन हुआ।


गीता जयंती के अवसर पर नगर के सांदीपनि विद्यालय के विशाल सभागृह में नगर के विभिन्न शासकीय तथा अशासकीय विद्यालयां के सैकड़ो विद्यार्थियों एवं जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में गीता के अध्याय 15 के श्लोको का हिन्दी अनुवाद सहित पाठ करके उनके लिये ज्ञान, कर्तव्य और आत्मबल का मार्ग प्रशस्त किया गया।


इस अवसर पर इस्कॉन सेन्टर उज्जैन से पधारे संत श्रीपाद प्रहलाद प्रभु जी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नितिन कुमार टाले, जिला पंचायत उपाध्यक्ष जीवन सिंह मंडलोई, अध्यक्ष जनपद पंचायत आष्टा प्रतिनिधि सोनू गुणवान, उपाध्यक्ष गजराज सिंह मेवाड़ा के मुख्य आतिथ्य में तथा आयोजक सांदीपनि विद्यालय के प्राचार्य सितवत खान, बीआरसीसी अजबसिंह राजपूत, गीता महोत्सव प्रभारी संजीव दीक्षित, सुदीप जायसवाल, पंडित रघुनंदन शर्मा, संदीप सोनी, गोविन्द शर्मा आदि उपस्तिथ रहे ।


अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ आयोजन का शुभारंभ किया। इसके पश्चात् सस्वर स्वस्ति वाचन के साथ गीता पूजन सम्पन्न किया गया तथा नगर के इस्कॉन सेंटर से पधारे गीता भक्तो द्वारा शंखनाद के माध्यम से आयोजन का मार्ग प्रशस्त किया गया तत्पश्चात् सांदीपनि विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा संगीतमय सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई ।


अतिथिगणों का आयोजक मंडल द्वारा पुष्पमाला और तिलक लगाकर स्वागत अभिनंदन किया गया तथा एक बार फिर स्वागत गीत की स्वर लहरियो के माध्यम से सांदीपनि विद्यालय के विद्यार्थियों नें नई ऊर्जा का संचार किया। इस्कॉन सेन्टर के नन्हें बालक वंश पाठक नें गीता के 15 वे अध्याय के श्लोको का पाठ किया और उनका सार सभी को हिन्दी में भी समझाया।


इसके पश्चात् विशेष वक्ता के रूप में इस्कान उज्जैन से पधारे श्रीपाद प्रहलाद प्रभु में सभी को संबोधित करते हुये कहा कि गीता कर्म का मार्ग बताती है और जिस शरीर को हम सबकुछ समझते हैं वास्तव में वह केवल एक उपकरण है जिसका सदुपयोग करके ही हम परम पद को प्राप्त कर सकते हैं एवं इसका सही उपयोग सिखाने का कार्य गीता करती है। कार्यक्रम को जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि सोनू गुणवान, अनुविभागीय अधिकारी नितिन कुमार टाले,जिला पंचायत उपाध्यक्ष जीवन सिंह मंडलोई
ने भी संबोधित किया ।


इस अवसर पर सांदीपनि, मार्टिनेंट,शास्त्री स्मृति, टेलेण्ट, संस्कृति विद्यालय के उपस्थित सभी विद्यार्थियो नें पूरे आयोजन सक्रिय रूप से भाग लिया
संचालक कवि अतुल जैन ने एवं गीता महोत्सव प्रभारी संजीव दीक्षित ने आभार व्यक्त किया।

“शासकीय महाविद्यालय में गीता जयंती पर सम्पन्न हुआ कार्यक्रम”
उच्चशिक्षा विभाग, भोपाल के निर्देशानुसार शहीद भगतसिंह शासकीय महाविद्यालय, आष्टा में गीता जयंती के पावन अवसर पर गीता महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य धर्मेंद्र सूर्यवंशी के मार्गदर्शन एवं कार्यक्रम प्रभारी डॉ. दीपेश पाठक के संयोजन में यह आयोजन अत्यंत सफल रहा।


प्रभारी प्राचार्य धर्मेंद्र सूर्यवंशी ने अपने उद्बोधन में छात्राओं को कर्मयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में अर्जुन को जो अमर उपदेश दिए, वे आज भी विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य को संबल प्रदान करते हैं। निष्काम कर्म, धैर्य, संयम और आत्मसंयम ही जीवन का सच्चा सार है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. दीपेश पाठक ने कहा की विश्व का एक इकलौता ग्रंथ है श्रीमद भगवत गीता, जिसकी जयंती मनाई जाती है। यही कारण है कि गीता ग्रंथ का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के मुख से हुआ है।


बता दें कि गीता में वर्णित सभी श्लोक श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं। इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है। गीता ही एक ऐसा महाग्रंथ है जो सभी धर्मो के अनुयायियों का मार्गदर्शन करता है। गीता की शिक्षा विपत्ति के समय में भी अपने मार्ग पर चलकर लक्ष्य हासिल करने मे मदद करती है।

गीता में कर्म को ही पूजा का नाम दिया गया है। मनुष्य द्वारा किए जाने वाले उसके कर्म भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
डॉ पाठक ने भगवद्गीता के 15वें अध्याय ‘पुरुषोत्तम योग’ की गहन व्याख्या की। उन्होंने बताया कि इस अध्याय में संसार को एक उल्टे पीपल के वृक्ष के रूप में दर्शाया गया है, जिसकी जड़ें ऊपर और शाखाएँ नीचे की ओर हैं।

संसार की आसक्ति ही बंधन का कारण है तथा भगवान ही पुरुषोत्तम हैं।
महाविद्यालय छात्रा कुमारी पूजा मेवाड़ा ने भी गीता के श्लोक का वाचन किया और उसके महत्व को बताया
गीता जयंती के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में ऑनलाइन प्रसारण भी दिखाया। कार्यक्रम में सतेंद्र सक्सेना, सुमित भूतिया, वीरेंद्र निमोनिया, शोभाराम मालवीय, सहित महाविद्यालय स्टाफ के सदस्य व विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
























