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नगर आगमन पर मालव माटी के प्रसिद्ध संतश्री विनोद नागर गोविंदजाने का अलीपूर में परमार युवा संगठन द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। संतश्री की भागवत कथा से नगर सहित क्षेत्र के धर्मप्रेमी बंधू अति प्रसन्न हैं । उनकी कथा में हजारों की तादाद में भक्तगण उपस्थित रहतें हैं । नगर में हर वर्ष 1 जनवरी से 7 जनवरी से श्रीमदभागवत कथा संतश्री विनोद नागर के मुखारविंद से होती आ रही है।

संतश्री के नगर आगमन पर परमार युवा संगठन द्वारा उनका अभिनन्दन किया व प्रतीकचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। संतश्री का स्वागत एंवं आशीर्वाद लेते हुए भीमसिंह परमार, राकेश परमार, देवराज परमार, परमार युवा संगठन के अध्यक्ष मानसिंह परमार, जितेंद्र परमार, दिनेश परमार, प्रवीण परमार, शिवम परमार, अरुण राज परमार आदि सहित बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

“आशक्ति छूटने पर ही उत्तम समाधि मरण हो सकता है- मुनिश्री प्रवर सागर”

चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरिहंत पुरम में विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर जी महाराज ने कहा की यदि पुद्गल को पुद्गल रुचिकर लगेगा तो दृष्टि आत्म तत्व की ओर नहीं हो सकती यदि आत्म तत्व की ओर दृष्टि होगी तो नीरस भोजन करने पर भी सरस लगेगा और आनंद की अनुभूति होगी, जहां आसक्ति होती है ,रसपूर्ण भोजन अच्छा लगेगा वहां परिणाम विचलित हो सकते हैं। भोजन राग नहीं होगा आसक्ति पूर्ण भोजन ग्रहण नहीं होगा। जैसे तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर जी महाराज जिन्हें तपोमार्तंड भी कहते हैं, उन्होंने 6 रसों का त्याग करके आहार में 10 वर्ष तक केवल मट्ठा ही आहार में लिया सिंह निष्किंडित व्रत किया कई उपवास किए और उत्तम समाधि मरण को प्राप्त किया।

मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने कहां इसी प्रकार आचार्य विराग सागर जी महाराज को भी पूर्व आभास हो गया था तो उन्होंने भी संलेखना व्रत लेकर उत्तम समाधि मरण प्राप्त किया | मनुष्य के लिए सभी गति के द्वार खुले हैं हमें देखना है हमारा पुरुषार्थ कौन सा चल रहा है यदि धर्म पुरुषार्थ चल रहा है तो सद्गति में आयु बंधन हो जाएगा और यदि पापोदय में आयु कर्म बंधन होगा तो अधोगति ही होगी ।पूर्व जन्म में बांधा गया अशुभ कर्म के कारण ही अधोगति के दुख , दरिद्रता कुरूपता प्राप्त होते है ।इस प्रकार मनुष्य भव तो प्राप्त हो गया, पूर्व संस्कार वश धर्म भी होगा यदि इस मनुष्य भव का सार्थक उपयोग नहीं किया, इस पुण्य का भोग ही किया उपयोग नहीं किया तो यह जीवन भी व्यर्थ चला जाएगा। धर्म का प्रारंभ घर से ही होता है ।शुद्ध भोजन, शुद्ध भाव से जब बनाया जाता है तो उसमें शुद्ध भाव परिलक्षित होते है। कहा जाता है जैसा खाएं अन्न वैसा होय मन और जैसा पीये पानी वैसी होय वाणी।भैया होटल पर भोजन नहीं करना कैसी परिणति से भोजन बन रहा है ,कैसे द्रव्य से भोजन बन रहा है, कैसा पानी उपयोग हुआ है इसका आपको पता नहीं होता ,वह भोजन अभक्ष्य है। अतः बाहर भोजन करने से बचना चाहिए यदि होटल पर भोजन करने का राग बैठा हुआ है तो म्लेच्छ जैसी परिणति चल रही है। मुनिश्री ने कहा हमें जीवन में संगति बहुत सोच समझकर करनी चाहिए। पाप मे रत जीव की संगति करने से संसार में पतन निश्चित है।यदि धर्मात्मा साधु की संगति करते हैं तो संसार से विरक्ति का परिणाम उद्घाटित होगा और परिणाम हमें सही दिशा प्रदान करेगा, मुक्ति पथ पर आगे बढ़ाएगा। जिस प्रकार स्वाति नक्षत्र में पानी की बूंद शीप में जाने पर मोती का रूप ले लेती है ,सर्प के मुख में जाने पर विष का रूप ले लेती है ,कमल पत्र पर जाने पर शबनम का रूप ले लेती है,अतः जैसी जीव की संगति होगी उसकी वैसे ही परिणीति होने लग जाती है।

जहां व्यसन होता है वहां मर्यादा टूटती जाती है ,जैसे सीता ने मर्यादा को लांघा तो हरण हो गया। इसी प्रकार हमें भी अपनी मर्यादा को लांघना नहीं चाहिए ।इस मनुष्य भव में हमें व्रत नियम का पालन करते हुए अणुव्रतों को महाव्रतों को अंगीकार करना चाहिए ।जो उत्तम गति का दाता होता है ,जघन्य रूप से संलेखना धारण करने वाला जीव भी 32 भवों में निर्वाण को प्राप्त कर सकता है। किसी क्षपक की संलेखना करवाने वाले मुनिराज को सौ दीक्षा देने के बराबर पुण्य का अर्जन होता है, इसलिए जो क्षपक संलेखना पर आरूढ़ है उनका संबोधन एवं सेवा सुश्रुषा करने का सौभाग्य हमें लेते रहना चाहिए ।जिससे हमारा पुण्य गाढ़ा हो और हमे उत्तम समाधिमरण की प्राप्ति हो और यह मनुष्य पर्याय सार्थक हो, यही भावना भाना चाहिए।

“संचार प्रतिनिधियों की स्वास्थ्य बीमा योजना के आवेदन की अंतिम तिथि 27 सितंबर”

संचार प्रतिनिधियों के लिये स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 27 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है। सभी पत्रकार साथियों से आग्रह किया गया है कि निर्धारित समय तक आवेदन कर योजना का लाभ जरूर लें।
“व्यक्तिगत बीमा पर जीएसटी से छूट, समूह बीमा पर यथावत”

केंद्र सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म्स के तहत व्यक्तिगत जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी शून्य कर दिया है। वहीं समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर जीएसटी की दरें यथावत हैं।

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