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आष्टा में वर्षो से चली आ रही परंपरा अनुसार होलिका दहन धुलेंडी से 5 दिवसीय होली का रंगा रंग पर्व कल से शुरू होगा । मिली जानकारी अनुसार इस वर्ष आष्टा नगर में करीब 105 से भी अधिक स्थानों पर होलिका दहन प्रातः होगा । सभी स्थानों पर लकड़ी कंडो से होलिका सजाई गई है ।

शाम होते ही महिलाएं होलिका पूजन हेतु पहुची ।
आज धुलेंडी पर नगर में विभिन्न समाजों की शौक गेर निकलेगी जो नगर के गमी वाले परिवारों के बीच पहुच कर रंग गुलाल करेंगे । स्थानीय मोक्षधाम समिति ने नगर के 18 ही वार्डो में गमी वाले परिवारों की सूची जारी की ही । समिति की सूची अनुसार इस वर्ष अभी तक आष्टा के सभी 18 वार्डो में 227 परिवार गमी वाले परिवार है ।

होली,रमजान को देखते हुए एवं धुलेंडी के दिन ही जुमा आने के कारण पुलिस प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है । सभी प्रमुख पॉइंट पर बल तैनात किया है । दो दिन पूर्व नगर में पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रूप से नगर में फ्लैग मार्च भी निकाला है ।

“धुलेंडी के एक दिन पूर्व गल्ला मंडी में जम कर हुई होली,निकाला जुलूस”

परंपरा अनुसार धुलेंडी के एक दिन पूर्व आष्टा नगर में गल्ला मंडी में रंग खेला जाता है । आज मंडी में नीलामी का आखरी दिन था । क्योंकि होली में आवक नही होती है ।

आज गल्ला मंडी के व्यापारियों ने व्यापारी संघ के अध्यक्ष रूपेश राठौर के नेतृत्व में मंडी में जम कर रंग खेला गया । उपज लेकर आये किसान भाईयों,हम्माल तुलावटियों को व्यापारियों ने जम कर रंगा। व्यापारियों ने भी एक दूसरे को रंग लगाया और होली की बधाई दी ।


मंडी में होली खेलने के बाद सभी व्यापारियों ने नगर में ढोल ढमाकों के साथ रंगारंग बाइक रैली निकाली और नगर में भी अपने व्यापारी मित्रों को रंग लगाया ।

“शाम को गल चौराहे पर भरायेगी गल की जात्रा”

आष्टा में वर्षो से चली आ रही परंपरा अनुसार धुलेंडी के दिन दिन भर रंग गुलाल होने के बाद शाम को गल चौराहे पर बाबा रामदेव जी के मंदिर में विशेष पूजा आरती व अन्य कार्यक्रम होते है । गल चौराहे पर गल की जात्रा भराती है ।

जतरा में झूले लगते है,खाने पीने की,खेल खिलोने,गारे के खिलौनों की दुकानें लगती है । नगर के नागरिक इस जत्रा में पहुचते है और आनन्द लेते है । यहा पर कई स्थानीय भजन मंडली भी आती है,वे रंगारंग भजन,डांस,नृत्य हंसी,ठिठोली करते है । ओर होली का आनन्द उठाते है।

“मॉडर्न पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल आष्टा में होली पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया”

नगर के सेमनरी रोड स्थित माडर्न पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल आष्टा में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों ने अपने साथियों और सभी शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ गुलाल लगाकर होली मनाई स्कूल के मार्गदर्शक द्वारा सभी बच्चों को होली पर्व के बारे में समझाया गया


होली बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है, जिसमे हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के दहन और भक्त प्रह्लाद को आग से बचाने की घटना को याद किया जाता है होली के अलग-अलग रंग सभी के जीवन में खुशियां और आनंद लेकर आए सभी इन रंगों की तरह खिल खिलाते रहे वह सभी बच्चों को होली पर्व की बधाई शुभकामनाएं दी गई ।

इस अवसर पर स्कूल के संचालक मंडल व शाला परिवार के मार्गदर्शक श्री शंकर लाल परमार, श्री कुंवर लाल परमार, श्री भीम सिंह ठाकुर एवं समिति अध्यक्ष श्री अभिषेक परमार, प्राचार्य श्री शैलेन्द्र सिंह ठाकुर, उपप्राचार्य विकास चौरसिया, बी.एल. मालवीय,

