आष्टा विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपाल सिंह इंजीनियर ने आज भोपाल पहुंचकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भेंट कर उन्हें दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की ।

भेंट के दौरान विधायक गोपालसिंह इंजीनियर ने गत दिवस सीहोर जिले के बिलकिसगंज झागरिया से आष्टा के लगभग 85 हजार किसानों के खाते में पीलामोजक व अन्य बीमारियों से खराब हुई सोयाबीन की फसल का मुआवजा राशि डाले जाने पर मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त किया । स्मरण रहे गत दिवस मुख्यमंत्री जी ने बिलकिसगंज झगरिया से आष्टा विधानसभा क्षेत्र के लगभग 85 हजार किसानों के खाते में वन क्लिक से खराब हुई सोयाबीन की फसल का मुआवजा राशि डाली थी ।

भेंट के दौरान विधायक गोपालसिंह इंजीनियर ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से आष्टा विधानसभा क्षेत्र के किसानों को जो बीमा की राशि रुकी हुई है उसे भी जल्दी से जल्दी खातों में डलवाने की मांग रखी । विधायक गोपालसिंह इंजीनियर की मांग पर विधायक मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस मामले को देखेंगे ।
“29 से 5 नवंबर तक नंदीश्वर द्वीप महामंडल विधान पूजन अर्चन ,2 नवंबर को पिच्छिका परिवर्तन समारोह, आचार्य विद्यासागर प्रामाणिक पाठशाला के बच्चों ने पूजा अर्चना की
व्यक्ति त्याग – संयम से महान बनता है, ज्ञान – ध्यान में तत्पर रहो — मुनिश्री सानंद सागर”
श्रावकों का कर्तव्य क्या है,इसे समझकर कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। चतुर्दशी और अष्टमी के दिन सदभावनाओं के साथ चारों प्रकार के आहारों का त्याग करने को प्रोषघोपवास जानना चाहिए।व्यक्ति त्याग से ही महान बनता है,इस लिए त्याग अवश्य करना चाहिए । सामायिक शिक्षाव्रत के पांच अतिचार है। सामायिक करते समय वचन का दुरुपयोग करना,मन में संकल्प- विकल्प करना काय का हलन- चलन करना, सामायिक में अनादार करना और सामायिक करना भूल जाना,इन सभी को सामायिक करते समय नहीं करना चाहिए।आजकल धर्मशालाएं कर्मशालाएं हो गई है। वहां धर्म- आराधना नहीं, शादी विवाह अधिक हो रहे हैं। उपवास के दिन अष्टमी,चौदस पांच पापों से बचें और सौंदर्य सामग्री नहीं लगाएं। उपवास वाले दिन धर्म- ध्यान का लक्ष्य रखें। उपवास के दिन हिंसादिक पांच पापों का , अलंकार, आरंभ,गंध, पुष्प, स्नान, अंजन और सूंधनी आदि का परित्याग करें। उपवास करने वाले श्रावक को चाहिए वह तन्द्रा और आलस्य से रहित होकर उपवास करते हुए अति उत्कण्ठा के साथ धर्मरुप अमृत को दोनों कानों से पीवे और दूसरों को भी पिलावे तथा ज्ञान और ध्यान में तत्पर रहें। चारों प्रकार के आहार का त्याग करना उपवास कहलाता है और एक बार भोजन करने को प्रोषध कहते हैं।

उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने रत्नकरण्डक श्रावकाचार ग्रंथ का स्वाध्याय कराते हुए कहीं। आपने कहां कि इस प्रकार एक अशनरुप प्रोषध के साथ उपवास करने को प्रोषधोपवास कहते हैं।इस प्रकार के प्रोषधोपवास को करके ही श्रावक गृहस्थी के आरंभ को करता है। अर्थात प्रोषधोपवास के काल में वह सर्व प्रकार के गृहारंभ से रहित रहता है।संसार में रंच मात्र भी सुख नहीं है।

जिसे आपने सुख मान लिया वह सुख नहीं सुखावास है और यह संसार में आपको दुःख देने वाला है। संसार ठगियों की टोली है ,आपका कोई साथी नहीं, स्वार्थ है तो पूछते हैं और स्वार्थ सिद्ध होना बंद तो व्यक्ति देखना भी पसंद नहीं करते हैं। मुनिश्री ने कहा जिसके जीवन में संयम नहीं उसका जीवन शुरू नहीं,शरीर अशुचि है ।समता के अभाव में व्यक्ति भटक रहा है।जिस वस्तु में योग्यता नहीं उसे आप नहीं बना सकते हैं। दूसरे व्यक्ति के कर्ता -धर्ता नहीं बन सकते हैं। ऐसा पुरुषार्थ करें कि केवल्य ज्ञान प्राप्त हो जाएं। महाव्रती बनकर ही केवल्य ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। संयम धारण करने पर ही मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होंगे। संसार से छूटना है मोक्ष जाना है तो बिना कपड़े वालों के पीछे चले। आचार्य विद्यासागर प्रामाणिक पाठशाला के बच्चों ने आचार्य विद्यासागर मुनिराज एवं नवाचार्य समय सागर मुनिराज की रविवार को सुबह मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज के परम सानिध्य में पूजा -अर्चना कर अर्ध्य चढ़ाएं।

आदिनाथ भगवान, आचार्य विद्यासागर मुनिराज एवं नवाचार्य समय सागर मुनिराज तथा आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के चित्र का अनावरण नरेन्द्र जैन उमंग एवं संगीता जैन श्री मोड़ के साथ बच्चों ने किया। समाज के पूर्व महामंत्री नरेन्द्र- संगीता जैन उमंग परिवार ने बच्चों को पुरस्कृत कर स्वल्पाहार भी कराया। श्री अष्टान्हिका का महापर्व के पावन अवसर पर आचार्य विद्यासागर मुनिराज एवं समय सागर मुनिराज तथा आर्जव सागर मुनिराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर जी के पावन सानिध्य तथा जयदीप जैन शास्त्री के कुशल निर्देशन में 29 अक्टूबर से 5 नवंबर तक किला मंदिर परिसर में श्री नंदीश्वर द्वीप महामंडल विधान पूजन अर्चन आयोजित किया गया है।

वहीं 2 नवंबर रविवार को दोपहर 1 बजे से संयमोपकण पिच्छिका परिवर्तन समारोह आयोजित किया गया है । कार्तिक शुक्ल सप्तमी 29 अक्टूबर से कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा 5 नवंबर तक विधान के दौरान नित्य सुबह 7 बजे से श्रीजी का अभिषेक, शांति धारा, श्री नंदीश्वर द्वीप महामंडल विधान पूजन तथा मुनिश्री के आशीष वचन होंगे।
























