
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण बच्चों की हुई मृत्यु अत्यंत दुखद है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप की जाँच रिपोर्ट आने पर मध्यप्रदेश में इस सिरप की बिक्री को पूर्णता प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्रदेश में अभियान के तौर पर छापामारी कर कोल्ड्रिफ सिरप को जप्त किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि छिंदवाड़ा में इस सिरप के कारण जिन 11 बच्चों को मृत्यु हुई है, उनके परिजन को 4-4 लाख रूपये आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी। साथ ही उपचाररत बच्चों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि छिंदवाड़ा की घटना संज्ञान में आने पर कोल्ड्रिफ सिरप के सैम्पल जाँच के लिए भेज गये थे। शनिवार की सुबह जाँच रिपोर्ट में पाया गया कि जाँच नमूने अमान्य पाये गये है। इस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए कोल्ड्रिफ सिरप के विक्रय को पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य स्तर पर भी इस मामले में संयुक्त जाँच टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा।

तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक, द्वारा कोल्ड्रिफ सिरप को “नॉट ऑफ़ स्टैण्डर्ड क्वालिटी(एनएसक्यू)” घोषित किया गया है। शासकीय औषधि विश्लेषक, औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, चेन्नई के परीक्षण अनुसार इस सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा पाई गई 48.6% पाई गई है, जो एक जहरीला तत्व है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है। जिला छिंदवाड़ा से बच्चों की मृत्यु की घटनाओं की पृष्ठभूमि में इस औषधि की संदिग्ध भूमिका को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में कठोर कदम उठाए गए हैं।
नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन डॉ. दिनेश कुमार मौर्य ने प्रदेश के समस्त वरिष्ठ औषधि निरीक्षक एवं औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि उक्त दवा का विक्रय एवं वितरण तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। यदि यह दवा उपलब्ध हो तो इसे तुरंत सील कर लिया जाए तथा नष्ट नहीं किया जाए, जैसा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और नियमों में प्रावधान है। संबंधित औषधि के नमूने संकलित कर परीक्षण हेतु शासकीय औषधि प्रयोगशालाओं को भेजे जाएं। कोल्ड्रिफ सिरप के अन्य बैचेस भी यदि उपलब्ध हों तो उन्हें भी सील कर नमूने परीक्षण हेतु भेजे जाएं। जनहित को देखते हुए मेसर्स स्रेसन (Sresan) फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित सभी अन्य औषधियों की बिक्री एवं उपयोग भी तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है और इनके नमूने कानूनी परीक्षण हेतु संकलित किए जा रहे हैं। साथ ही प्रदेश में इस दवा की आवाजाही पर सख्त निगरानी के निर्देश हैं।
“सीहोर जिले के किसानो की खराब हुई फसल का मुआवजा कब मिलेगा-हरपाल ठाकुर”
कल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा खराब हुई फसल के मुआवजे को लेकर जो सूची जारी की गई उसमें सीहोर जिले का नाम नहीं होने पर कांग्रेस एक बार फिर आक्रमक हुई है । आज अखिल भारतीय कांग्रेस सदस्य हरपाल ठाकुर ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सीहोर जिले के किसानों को मुआवजे से वंचित रखना किसानों के साथ अन्याय है जब हमारे आसपास के जिले भोपाल देवास शाजापुर हरदा में किसानों को खराब हुई फसल का मुआवजा दिया जा रहा है,जिसकी सूची जारी हुई है, तो फिर बीचो-बीच स्थित पुरा सीहोर जिला इससे वंचित क्यों रखा गया सीहोर जिले के किसानों के मुआवजा की चोरी कौन कर रहा है । इसका जिम्मेदार कौन है ।

