जैन साधु की कठिन तपस्या हाथों से कैश लोचन,संसार में सुख बहुत भोग लिया,अब आत्म कल्याण के लिए वन में जाएं–मुनिश्री निष्काम सागर महाराज
आष्टा । मंगलवार 1 अक्टूबर को प्रातः काल की पावन बैला में नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास कर रहे संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य परम पूज्य मुनि श्री 108 निष्कंप सागर जी महाराज जी ने कैश लोचन किया ।
जैन साधु संतों की इस चर्या को देखकर अनेक आश्चर्यचकित रह जातें हैं। तपस्चर्या साधु का गुण होती है । रत्नत्रय के साधक दिगम्बर साधुओं के लिए कठोर साधना आत्मा के अलंकार का कारण होती है । तन के प्रति निर्मोही और मन मे वात्सल्य लिए आत्म धन की प्राप्ति का पुरुषार्थ करने में लीन साधु संघ की हर चर्या में शास्त्रीय लालित्य और गुरु निर्देश के पालन की प्रतिबद्धता झलकती है ।
नगर में विराजित आचार्य विद्यासागरजी महाराज के संज्ञा उपदेशी संघ के चारो ही श्रमणों के सानिध्य में पुण्य लाभार्थी श्रावकों की धर्मानुभूति नवीनता का संचय कर रही है । परस्पर प्रेरक यह साधु संघ कठोर तपस्चर्या में आत्म परीक्षक के रोल में दिखाई देते हैं ।
जैन धर्म मे पर्व निग्रह और संयम के प्रति उत्साह का कारण बनते हैं । चातुर्मास में साधु संघ का ठहराव श्रावकों के हित का कारण तो बनता ही है यह सांस्कृतिक मूल्यों और धर्म की मजबूती का कारण भी बन जाता है ।इस दिव्य वातावरण में चारों ही मुनिराज अपनी दिव्य देशना और तपोबल से समाज को उपकृत कर रहे हैं वहीं उनकी प्रेरणा श्रावकों को भी धर्मपथ पर निरन्तर अग्रसर कर रही है ।विगत दिनों संघस्थ मुनि निष्कम्प सागर जी ने जैन धर्म के सोलह कारण पर्व पर निर्धारित 32 दिनों में सोलह उपवास करके भावनाओं के सौपान पर उत्तरोत्तर चढ़ने का आध्यत्मिक उपक्रम करके साधकों के समक्ष प्रभावना और पुरुषार्थ का आदर्श प्रस्तुत किया ।
मुनि श्री ने अपने प्रवचनों में दिगम्बर जैन धर्म मे आत्म कल्याण और तीर्थंकर प्रकृति का मार्ग प्रशस्त करने वाले सोलह कारण धर्म पर प्रवचन और इन भावनाओं के उपयोग हेतु एक पारणा और एक उपवास की साधना भी की । साथ ही इस पर्व पूर्णता के अवसर पर 72 घण्टे के निर्जला उपवास और सिद्धासन लगा कर अविचल ध्यान मुद्रा में 48 घण्टे तक कायोत्सर्ग भी किया था। जैनत्व में अनुमोदन और अनुसरण का बड़ा महत्व है । मुनि श्री निष्कम्प सागर जी की साधना और तपस्चर्या के फलस्वरूप श्रावकों में आस्था और त्याग की प्रवृत्ति बढ़ना स्वाभाविक है । परम् पूज्य संघ प्रमुख मुनि श्री निष्पक्ष सागरजी , मुनि श्री निष्काम सागर जी , मुनि श्री निस्पृह सागर जी मुनि श्री निष्कम्प सागर जी के दिव्य सानिध्य में हो रही अभूतपूर्व धर्म प्रभावना के बीच जैन समाज के युवक युवतियों और बच्चों में भी धर्म के प्रति बढ़ते अनुराग की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है ।
नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहां कि प्रकृति में जिसने जन्म लिया उसका मरण सुनिश्चित है। कोई भी अमर जड़ी -बूटी खाकर नहीं आया है। तीर्थंकर अपने स्वभाव में नहीं आते जब तक उपसर्ग आते हैं।
