आष्टा । आज दिनांक 7 अगस्त 2025 को सुबह लगभग 8 बजे कुबेरेश्वर धाम से एक 22 वर्षीय श्रद्धालु श्री उपेंद्र गुप्ता, पिता श्री प्रेमचंद गुप्ता को अचानक स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण जिला अस्पताल लाया गया ।

जहां डॉक्टर ने श्रद्धालु को मृत घोषित किया और बताया कि युवक की मृत्यु हृदय गति रुकने के कारण हुई है। जनसम्पर्क द्वारा जारी प्रेस नोट अनुसार मृतक ग्राम भोगलपुर, बड़ा टोला, तहसील पिपराइच, जिला गोरखपुर उत्तर प्रदेश का निवासी हैं।
“पटेल ने रक्षाबंधन पर ‘सावनी प्रथा’ और ‘नारियल देने’ की परंपरा समाप्त करने की अपील की”
रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व को सादगी और आत्मीयता के साथ मनाने की अपील करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी, कृषि पंडित एवं मानाखेड़ी कोठरी एवं आस पास गांव के प्रतिष्ठित समाज प्रतिनिधि बालदेव प्रसाद पटेल ने सावनी प्रथा एवं नारियल (गोले) देने की चलन को समाजहित में समाप्त करने का आग्रह किया है। पटेल ने कहा कि रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और स्नेह का प्रतीक है, जिसे सादगी और प्रेम से मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सावनी प्रथा और नारियल देने की परंपरा अब केवल औपचारिकता और दिखावे का माध्यम बन गई है, जिससे आम परिवारों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है।

उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि इस पर्व को असली भावना के साथ मनाएं, जिसमें न लेन-देन हो, न दिखावा। भाई-बहन का रिश्ता उपहारों से नहीं, बल्कि भावनाओं और विश्वास से मजबूत होता है। पटेल की इस सोच का ग्रामीण क्षेत्रों के कई गणमान्य नागरिकों व समाजजनों ने मुक्तकंठ से समर्थन किया है। लोगों का कहना है कि ऐसे कदम समाज को दिखावे से हटाकर सच्चे मूल्यों की ओर ले जाते हैं। समाजसेवी पटेल की यह पहल आने वाले समय में समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है, जिससे पारंपरिक पर्वों को उनकी वास्तविक गरिमा के साथ मनाया जा सकेगा।
“एस.बी.एस.कॉन्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, आष्टा में कक्षा प्रतिनिधि चयन एवं शपथ ग्रहण समारोह”
एस.बी.एस.कॉन्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, आष्टा में कक्षा प्रतिनिधि चयन एवं शपथ ग्रहण समारोह सम्पन्न हुआ । संस्था में कक्षा प्रतिनिधि का चुनाव किया गया। साथ ही विद्यालय से हेड बॉय हेड गर्ल चुने गए। हेड बॉय अभिषेक वर्मा एवं हेड गर्ल रौनक वर्मा को चुना गया। कक्षा 12 से कक्षा प्रतिनिधि मयंक मेवाड़ा, वेदिका ठाकुर कक्षा 11से दक्ष पटेल, कुमकुम कासन्या कक्षा 10 से हर्षवर्धन ठाकुर ,दीक्षा सोनगर कक्षा 9से अभिमन्यु ठाकुर नम्रता परमार

कक्षा 8th से विभा ठाकुर वैभव ठाकुर कक्षा 7thसे वेदिका ठाकुर विनीत विश्वकर्मा कक्षा 6th से हिमांशु मेवाड़ा हीरामणि ठाकुर कक्षा 5th से वीर ठाकुर कृष्णा परमार कक्षा 4 से हर्षित परमार रक्षिता गौतम कक्षा 3 से हर्षित कुशवाह पंखुड़ी वर्मा साथ ही सभी कक्षा प्रतिनिधि को अपने कर्तव्य निर्वाह के लिए प्राचार्य रीना ठाकुर द्वारा शपथ दिलवाई गई। संस्था संचालक भोलू सिंह ठाकुर सहसंचालक जीवन सिंह ठाकुर एवं सभी शिक्षक शिक्षकों द्वारा सभी छात्र-छात्राओं को बधाई दी गई।
“जहां धर्म होता है, वहां कल्याण की भावना होती है — मुनिश्री प्रवर सागर
24 तीर्थंकर महामंडल विधान में सुपार्श्वनाथ भगवान की आराधना की”
जब इस संसार पर दृष्टि पड़ती तो ऐसा प्रतीत होता है, जिनके ज्ञान और दर्शन उपयोग पृथक -पृथक समय में चल रहे हैं। साकार या निराकार रूप जो अलग – अलग समय में उपयोग हो रहे हैं वे जीव इंद्रिय सुख का अनुभव करते हैं और जिनका ज्ञान, दर्शन उपयोग युगपद चल रहा है वह जीव अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करते हैं। बारह भावना के अंतर्गत धर्म भावना को बताते हुए कहा कि जहां से धर्म भावना प्रारंभ होती है वहां से आत्मकल्याण की भावना प्रारंभ होती है और जहां धर्म की भावना नहीं होती वहां आत्म कल्याण नहीं होता,वहां तो कल्याणी अकल्याण होता है। अर्थात यदि जहां धर्म होता वहां कल्याण की भावना होती है। उक्त बातें नगर के 1008 श्री चंद्रप्रभु जिनालय अरिहंतपुरम में आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर जी मुनिराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मंदिर परिसर में चल रहे 24 तीर्थंकर महामंडल विधान के अंतर्गत आज सप्तम तीर्थंकर देवाधिदेव 1008 श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की पूजा भक्ति और आराधना श्रावकों द्वारा की गई। मुनिश्री ने कहा कि धर्म अहिंसा परमोधर्मः ही सच्चा जानो,जो पर को दुख देकर सुख माने उसे पतित मानो।अतः जहां दूसरे के प्रति सच्चे सुख की भावना है वहां धर्म प्रारंभ होता है और जहां दूसरे के प्रति सदविचार नहीं है ,उसके प्रति कष्ट का भाव है तो मान लेना चाहिए कि अभी आपका धर्म प्रारंभ नहीं हुआ।

जिनेन्द्र भगवान के श्री चरणों में द्रव्य समर्पित करने से पहले यह विचार करना कि सुखी रहें सब जीव जगत के कोई कभी न घबराए,बैर पाप अभिमान छोड़ जग नित्य नए मंगल गाए । मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने कहा जब सुबह नींद खुलती तो क्या देखते हो कि संसार में रहने वाला प्रत्येक प्राणी सुखी रहे, उसे किसी भी प्रकार से कोई कष्ट और पीड़ा न पहुंचे और मेरा किसी भी व्यक्ति के प्रति शत्रुता का भाव ना होकर मैत्री का भाव होना चाहिए। दिगंबर साधु के आहार को कभी देखना यदि भोजन में नमक नहीं होता तो भी उनके चेहरे पर मलिनता नहीं आती और नमक ज्यादा हो तो भी मलिनता नहीं आती अर्थात दिगंबर संत तो सिर्फ धर्म की रक्षा और अपनी साधना के लिए उदर की पूर्ति करते हैं। धर्म सभा के प्रारंभ में समाज के श्रावक, श्राविकाओं ने भगवान एवं आचार्य भगवंतों के चित्र अनावरण कर दीप प्रज्जवलित किया और मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज को शास्त्र भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
