हरपाल ठाकुर ने सीहोर जिले के किसानों एवं आम नागरिकों सहित भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा है कि सीहोर जिले के किसानों को खराब हुई फसल के मुआवजे से वंचित रखने पर जिले के जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछे है की सीहोर जिले के किसानों का क्या कसूर है जो हमारे आसपास के जिलों में सब जगह किसानों को मुआवजा राशि दी जा रही है और सीहोर को क्यों छोड़ दिया गया है इसके साथ यह भी पूछा है कि पिछले वर्ष भी सीहोर जिले के किसानों की 80% सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी पिछले वर्ष का किसानों को मुआवजा क्यों नहीं दिया गया और ना ही वास्तविक रूप से बीमा दिया गया यह अन्याय सीहोर जिले के किसानों के साथ क्यों किया जा रहा है ।
“शहीद भगत सिंह स्नातक महाविद्यालय में सेवा पखवाड़े का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न”

शहीद भगत सिंह स्नातक महाविद्यालय में दिनांक 4 अक्टूबर को सेवा पखवाड़े का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक गोपाल इंजीनियर, विशेष अतिथि नगर मंडल अध्यक्ष विशाल चौरसिया कार्यक्रम में उपस्तिथ रहे । विद्यालय के प्राचार्य धर्मेन्द्र सूर्यवंशी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया । इस अवसर पर विधायक गोपाल सिंह इंजीनियर ने अपने उद्बोधन में कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि ’’स्वच्छता केवल एक अभियान नहीं बल्कि एक जन आंदोलन है। जब प्रत्येक नागरिक अपने परिवेश को स्वच्छ रखेगा तभी देश स्वस्थ और विकसित बन सकेगा। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश में स्वच्छता को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य हो रहा है, जिसमें युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।” विशेष अतिथि विशाल जी चैरसिया ने अपने संबोधन में युवाओं की स्वच्छता में भूमिका पर विशेष जोर देते हुए कहा कि “स्वच्छता केवल सरकार की नही हम सब की जिम्मेदारी है ।
महाविद्यालय के प्राचार्य धर्मेंद्रसिंह सूर्यवंशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सेवा पखवाड़ा जैसे आयोजन छात्रों में सामाजिक जिम्मेदारी, सेवा भावना और अनुशासन का विकास करते हैं। सेवा पखवाड़े के अंतर्गत महाविद्यालय में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं – जिनमें भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, चित्रकला तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता प्रमुख रहीं।

इन प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार वितरित किए गए। समारोह में महाविद्यालय के शिक्षकगण, कर्मचारी, छात्र-छात्राएँ एवं एनएसएस वा एनसीसी स्वयंसेवक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम आभार प्रदर्शन डॉ. ललिता राय श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉक्टर दीपेश पाठक शशांक दुबे दीपक मालवीय डॉक्टर मेघा जैन डॉक्टर मधुरानी, डॉ अमिला पटेल,जगदीश नागले,राजेश्वर भूतिया,वसीम खान,मुकेश परमार,वैभव सुराणा महेंद्र सक्सेना,सतेंद्र सक्सेना,सुनील श्रीवास्तव,माधुरी उपाध्याय,रुकिशोर शर्मा,बने सिंह मेवाड़ा,राहुल प्रजापति आदि उपस्थित थे।

