आष्टा। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य पूज्य मुनि श्री भूतबली सागर जी महाराज की प्रथम समाधि दिवस का भव्य आयोजन नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजमान पूज्य मुनि श्री निष्कंप सागर जी महाराज एवं मुनि श्री निष्काम सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य व ब्रह्मचारिणी मंजुला दीदी के कुशल निर्देशन में भव्य महामहोत्सव 14 से प्रारंभ होकर 16 मार्च को सम्पन्न होगा।

मुनिश्री भूतबली सागर महाराज की बीते साल आष्टा मंदिर में समाधि हुई थी। शुक्रवार की शाम को एक शाम गुरु के नाम भारत की मशहूर आध्यत्मिक सुमधुर जैन भजन गायिका ब्रह्मचारिणी सलोनी दीदी गुना द्वारा जैन भजनों की बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी गई। वहीं शनिवार को दोपहर में 28 मंडलीय संगीतमय श्री पंच परमेष्ठि महामंडल विधान पूजन बाल ब्रह्मचारिणी मंजुला दीदी एवं भजन गायक शरद जैन ने संपन्न कराई। लाभार्थियों ने विधान पर कलश स्थापना की तथा अभिषेक,शांतिधारा की।रविवार 16 मार्च को गुरु स्मरण संगोष्ठी का आयोजन किया है।

परम पूज्य मुनि श्री भूतबली सागर जी महाराज के प्रथम समाधि दिवस पर गुरु गुणानुवाद गुरु स्मरण महामहोत्सव मनाने हेतु तीन दिवसीय समाधि दिवस महामहोत्सव का वृहद आयोजन श्री दिव्योदय जैन तीर्थ किला मंदिर परिसर में किया। यह उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष हिंदी तिथि के अनुसार चैत्र कृष्ण दूज को पूज्य मुनि श्री की समता पूर्वक समाधि संल्लेखना किला मंदिर में हुई थी, उसी के तहत 14,15, 16 मार्च को तीन दिवसीय आयोजन रखा गया है ।

कार्यक्रमों के अंतर्गत दिनांक 14 मार्च दिन शुक्रवार को रात्रि 8 बजे से एक शाम गुरु के नाम भारत की मशहूर आध्यत्मिक सुमधुर जैन भजन गायिका ब्रह्मचारिणी सलोनी दीदी गुना द्वारा जैन भजनों की प्रस्तुति दी गई । जिसमें एक बार आओ गुरुदेव दरश दिखलाओं गुरुदेव,गुरुवर – गुरुवर पुकारा करेंगे, गुरुदेव को निहारा करेंगे हम। विनती हमारी है बड़े बाबा, छोटे बाबा फिर मिल जाए, बिना आपके इस धरती पर सांस नहीं ले सकते हैं ….शब्द नहीं, नजर में रहते हो,मगर तुम नजर नहीं आते हैं गुरुदेव, गुरुवर मुझे बुला लो…. भजनों को सभी ने खूब सराहा।वही 15 मार्च दिन शनिवार को प्रातः7:30 बजे नित्य अभिषेक शांति धारा 8:30 बजे, गुरु पूजन प्रवचन व दोपहर 1 बजे से 28 मंडलीय संगीतमय श्री पंच परमेष्ठि महामण्डल विधान पूजन के समापन के दौरान मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा बहुत सारे लोग यात्रा करने के लिए जाते हैं।

हर व्यक्ति अपने गंतव्य व लक्ष्य तक जाना चाहता है।सही गाड़ी में नहीं बैठा है तो गंतव्य स्थान और लक्ष्य की प्राप्ति कैसे होगी।मोक्ष चाहते हैं तो रत्नात्रय स्वीकार कर आगे बढ़ कर समाधि मरण प्राप्त करें। रत्नात्रय के साथ भूतबली सागर महाराज का मरण हुआ। वहीं मंजुला दीदी ने कहा यह आत्मा आठ कर्म रूपी पिंजरे में अटकी हुई है। सिद्धों की आराधना कर सभी कार्य सिद्ध करें।अंधकार से प्रकाश में ले जाएं वह गुरु होते हैं।सायंकाल 7:30 बजे से कुलभूषण देशभूषण महाराज के जीवन पर आधारित वैराग्यमय नाट्य मंचन का आयोजन संजय जैन एंड पार्टी नाटककार भोपाल के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी गई।

वर्धमान डिजिटल के अनुराग जैन द्वारा पूज्य मुनि श्री भूतबली सागर जी महाराज के जीवन पर आधारित महासाधक गाथा भूतबली सागर की नामक बायोग्राफी का प्रसारण भी बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया।उसी क्रम में 16 मार्च रविवार को प्रातः 8:30 बजे से गुरु पूजन व मुनि संघ के मंगल प्रवचन होंगे।दोपहर 1 बजे से संगीतमय गुरु पूजा ,गुरु गुणानुवाद ,गुरु संस्मरण संगोष्ठी व मुनि संघ के मंगल प्रवचन होंगे।विधान के दौरान आचार्य विद्यासागर महाराज के चरण चिन्ह के समक्ष दीप प्रज्जवलित शैलेष जैन गौधा, दीपेश गौधा, प्रकाश जैन मुंबई,श्रीमती ज्योति सेठी, विकास जैन, श्रीमती, प्रमिला काला,संजय सेठी इंदौर ने किया।