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आष्टा। आष्टा अनुविभाग के थानों में क्या क्या होता है,क्या क्या नहीं होता है, जो हो जाए समझो वह कम है।
अभी 3 दिन पूर्व भी तहसील में भाजपा नेताओं ने अनुविभाग के विभागों में क्या क्या हो था है को लेकर अति गम्भीर आरोप लगाये गये उसमे पुलिस विभाग पर भी गम्भीर आरोप लगाये गये थे।
अब आष्टा अनुविभाग के दो थाने एक बार फिर बड़ी तेजी से चर्चा में आए हैं पहला मामला दूरस्थ ग्राम के सिद्धिकगंज थाने का चर्चा में है खबर है कि कल इस थाने के सिद्धिकगंज ग्राम के कुछ लोगों ने एक बाइक चोर को पकड़ा, बाइक चोर को पकड़कर ग्रामीण थाने ले गए और पुलिस को सौंपा ।

फाइल चित्र


सूत्रों से खबर है कि इस बाइक चोर को जनता ने रामपुरा डैम क्षेत्र की निकली नहर के किनारे एक खेत की मेड पर से बाइक चुरा के ले जाते पकड़ा था।
खबर है की उक्त सौपा व्यक्ति सिद्धिकगंज थाने से पुलिस की लापरवाही के कारण भाग गया.? वैसे पुलिस इस मामले में अभी मौन धारण किए हुए हैं।
आज सिद्दीकगंज टीआई श्री कनेश से जानकारी चाही तो बताया सीहोर बैठक में है।
लेकिन हमारे सूत्र बताते हैं कि कल दोपहर में लगभग 12 से 1 बजे सिद्धिकगंज ग्राम के एक कृषक जिन की खेती रामपुरा डैम से निकली नहर के नीचे है।
उक्त कृषक अपने खेत पर अपनी बाइक से गया था, बाइक को रामपुरा डैम की नहर के किनारे खड़ा कर खेत पर चला गया थोड़ी देर में देखा कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी बाइक चुरा के ले जा रहा था, तब उसका पीछा किया और थोड़ी दूर पर ही उसे दबोच लिया।
जिसे बाइक चुराकर ले जाते हुए पकड़ा था उसे ग्रामीणों ने ले जा कर सिद्धिकगंज पुलिस को सौंप। पुलिस ने उसे बैठा लिया, बैठाने के बाद उससे पूछताछ,बातचीत हुई,पुलिस अपने काम मे लग गई,शायद उसकी और ध्यान नही दिया होगा इसका फायदा उठाते हुए,उक्त बाइक चोर थाने से भाग खड़ा हुआ ।
जब यह खबर सिद्धिकगंज से रेंगती हुई आष्टा प्रेस तक पहुंची तब आष्टा प्रेस ने सिद्धिकगंज पुलिस से पूरे मामले की जानकारी के लिए फोन लगाया तब पुलिस के कान खड़े हुए,आभास हुआ की मामला आगे तक जा सकता है तत्काल उन्होंने उन लोगों पर दबाव बनाना शुरू किया जिन लोगों ने इस चोर को पकड़कर पुलिस को सौंपा था। सूत्र बताते हैं कि बाइक चोर को जब पुलिस को सौपा तब पुलिस में उसकी तलाशी ली,तलाशी में उसके पास से आधार कार्ड भी निकला था खबर है कि आधार कार्ड पर उसका नाम पता सब लिखा था यह देवास जिले के सतवास कांटाफोड़ क्षेत्र का रहने वाला बताया जाता है।


जब थाने से ग्रामीणों ने इस चोर को गायब देखा तब प्रश्न किए तब पुलिस ने इस मामले को दबाने के लिए उन्हें यह कहकर संतुष्ट करने का प्रयास किया कि तुम लोगों ने जिसे पकड़ा वो कोई चोर नहीं था,तुमने गलत आदमी को पकड़ लिया। बड़ा प्रश्न आखिर पुलिस ने यह कैसे तय कर लिया कि जिसे पकड़ कर ग्रामीणों ने पुलिस को सौंपा वह बाइक चोर नहीं था.? बिना जांच-पड़ताल के ही पुलिस ने अपना फैसला सुना दिया और शायद यही फैसला चोर के कानों तक भी पहुंच गया होगा और वह वहां से भागने में सफल हो गया। लेकिन आष्टा मीडिया को खबर लगते के बाद अब पुलिस परेशानी में है।
खबर है कि पुलिस ने अब अपनी बचाने इस चोर को पकड़ने के लिए देवास जिले की ओर एक दल रवाना भी किया है।
दूसरा मामला एक दूसरे थाने का है यह भी बाइक से ही जुड़ा हुआ है। भंवरा से एक व्यक्ति की बाइक चोरी हुई,2 बाइक चोरो को चौपाटी पर पकड़ लिया,भीड़ जमा हो गई,100 डायल भी आई,आरोप है दो में से एक को भगा दिया या वो भाग गया ये जांच का विषय हो सकता है.? एक पकड़े युवक को पुलिस सम्बंधित थाने ले गई जिन लोगो ने जिसे पकड़ा था,पुलिस चाहती थी की मामला यही सुलझा लो नही तो परेशानी होगी,जो पुलिस लोगो की परेशानी दूर करती हो,वो ही जब यह कहे कि देखलो नही तो परेशानी होगी,परेशान हो जाओगे तो बड़ा दुख होता है.! पुलिस जो चाहती थी,दुखी पीड़ित उस पक्ष में नही थे,इसको लेकर पुलिस और पीड़ितों के बीच बहस भी हुई,जब पुलिस को लगा मामला नही निपट सकता है तो खबर है बाद में उसे आष्टा थाने भेजा गया। ये दोनों मामले देखा जाये तो गम्भीर नही अति गम्भीर है,पर हमारे कहने,मानने से क्या होता है,जिन्हें मानना, देखना,सुनना है वो ये बात सुने-देखे-माने तो कुछ परिणाम कुछ नजर आ सकते है.? नही तो ये वो घुंघरू है जो बजते नही…पर बहुत कुछ कहते जरूर है।

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