“पानी का उपयोग घी की तरह करेंगे तो कभी भी जलसंकट का सामना नहीं करना पड़ेगा — मुनिश्री सानंद सागर”
जो गृहस्थ है वह त्रस्त है, जितना परिग्रह रहेगा उतना ही अधिक त्रस्त रहेगा।पांच पाप है हिंसा,झूठ, अचौर्य, अब्रह्मचर्य एवं परिग्रह। त्याग की महिमा अपरम्पार है, इससे सानंद आएगा। अणुव्रत वाले ही व्रत अंगीकार करते हैं। अहिंसा व्रत वाले पांचों पाप से दूर रहता है। दिशाएं बांध लेवें कि इस दिशा में ही जाऊंगा,बाकि दिशाओं का त्याग करोगे तो पुण्य अर्जित होगा। पानी घी की तरह उपयोग करें, कभी भी जलसंकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। फालतू पानी नहीं ढोले। अहिंसा व्रत धर्म का पालन करें।नियम लोगे तभी त्याग का पुण्य अर्जित होगा। जिसके पास अणुव्रत नहीं वह श्रावक भी नहीं है। अणुव्रत लेने या कुलाचार का पालन करने वाले एक प्रतिमा धारी बन जाते है। जिनवाणी को जहां से उठाया है, उसे वहीं पर व्यवस्थित विराजमान करें, उसमें चावल आदि न रह जाए,इस बात का ध्यान रखें। वैय्यावृति व्यापक है। जिनवाणी, भगवान एवं साधु-संतों की वैय्यावृति कर पुण्य अर्जित करें।
उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने रत्नकरण्डक श्रावकाचार ग्रंथ का स्वाध्याय कराते हुए कहीं।मंदिर पर ध्वजारोहण करने से ध्वज जैसा लहराएगा वैसी ही ध्वजारोहण करने वाले की व धर्म की यश कीर्ति होगी। मार्वल वाले पाटनी जहां भी जाते हैं वहां ध्वजारोहण की बोली अवश्य लेते हैं।झूठ नहीं बोले,झूठ बोलने वाले पर विश्वास नहीं करते हैं, संबंध कच्चे धागे की तरह नहीं हो।लोभ को मूर्छा बताया है।

लोभ के कारण व्यक्ति अनादिकाल से प्राण गंवा रहा है।लोभ के वशीभूत किसी की धन संपत्ति हरण करना चोरी में आता है। पांचों पाप जेल जाने के समान है।जो भी गलत कार्य की अनुमोदना करने वाले पाप आश्रव में आता है, सही काम करने की अनुमोदना करने से पुण्य अर्जित होगा। मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने संकल्प हिंसा का त्यागी श्रावक को कहा है।संकल्प हिंसा का त्यागी मोक्ष का हकदारी है। मंदिर में कभी भी गलत भाव नहीं बनाएं, पूजा अर्चना के दौरान बाहर के सभी विकल्पों को छोड़ देवें। पुण्य के कारण कर्म उदय में आकर कब निकल जाते हैं पता ही नहीं चलता है। बुरा करके अच्छा चाहते हैं तो यह संभव नहीं। धर्म कार्य में बांधा डालने वाले को पाप आश्रव होगा।

अच्छे काम में बाधा नहीं डालें।जो बोओगे वहीं काटोगे। सम्यकचारित्र का स्वरूप पापों के आने के द्वार रुप हिंसा,झूठ, चोरी, मैथुन – सेवन और परिग्रह से विरक्त होना सम्यक ज्ञानी पुरुष का चारित्र है, अर्थात पांच पापों के परित्याग को सम्यक चारित्र कहते हैं ।रागद्वेष की निवृत्ति से हिंसादि पापों की निवृत्ति स्वतः हो जाती है।इसका तात्पर्य यह है कि वर्तमान में जो रागादिक भाव चल रहे हैं उनका क्षयोपशमादि होने पर हिंसादि पापों का त्याग रुप चारित्र होता है।तदनन्तर आगामी काल में होने वाले रागादिक भावों की निवृत्ति भी इसी तरह आगे – आगे प्रकृष्ट से प्रकृष्टतर और प्रकृष्टतम होती जाती है। ऐसा होने से हिंसादि पाप स्वयं निवृत्त होते जाते हैं , छूटते जाते हैं।राग और द्वेष की निवृत्ति से हिंसा आदि पापों की निवृत्ति स्वतः हो जाती है।तब धन की अपेक्षा से रहित ऐसा कौन पुरुष है जो राजाओं की सेवा करता हो।हिंसादि पापों की निवृत्ति किये जाने पर ही राग-द्वेष की निवृत्ति होती है, क्योंकि राग -द्वेष की निवृत्ति के लिए ही चारित्र धारण करेगा। जिसे आजीविका रुप फल की अपेक्षा नहीं है क्या वह राजा की सेवा करता है।