संदीप जोशी, राजेश बड़ोदिया, रजत धारवां, पंकज ठाकुर, जितेन्द्र पोरवाल, सुबोध हजेला, अनीता परमार, निर्मला सारसिया, करिश्मा चौपड़ा, अंजली चौरसिया, अंजु नावड़े, रचना ठाकुर, नीता सक्सेना, इशा जैन, इतिका चौहान, प्रियंका सारसिया, पायल ठाकुर, अवनि जैन, पूजा ठाकुर आदि उपस्थित हुए।

जैन धर्म में साधु की केशलोंच कठिन तपस्या ,
मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने केश लोचन किए

गुरुवार 13 मार्च को सुबह श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजमान संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य‌‌‌ समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने अचानक कक्ष में केशलोंच किया। उक्त कठोर तपस्या को देखने के लिए काफी संख्या में श्रावक – श्राविकाएं कक्ष में पहुंचें।


कड़वे प्रवचन देने वाले जैन मुनि तरुण सागर जी के अनुसार, केशलोचन शरीर की उत्कृष्ट साधना शक्ति का परीक्षण है। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा जैन मुनि एक केशलोंच के बाद कम से कम 2 महीने और ज्‍यादा से ज्‍यादा 4 महीने में दूसरा केशलोंच करते हैं। ये उनकी तपस्‍या का अहम हिस्‍सा है।जैन मुनि शरीर की सुंदरता को नष्‍ट करने और अहिंसा धर्म का पालन करने के लिए केशलोंच करते हैं। वे बालों को उखाड़ते समय यह भावना रखते हैं कि इस कष्‍ट के साथ उनके पाप कर्म भी निकल रहें हैं।

“चिंता और चिता में मात्र एक बिंदी का अंतर है — मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज”

यहां ज्ञान की होली होगी। लोगों ने बताया कि आष्टा में होली पर कपड़े फाड़ते है, हमारे पास तो कपड़े नहीं, इसलिए हम आहार करने नीचे जाएंगे।। यहां बाधक तत्व नहीं साधक तत्व आते हैं। चिंता और चिता में एक बिंदी का अंतर। चिंता नहीं चिंतन करें, चिंता करने से चिता पर पहुंच जाते हैं।राजपाठ और मोह ने जकड़ रखा है तो वैराग्य कैसे आएगा। गुरु निःस्वार्थ काम करते हैं,वह स्वार्थी नहीं होते हैं।अपना समझकर काम करोगे तो थकान नहीं आएगी।मेरा काम है समझकर काम करें।

उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य‌‌‌ समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कही।
राजा और पंडित का वृतांत सुनाते हुए आपने कहा कि राजा पंडित से अनुष्ठान आदि कराते थे फिर भी राजा को वैराग्य नहीं आ रहा था। पंडित के बालक ने राजा को वैराग्य नहीं आने का कारण बताया कि आपको राजपाट से मोह के कारण और मेरे पिता को लालच के कारण वैराग्य नहीं आ रहा। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा आज वर्तमान में चमत्कार क्यों नहीं हो रहा है ,क्योंकि लोग अपना धर्म समझकर काम नहीं करते हैं। लौकिक में व्यवहार खराब नहीं हो इस बात का ध्यान रखें।

उत्कृष्ट लक्ष्य प्राप्त करें। भूतबली सागर महाराज की समाधि स्थल पर नमन सभी करें। संसारी व्यक्ति के निधन पर शोक होता है लेकिन संत के देह त्यागने पर खुशी मनाते हैं क्योंकि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं।संसार में यह जीव अनादिकाल में भ्रमण कर रहा है, पुरुषार्थ भी कर रहे हैं।पार होना चाहता है लेकिन पार नहीं कर पा रहा है।

बाधक तत्व को ढूंढना चाहिए।जिस तरह डॉ के पास मरीज जाता है और डॉ बीमारी का तत्त्व समझकर उपचार करते हैं और मरीज ठीक हो जाता है, डॉ को दिखाएं बिना दवाई नहीं ले। संसार में फंसना ठीक नहीं, दुखों का जाल है, संसार से पार होने के रास्ते को पार नहीं कर पा रहा है। बाधक तत्व हटते ही साधक तत्व उपस्थित हो जाता है। संसार में जीव फंसा हुआ है। मंदिर का पैसा भोजन में नहीं लगाएं। मंदिर में हर काम का फंड अलग -अलग रखें।
मौज मस्ती में पैसा उड़ाते हैं, धर्म आराधना में चंचल लक्ष्मी का उपयोग कर पुण्य अर्जित करे।

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