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आष्टा नगर के अलीपुर क्षेत्र में संचालित मार्टिनेट कान्वेन्ट हायर सेकेण्डरी स्कूल के कक्षा 11 वी तथा 12 वी के बायोलॉजी विषय के विद्यार्थियो द्वारा एकेडमिक इंचार्ज तथा बॉयोलॉजी व्याख्याता अतुल जैन सुराणा के नेतृत्व में नगर में स्थित आनंदम नेत्रालय का भ्रमण किया गया । हास्पिटल प्रबंधन की ओर से नगर के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. अतुल उपाध्याय द्वारा विद्यार्थियों की कक्षा ली गई और अस्पताल किस प्रकार संचालित होता है,किस रोग के पीड़ित आते है,यहा इलाज की क्या क्या सुविधाए ही इसकी जानकारी प्रदान की गई।

इस अवसर पर मार्टिनेट विद्यालय की ओर से विनीत त्रिवेदी, अतुल सुराणा द्वारा दुपट्टा पहनाकर और पुष्पगुच्छ भेंट कर डॉ. अतुल उपाध्याय का स्वागत सम्मान किया गया तथा उन्होनें विद्यार्थियों को जो समय दिया और अस्पताल भ्रमण की अनुमति प्रदान की, उसके प्रति आभार व्यक्त किया। डॉ. उपाध्याय नें विद्यार्थियों को अस्पताल में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के साथ किन मशीनो के द्वारा ऑखो की जांच करके उसमें क्या खराबी है इसका पता लगाया जाता है, यदि समस्या आंखो से चश्मे से हल हो सकती है तो कौन-कौन से लेन्स का प्रयोग होता है,यदि आंखो की सर्जरी की आवश्यकता होती है तो ऑपरेशन थियेटर में किन किन उपकरणो का प्रयोग किया जाता है इसकी जानकारी दी ।

डॉ उपाध्याय ने बच्चो को ऑखो की केयर किस प्रकार करनी चाहिये, अधिक मोबाईल या कम्प्यूटर का उपयोग करने से ऑखो में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है इन सब की विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने बताया कि मोबाईल का लगातार उपयोग करने से जो रेडियेशन निकलता है उससे आंखो की नमी सूख जाती है और इस कारण आंखो में कई प्रकार की समस्यायें आती है। कई मरीजो को सामने लाकर विद्यार्थियों को बताया गया कि ऑखों में क्या बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही अभी नेत्रदान पखवाड़ा चल रहा है,उन्होनें विद्यार्थियों को बताया कि आपके नेत्रदान का संकल्प कम से कम दो लोगो की आंखो को रोशन कर सकता है।

नेत्रदान मरणोपरान्त ही किया जाता है अतः जो भी नेत्रदान करे वह अपनें संकल्प के बारे में अपने परिजनो को अवश्य बतायें क्योंकि व्यक्ति के जाने के बाद परिजन की नेत्रदान की प्रक्रिया को पूर्ण करवाते हैं। इस संबंध में उन्होनेआष्टा नगर में स्थानीय तौर प्रथम नेत्रदान करने वाले स्व. अशोक कुमार सुराणा का भी उल्लेख करके विद्यार्थियों को प्रेरणा प्रदान की।

दृष्टि ना तो जन्म और ना ही मरण पर होनी चाहिए, दृष्टि तो सिर्फ धर्म ध्यान पर होनी चाहिए-मुनि श्री प्रवर सागर जी,श्वेताम्बर जैन समाज कल मनायेगा संवत्सरी महापर्व

