दिगम्बर जैन समाज के पर्यूषण महापर्व प्रारंभ….पहला दिन उत्तम क्षमाव्यक्ति की दृष्टि सुधर जाए तो सृष्टि स्वयं सुधर जाती हैं,व्यक्ति चाहे तो अपने अंदर अमृत के झरने वहां सकता है और कषायों की नालियां भीक्षमा वीरों का आभूषण है –मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज
आष्टा । जिसको हम दुनिया को बांटते हैं वह है त्यौहार और पर्व हमें जोड़ने नहीं गलत कामों , कर्मों को छोड़ने का संदेश देते हैं।पर्व के दिन आनंद देते…