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आष्टा । दो दिन पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा कलेक्टर कार्यालय में
किसानों को खाद बीज सरलता, सुगमता और पारदर्शिता के साथ मिले,खाद-बीज की उपलब्धता के बारे में किसानों को नियमित जानकारी मिले को लेकर जिला स्तरीय समीक्षा बैठक की गई थी ।

बैठक में खाद-बीज की कालाबाजारी करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा दिये गये । केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा खाद-बीज वितरण आदि की समीक्षा एवं दिये निर्देशो का असर शुरू हो गया है । आज एसडीएम नितिन टाले, तहसीलदार आरएल पगारे,एसएडीओ मेवाडा सादल बल के कन्नौद रोड स्तिथ खाद बिक्रेता अग्रवाल ट्रेडिंग कम्पनी की दुकान पर पहुचे एवं खाद की आवक,जावक,बिक्री,स्टॉक,मूल्य सहित सभी बिंदुओं पर जांच कर भौतिक सत्यापन किया गया । आज पूरी तरह बारीकी से की गई जांच में भौतिक सत्यापन में सब कुछ ठीक ठाक पाया गया ।

जांच टीम ने व्यापारी को स्पष्ट निर्देश दिये कि तय मूल्य से अधिक राशि बसूलने की शिकायत,कालाबाजारी आदि की शिकायत मिलने पर सख्त कार्यवाही होगी । आज आष्टा एसडीएम नितिन टाले ने खाद दुकानों की जांच शुरू की । आज अग्रवाल ट्रेडिंग कम्पनी पर पहुची टीम ने खाद स्टॉक,आवक,जावक,बिक्री मूल्य बिल्टी आदि का भौतिक सत्यापन,जांच की । जांच में सब कुछ ठीक ठाक मिला ।

“धर्म की विरादना हो ऐसे काम सम्यकदृष्टि नहीं करते हैं वह तो धर्म वृद्धि के काम करते हैं – मुनिश्री सानंद सागर
बैरागढ़ समाज के श्रावकों ने श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया”

धर्म की विरादना हो ऐसे काम सम्यकदृष्टि कभी भी नहीं करते हैं,वह तो धर्म वृद्धि के काम करते हैं।यम और नियम में अंतर है वह बता रहें हैं,जीवन पर्यन्त के लिए लिया जाने वाला यम है।जिसे निर्धारित समय अर्थात कुछ समय के लिए उपयोग करने व लेने वाले को नियम कहते हैं। त्याग करना भी नियम है, भोजन का त्याग कैसे करें,वाहन आदि का जितना उपयोग में आएं बाकी का त्याग करें।धर्म यात्रा में स्वविवेक से काम लें।सोना – चांदी जितना उपयोग में आएं बाकी का त्याग करें, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। त्याग के क्षेत्र में धीरे- धीरे आगे बढ़ते जाएं। जो वस्तु शरीर के लिए अनिष्ट या हानिकारक हो उसका भी त्याग करें तथा जो कुलीन पुरुषों के द्वारा सेवन के योग्य नहीं हो, उसे भी छोड़े।सेवन के योग्य विषय से अभिप्रायपूर्वक जो त्याग किया जाता है वह व्रत कहलाता है। भोजन, वाहन, शयन ,स्नान ,केसर -चंदन आदि का विलेपन, पुष्प धारण तथा तांबूल ,वस्त्र, आभूषण, काम -सेवन, संगीत और गीत श्रवण आदि भोग्य और सेव्य पदार्थों में काल की मर्यादा के साथ त्याग करना चाहिए।आज, एक दिन ,एक रात ,एक मास ,पक्ष, ऋतु आदि के लिए त्याग कर पुण्य अर्जित करें। व्यक्ति चाहे तो बिना व्रत एवं दीक्षा के पुण्य अर्जित कर सकता है। उक्त बातें श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने रत्नकरण्डक श्रावकाचार ग्रंथ श्रवण कराते हुए कहीं।आपने कहां कि भोगोपभोग पांच परमाण के पांच अतिचार है। इंद्रिय विष के समान है, इंद्रिय से किसी को भी संतुष्टी नहीं होती है। चार शिक्षा व्रत कहे गए हैं।अब महाव्रती बनने की शिक्षा मिलती है।आष्टा में व्रतियों का कबिला बढ़ रहा है। चातुर्मास की सफलता इसी से है कि यहां पर अनेक श्रावक एवं श्राविकाओं ने चातुर्मास के दौरान प्रतिमाएं ली है। आपके हाथों में है पाप आश्रव से बचने का,दिशाओं का भी त्याग करें।व्रती तो प्रत्येक कदम से हिंसा और दोषों से बचते हैं। मुनिश्री ने कहा पहली प्रतिमा तो सभी को लेना चाहिए।संकल्प लेंगे तो पुण्य अर्जित होगा,संकल्प नहीं लेने से आपके पुण्य में बट्टा लग रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करें।साधना में लीन तपोनिधि होते हैं । कोई भी व्रत,नियम लेते हैं, उससे आपकी रक्षा है और आप दोषों से बच सकते हैं।आचार्य भगवंतों की श्रावकों पर कितनी कृपा है। नियम,संयम धारण कर कपड़े में रहते हुए भी महाव्रती के समान पुण्य अर्जित होगा। सम्यकदृष्टि कर्म की निर्जरा करते हैं। परिग्रह वाले को मोक्ष नहीं होगा। सानंद सागर मुनिराज ने कहां आज स्थिति यह है कि लोग अपनी आत्मा को ठग रहे हैं। मोबाइल के माध्यम से मुनि और श्रावकों को दोष लग रहा है।

अभक्ष पदार्थों का सेवन नहीं करें।अभक्ष पदार्थों के सेवन से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। श्रावक को अनेक हिंसाओं से बचना चाहिए।अभक्ष पदार्थों का त्याग करना चाहिए ‌। तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए, अति का अंत होता है। जैन समाज विवेकी समाज है।संत का काम समाजजनों को जगाने का है। पुरुषार्थ करने वाले को सुख- शांति होती है। रात्रि में चारों प्रकार के आहार का त्याग करें।बेगन को खाने से पाप बढ़ता है। अनजान फल का सेवन नहीं करें।बैरागढ़ से समाज जनों ने मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर मुनिराज को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।


चातुर्मास के दौरान किला मंदिर पर स्थापित किए गए कलशों के लाभार्थी प्रथम कलश के राजेश कुमार मयूर जैन इंजीनियर,द्वितीय कलश के निर्मल कुमार, संजय,शरद जैन, तृतीय कलश के जीतमल मनोज कुमार जैन सात्विक, चतुर्थ कलश के ऋषभ कुमार राहुल जैन एवं पंचम कलश के पारस जैन प्यारे के घर कलश स्थापित कराने गाजे-बाजे के साथ समाजजन पहुंचे और कलश स्थापित कराएं। किला मंदिर पर शांति धारा के लाभार्थी सुखानंद विश्वास जैन,मनीष रानी बड़जात्या, निर्वाण लाडू के लाभार्थी डॉ राजेन्द्र जैन, अंकित जैन वर्धमान, इंजीनियर आर के जैन,शुभम जैन, बाबूलाल जैन खजूरिया वाले एवं डॉ जैनपाल जैन रहे। वहीं समाजजनों ने भी निर्वाण लाडू चढ़ाया। सभी मंदिरों में भी अभिषेक शांतिधारा कर निर्वाण कांड पाठ बोल कर भगवान को मोक्ष फल चढ़ाया।

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