यदि जीवन में समीचीनता है तो सम्यकज्ञान और जीवन में यदि समीचीनता नहीं है तो मिथ्या ज्ञान की वृद्धि होती है।जिनके आत्म सूर्य से कर्म रूपी बादल छट गए हैं, वे जीव अनंत सुख का अनुभव करते हैं और जिनके आत्म सूरज पर कर्म रूपी जो बादल प्रति समय आच्छादित हो रहे हैं, ढक रहे हैं, उनका जो ज्ञान है वह क्षयोपशमिक है,वह अनंत ज्ञान को देने वाला नहीं होता वह कर्म के उदय से उत्पन्न होकर संसार के परिभ्रमण का कारण बनता है। ज्ञान की विशेषता को बताते हुए कहा कि जैसा जीव का ज्ञान होता है वैसा जीव का पुरुषार्थ होता है।

उक्त बातें नगर के श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरिहंत पुरम अलीपुर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने आशीष वचन देते हुए कही। आचार्य नेमीचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती ने ज्ञान को 8 प्रकार का बताया 3 कुज्ञान और 5 सुज्ञान। कुमति, कुसुत, कुअवधि , मिथ्यात्व ज्ञानावरणी कर्म के संयोग से जो ज्ञान उत्पन्न होता वह कुज्ञान कहलाता है। सम्यकत्व के सदभाव में जो ज्ञान होता है वह सुज्ञान कहलाता है। जिनके अंदर सम्यक धर्म है वही श्रावक सम्यकदर्शन को प्राप्त कर सकता है।परोक्ष ज्ञान इंद्रिय और मन की सहायता से इसके विपरीत जो इंद्रिय और मन की सहायता से नहीं होता वह प्रत्यक्ष ज्ञान कहलाता है। केवलज्ञान स्वप्रकाशित और परप्रकाशित दोनों तरह से होता है, वह अपनी आत्मा को भी जानता और संसार के समस्त पदार्थों को भी जानते हैं ,उसी समय में अपनी आत्मा के गुणों को भी समझते और पर के गुणों को भी समझते हैं वही केवलज्ञान कहलाता है। मुनिश्री प्रवर सागर जी मुनिराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम किसकी दौड़ में लगे हुए हैं आत्मीय सुख की दौड़ में अथवा पर पदार्थों के सुख की दौड़ में ।

एक बार आचार्य भगवंत विनिश्चय सागर जी युवा अवस्था में थे तब वह एक बार आचार्य विराग सागर महामुनिराज के पास गए जो पन्ना जिले में विराजमान थे, वहां उनके साथ निमित्त ज्ञानी आचार्य भगवंत श्री विमल सागर जी मुनिराज भी विराजमान थे, उन्होंने दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया ।तब आचार्य विमल सागर जी ने अपने निमित्त ज्ञान से यह जान लिया कि पथरिया में मां कुसुम देवी की कोख से जन्मा अरुण बालक एक दिन जरूर मुनि बनेगा। आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी का मुनि बनने का कोई विचार नहीं था जैसे ही निमित्त ज्ञानी गुरुदेव का आशीर्वाद मिला और उनके भाव परिवर्तन होने लगे और कुछ समय बीतने के बाद वह आचार्य विराग सागर जी के पास आए सर्वप्रथम उन्हें ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया और फिर महाव्रतों को धारण करके अपनी आत्मा का कल्याण किया और आचार्य भगवंत गुरुदेव श्री विराग सागर जी से भव्य दिगम्बर दीक्षा को धारण किया। आपने कहा कि इस संसार पर दृष्टि पड़ती तो ऐसा प्रतीत होता है कि जिन्होंने स्वर्ण आत्मा से कर्म पाषाण को अलग कर दिया है, धर्म और शुक्ल ध्यान से उस पाषाण को नष्ट कर दिया और जो स्वर्णमय आत्मा हो गई ।

