“पुष्प विद्यालय में स्काउड गाइड का शिविर सम्पन्न”
आज प्रातः 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक पुष्पा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के स्काउट गाइड ने प्रथम सोपान में एक दिवसीय शिविर में भाग लिया । शिविर में भोपाल से आए श्री संजू मेवाड़ा जी ने शिविर का संचालन किया गया ।
साथी सहायक के रूप में श्री राजेश सेन स्काउट मास्टर और स्कूल की शिक्षक द्वारा भी स्काउट गाइड गतिविधियों के बारे में जानकारी बताई गई । वह प्रथम सोपान में जो भी पाठ्यक्रम होता है उसमें प्रशिक्षण दिया गया एवं जांच की गई. इस अवसर पर प्राचार्य फादर मेलविंसी जे उपस्थित रहे। उन्होंने स्काउट गाइड को साहसिक कार्य करने वह आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया और इस ए वन डे कैंप के अवसर पर प्राचार्य द्वारा श्री संजू मेवाड़ा जी का आभार जताया ।
शिविर का समापन सर्व धर्म प्रार्थना से किया गया जिसमें सभी बच्चों ने अनुशासन में रहकर प्रथम सोपान शिविर को सफल बनाया।
पुष्पा हाई सेकेंडरी स्कूल के स्काउट गाइड ने प्रथम सोपान एकदिवसीय शिविर मैं भाग लिया
“फुटबाल प्रतियोगिता के क्वाटर फाइनल मुकाबले में नाइजीरियन सीनियर रही विजयी”
स्थानीय सुभाष मैदान पर आयोजित अखिल भारतीय फूटबाल प्रतियोगिता का क्वाटर फाइनल मुकाबला नाइजीरिया भोपाल सीनियर और इछावर इलेवन के बीच खेला गया।
इस मुकाबले के मुख्य अतिथि नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा, विजेन्द्रसिंह ठाकुर मायसेम मंचासीन थे। क्वाटर फाइनल मुकाबले में नाइजीरिया भोपाल सीनियर टीम ने लगातार तीन गोल दागकर इछावर इलेवन को 3-0 से पटखनी देकर मुकाबला अपने नाम किया। मुकाबले के प्रारंभ में प्रतियोगिता के आयोजक दानिश खां ग्रीन, नासीर खां, फैजल पठान, हैदर पठान द्वारा मुख्य अतिथि रायसिंह मेवाड़ा, विजेन्द्रसिंह ठाकुर, डॉ. राजेश सेठिया का साफा बांधकर एवं पुष्पमाला पहनाकर स्वागत सम्मान किया। क्वाटर फाइनल मुकाबले को देखने हजारों की संख्या में खेलप्रेमी मैदान पर एकत्रित हुए।
विजेता रही भोपाल नाइजीरिया सीनियर टीम के खिलाड़ियों का मंचासीन अतिथियों द्वारा पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया एवं जीत की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विजेता टीम फाइनल मुकाबला अपने नाम करें इसी प्रकार और अपने खेल को उत्कृष्ट कर प्रतियोगिता को अपने नाम करें। साथ ही नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा ने उपविजेता रही इछावर की टीम के खिलाड़ियों को कहा कि हार से निराश न होकर अपने खेल को सुधार करने का निरंतर प्रयास करें।
ज्ञात रहे कि मंगलवार को दोनों सेमीफाइनल मुकाबले होंगे। इस अवसर पर नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा, मोहनसिंह मेवाड़ा, विजेन्द्रसिंह ठाकुर, आरिस अली, डॉ. हसीब खान, सुशील पांचाल, बलवीरसिंह ठाकुर, गगन तिवारी, पवन बैरागी सहित बड़ी संख्या में खिलाड़ीगण मौजूद थे।
“संसार में व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा हो जाए संभव कम रहता है, हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए, हताश नहीं होना चाहिए –मुनि श्री निष्पक्ष सागर महाराज”
विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति को कभी हताश नहीं होना चाहिए ।हर परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत रखना चाहिए ।संसार में व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा हमेशा नहीं हो पाता है।साधु और समाज दोनों बहुत बड़ी कड़ी होने के साथ दोनों एक दूसरे के पूरक भी हैं। संसार में उलझे नहीं सुलझने का प्रयास करें। व्यक्ति को मोहिनी कर्म नचाता है। यह संसार असार है। व्यक्ति सब-कुछ अपना समझता है ,लेकिन कोई मेरा नहीं, दुनिया रैन बसेरा है।यह दुर्लभ मनुष्य पर्याय हाथ से निकल जाएगी।
समय रहते अपने कर्मों का क्षय कर मोक्ष मार्ग पर चलें। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज एवं मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने रविवार की रात को नगर के अभिषेक जैन के मासूम बालक वर्धन की मौत मकान की दूसरी मंजिल से गिरने पर उपचार के दौरान इंदौर में मौत होने पर कहा कि उक्त बालक धर्मनिष्ठ परिवार का सदस्य था।
यह दुखद सूचना मिलने पर चारों मुनियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए पिच्छिका परिवर्तन कार्यक्रम समाज जनों से चर्चा कर स्थगित कर दिया। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा संसार में व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा होता नहीं है।एक तरफ संयम उत्सव की तैयारियां थी, दूसरी तरफ अनहोनी घटना घटित हो गई। व्यवहारिकता को भी हमें देखना पड़ता है। संसार में पल में खुशी पल में शोक हो जाता है। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज पल पल में सचेत करते रहते थे कि कभी भी कोई स्थिति निर्मित हो जाती है।
कभी भी हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। आप अपने परिणामों को संभालें। जीवन में हर परिस्थिति में रहने का साहस रखें ।तंबू उखड़ने के पहले आत्म कल्याण की बात क्यों नहीं समझते। स्वयं में रमो मोक्ष को प्राप्त करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। जिनवाणी को नित्य ही श्रवण करें।