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आष्टा। नगर के अरिहंत पुरम अलीपुर में जैन मंदिर के सामने रहने वाले महेंद्र कुमार, निर्मल कुमार जैन की माताश्री 85 वर्ष से अधिक की सोमश्री बाई पत्नी दिवंगत बाबूलाल जैन ने चैतन्य अवस्था मे उत्कृष्ट समाधि मरण की भावना को आगे बढ़ाते हुए मुनि श्री 108 सजग सागर जी मुनिराज से पांच दिन पहले 10 प्रतिमा के व्रत अंगीकार कर शनिवार को चतुर्दशी को चारों प्रकार के आहार का त्याग किया था और उसके बाद सिर्फ जल ही ले रही थी।

आज मंगलवार 23 सितंबर को सुबह श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर मुनिश्री के श्रीमुख से मंत्रोच्चार सुनते हुए समाधि मरण हुआ।आप तीन दिन से किला मंदिर पर मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर जी एवं व्रतियों के सानिध्य में धर्म आराधना कर आत्म कल्याण कर रही थी। मुनिश्री सजग सागर मुनिराज ने कहां भव्य और धर्मात्मा जीव का ही समाधि मरण होता है। मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने कहां सोमश्री बाई भाग्यशाली भी थी, उन्हें तीन मुनिराज ने धर्म उपदेश देकर मोक्ष मार्ग पर अग्रसर किया।


करीब छः दिन पहले मुनिश्री प्रवर सागर जी एवं मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज को बताया कि अरिहंत पुरम अलीपुर में सोमश्री बाई की तबीयत खराब है, दोनों मुनिश्री उनके निवास पर पहुंचकर आत्म कल्याण करने के लिए उपदेश दिए। आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सजग सागर मुनिराज द्वारा सोमश्री बाई जैन को 10 प्रतिमा के व्रत दिलवाए गए। वहीं मुनिश्री सानंद सागर जी, मुनिश्री प्रवर सागर जी मुनिराज ने श्रीमती जैन को सम्बोधन देकर आशीर्वाद दिया था।

अरिहंतपुरम निवासी श्रीमती सोमश्री बाई जैन को आहारचर्या पर अरिहंतपुरम गए पूज्य मुनिश्री सजग सागर जी मुनिराज व मुनिश्री प्रवर सागर जी मुनिराज एवं मुनिश्री सानंद सागर जी ने आशीष वचन दिए और परम पूज्य मुनिश्री सजग सागर मुनिराज से प्रेरणा लेकर सोमश्री बाई ने 10 प्रतिमा के व्रत अंगीकार कर जल को छोड़कर तीनों प्रकार के आहार का त्याग कर समाधि संल्लेखना की ओर अपना कदम बढ़ाया था ।

साथ ही उन्होंने घर परिवार से सभी प्रकार का मोह त्याग कर सभी जनों से उत्तम क्षमा मांग कर अपने मोक्ष मार्ग को प्रशस्त कर किला मंदिर पर पहुंची थी। मुनिश्री सजग सागर मुनिराज ने कहां अरिहंत पुरम अलीपुर निवासी सोमश्री बाई ने दस प्रतिमाएं स्वीकार कर उसका पालन भी किया। समाज की महिलाओं ने उनके पास जाकर णमोकार महामंत्र सुनाएं एवं उत्कृष्ट समाधि मरण कराने में सहभागी बनी।
किला मंदिर से डोला निकला


अरिहंतपुरम निवासी सोमश्री बाई ने मंगलवार को सुबह साढ़े छः बजे के करीब अंतिम सांसें लीं। आपने नगर में पधारे मुनिराज सजग सागर मुनिराज से 10 प्रतिमा व्रत लेकर जीवन को धन्य किया। सोमश्री बाई जैन अरिहंत पुरम आष्टा की मुनि श्री सजग सागर जी व मुनि श्री सानंद सागर जी महाराज के सानिध्य में विशुद्ध परिणामों के साथ श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय तीर्थ किला मंदिर आष्टा में समाधि हुई।


डोला किला मंदिर से शुरू होकर सब्जी मंडी, बड़ा बाजार, प्रगति गली से बुधवारा होते हुए मुक्तिधाम पर पहुंचा, वहां व्रतियों ने सबसे पहले मुखाग्नि दी। तत्पश्चात समाजजनों व परिवार वालों ने मुखाग्नि दी।

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