वह जीव अनंत सुख का अनुभव करते हैं और जो स्वर्णमय आत्मा कर्म पाषाण से ढंकी हुई है , स्वभाव जिसका ढंका हुआ है , वह जीव इंद्रिय सुख का अनुभव करते हैं , वह जीव पुरुषार्थ करके धर्म और शुक्ल ध्यान की अग्नि से वह पाषाण अलग हो सकता है और आत्मा का वास्तविक ज्ञान प्रकट हो सकता है। कितने जन्मों के पुण्य से जिनवाणी और देवशास्त्र गुरु की शरण और अरिहंत भगवान की भक्ति मिल रही है , जब कोई तिर्यंच सम्यकदर्शन को प्राप्त कर विचार करता है और वह सम्यकदृष्टि, अणुव्रती होकर अपने आपको कोसते हुए अपने पूर्वोपार्जित पाप को कोसता है कि जिनेंद्र भगवान के दर्शन तो कर पा रहा हूं लेकिन उनका अभिषेक नहीं कर पा रहा हूं। जब देवों को जाति स्मरण होता तो वह चिंतन करते हैं कि यदि मैं मनुष्य पर्याय को प्राप्त करता तो संयम को धारण करके कर्मों का क्षय करते हुए निर्वाण को प्राप्त कर लेता है।

“श्वेताम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व का अंतिम दिन आज,आज मनाया जायेगा संवत्सरी महापर्व,सभी जीवों से करेंगे क्षमायाचना”

विगत एक सप्ताह से चल रहे श्री श्वेतांबर जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के अंतिम दिन आज 27 अगस्त को श्री श्वेतांबर जैन समाज संवत्सरी पर्व मनाएगा तथा शाम को सभी तीनो मंदिरो एवं स्थानक में संवत्सरी प्रतिक्रमण होगा जिसमे सभी श्रावक श्राविकाएँ 84 लाख जीवो से वर्ष भर में हुई समस्त भूलो,गलतियों के प्रति क्षमा याचना करेंगे । आज प्रातः नगर के तीनों श्वेतांबर जैन मंदिरों से तपस्या करने वाले श्रावक श्राविकाओं का चैत्र परिपाटी का जुलूस निकलेगा ।

“जनपद आष्टा की सभी ग्राम पंचायतो मे जनधन खाते खोलने एवं बीमा योजना में पंजीयन हेतू लगाए जा रहे है कैंप”

मध्य प्रदेश शासन एवं वित्त विभाग के अपर सचिव द्वारा जारी आदेश एवं कलेक्टर सीहोर बालागुरु एवं सीईओ ज़िला पंचायत नेहा जैन के निर्देश पर जनपद पंचायत आष्टा अंतर्गत सम्मिलित सभी 144 ग्राम पंचायतों में नियमित तौर पर कैम्प लगा कर जन धन योजना अंतर्गत नवीन बैंक खाते खुलवाना,खाता धारकों को प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना अंतर्गत ग्रामीणों को बीमा योजना में पंजीयन का लाभ प्रदान करने के सख्त निर्देश ग्राम पंचायतो और बैंक मित्रो को दिए है ।

शासन द्वारा ग्राम स्तर पर आयोजित होने वाले कैम्प में प्रमुख तौर पर महिलाओं और वृद्धजनों द्वारा उत्साह पूर्वक भाग लिया जा रहा है । आयोजित होने वाले कैम्प से एक दिन पहले ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम में डोंडी पीट कर ग्रामीणों को सूचना दी जाती है ,जिससे अधिक से अधिक ग्रामीणों को बैंक द्वारा संचालित बीमा योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके । समस्त कैम्पों में संबंधित बैंक मित्र उपस्थित हो कर समस्त प्रकार की गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं ।

ग्राम स्तर पर कैम्पों के निरंतर आयोजन से ग्रामीण जन काफी खुश हैं और शासन को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं । इन कम्प मे मौक़े पर ही ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधाओं का लाभ मिल रहा है । कैम्पो का निरीक्षण लगातार क्लस्टर के प्रभारियों द्वारा किया जा रहा है । कैंप 30 सितम्बर तक लगाए जायेंगे कैंप मे अनुपस्थित जिम्मेदारो पर कार्यवाही के निर्देश जिला कलेक्टर द्वारा दिए गए है ।

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