कहानी घर – घर की नित्य सुनते हैं बड़े होते ही माता- पिता को छोड़ देते हैं,जितना आनंद त्याग में है वह जोड़ने में नही –मुनि निष्पक्ष सागर,सिंहनी का दूध केवल स्वर्ण पात्र में ही टिकता है-मुनि निष्प्रह सागर महाराज
आष्टा। हम कल से उत्सव- महोत्सव मना रहे हैं। आष्टा वालों के हिस्से में चार माह तक पर्व ही पर्व है।धर्म, आराधना ,ज्ञान अर्जन में बीते। जिनवाणी,देव शास्त्र गुरु की…