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भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र में 2437 वर्ग किलोमीटर अर्थात 2 लाख 43 हजार 700 हेक्टेयर की वृद्धि होने पर वन समितियों और वन विभाग के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लिये बड़ी उपलब्धि है। भारतीय वन सर्वेक्षण 2019 की रिर्पाट में यह तथ्य प्रदर्शित किए गए हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005 में प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र 4239 वर्ग किलोमीटर था, जो 2019 में बढ़ कर 6676 वर्ग किलोमीटर अर्थात 6 लाख 67 हजार 600 हेक्टेयर हो गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में वन विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समुदाय की भागीदारी से वनावरण में वृद्धि होने पर वन समितियों के कार्यों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि वनावरण बढ़ाने वाली वन समितियों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत किया जायेगा। वन समितियों को सशक्त बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा वे स्वयं वन क्षेत्र विस्तार में बेहतर कार्य करने वाली वन समितियों के द्वारा लगाये गये वनों का अवलोकन करेंगे।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वनावरण में वृद्धि के साथ ही वन आधारित गतिविधियों तथा वनोपजों के संग्रहण और विक्रय में रोजगार के अवसर बढ़ाये जाये। बैठक में बताया गया कि सात लाख 68 हजार व्यक्तियों को 100 दिवस रोजगार देने का एक्शन प्लान तैयार हो गया है, जो एक अप्रैल 2021 से क्रियान्वित होगा। इसके साथ ही 317 ग्राम वन समितियों की सूक्ष्म प्रबंध योजना तैयार की गयी है।


बैठक में वन मंत्री कुंवर विजय शाह, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल, वन सचिव श्री अजय यादव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री एम. सेलवेन्द्रन तथा वन विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
प्रदेश में 32 लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया गया है। समर्थन मूल्य की जानकारी ग्रामीणों को दी जा रही है।
“अनुग्रह अनुदान राशि बढ़ेगी”
वीर गति प्राप्त वनकर्मियों के आश्रितों की अनुग्रह अनुदान राशि 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये की जायेगी।
“लघु वनोपज प्रजातियों का रोपण बढ़ेगा”
लघु वनोपज का संवहनीय प्रबंधन के अंतर्गत विभागीय वृक्षारोपण में लघु वनोपज प्रजातियों के रोपण को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जायेगा।


“बफर में सफर शुरू”
‘बफर में सफर’ के अंतर्गत बफर जोन में दिन एवं रात्रि सफारी, हॉट एयर बैलून तथा मचान गतिविधियों को शुरू किया गया है।
“बाघ परियोजना”
संजय एवं सतपुड़ा बाघ परियोजनाओं के विकसित रहवास में बाघों का पुनर्स्थापन किया जायेगा। इसी तरह गांधी सागर और नौरादेही में बाघ पुनर्स्थापना के लिए गांधी सागर में 56 चीतल और नौरादेही में 318 चीतल पुनर्स्थापित किये गये हैं।
“तेंदुआ प्रदेश”
बाघ प्रदेश के बाद देश के 26 प्रतिशत तेन्दुओं की संख्या के साथ मध्यप्रदेश तेन्दुआ प्रदेश भी बन गया है। भारत में तेन्दुओं की संख्या 12 हजार 852 है, जबकि मध्यप्रदेश में तेन्दुओं की संख्या 3 हजार 721 है।


बैठक में बताया गया कि 86 वन-धन केन्द्रों के माध्यम से लघु वनोपज के मूल्य संवर्धन एवं विपणन से 25 हजार हितग्राहियों को वर्ष भर रोजगार देने का लक्ष्य है। बाँस की गुणवत्ता मूल्य संवर्द्धन के लिये 20 बाँस क्लस्टरों का व्यवस्थित विकास किया जायेगा।


“ईको पर्यटन”
ईको पर्यटन के लिये 129 स्थल चयनित किये गये है। ईको पर्यटन गतिविधियों के संचालन में वन समितियों को प्राथमिकता दी जा रही है। अभी तक 350 व्यक्तियों को ईको पर्यटन में रोजगार मिला है। दीर्घ-कालीन लक्ष्य 1300 व्यक्तियों को रोजगार देने का है।

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