पूर्व भव में किए गए कर्मों का फल उन्हें भी भोगना ही पड़ता है। भगवान की भक्ति में हमेशा लीन रहो। जिसने अपने जीवन में सामायिक किया है । णमोकार महामंत्र कि जाप करते रहे।पंच परमेष्ठी की शरण हो तो अंतिम समय में काम आएगा। णमोकार महामंत्र पर श्रद्धान नहीं किया तो अंतिम समय में यह काम नहीं आता है। अंतिम लक्ष्य सिद्धत्व की प्राप्ति होगी ।
मुनिश्री ने कहा जो लोग कर्तव्यों से निवृत्त हो गए हैं ,उन्हें भवन की ओर नहीं वन की ओर जाना चाहिए। अर्थात आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो।सुख भोग लिया,अब आत्म कल्याण करें।
पार्श्वनाथ भगवान पर आठ दिनों तक कमठ के जीव ने भयंकर उपसर्ग किया। मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने कहा भगवान तो समता, क्षमता के धनी थे।वह तो ध्यान में लीन थे।कभी भी मित्र से चोरी, गुरु से छल- कपट नहीं करना चाहिए। गुरु के साथ छल -कपट करने वाले का बहुत ही बुरा हश्र होता है। सभी मंत्रों में णमोकार महामंत्र सर्वश्रेष्ठ है।जैन धर्म की आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने प्रभावना की। धर्म के साथ मायाचारी नहीं करें। धार्मिक कार्यक्रम में कोई सी भी बोली लेवे तो नगद दान महादान करें।
“राष्ट्र सेवा सर्वोपरी, युवा सैना की नौकरियों का चयन करें- पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार”
राष्ट्र सेवा सर्वोपरी सेवा हैं। आज देश का युवा देश सेवा के लिए अपनी सेवाऐं देने के लिए आतुर हैं। भारत ने आजादी के बाद हर क्षैत्र में तरक्की की। देश की सैन्य शक्ति ने आजादी के बाद देश में आऐं संकटो का हमेशा सामना किया तथा देश को समय समय पर आत्म निर्भर सैन्य बल के आधार पर संपूर्ण विश्व को देश की एकता एवं अखंडता का परिचय दिया। हमारे क्षैत्र के युवा महेन्द्र सिंह ठाकुर ने अपनी सेवाऐं सीआरपीएफ में देकर क्षैत्र का नाम रोशन किया हैं।
उन्होने सीआरपीएफ जैसी महती संस्था में अपनी दीर्घकालीन सेवाऐं दी। युवाओ को महेन्द्र सिंह ठाकुर से प्रेरणा लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलत होना चाहिए तथा देश सेवा के लिए सेना एवं केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों में भर्ती होना चाहिए। उनके पिता स्व0 मोती सिंह ठाकुर के द्वारा प्रदत्त अच्छे संस्कार के कारण ही उन्होने देश सेवा का चयन किया। स्व0 मोती सिंह ठाकुर ने भी वनविभाग में अपनी सेवाऐं देकर ईमानदारी की मिसाल कायम की।
उक्त आशय के उद्गार पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कैलाश परमार ने सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त हुए महेन्द्र सिंह ठाकुर मगरखेडी के सम्मान में व्यक्त किए। इस अवसर पर अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह परमार, वीरेन्द्र सिंह परमार, नरेन्द्र सिंह ठाकुर खडी, पल्लव जैन प्रगति, अमन मेवाडा, देवेन्द्र सिंह ठाकुर, गंगाराम मालवीय किल्लौद, विशाल चौहान, रविन्द्र चैहान आदि मौजूद थे।
गांधी जयंती पर राजस्व मंत्री श्री करणसिंह वर्मा आज आयेंगे जावर
2 अक्टूबर गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन पर आज मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा एक दिवसीय दौरे पर आष्टा विधानसभा क्षेत्र के जावर पहुंचेंगे । गांधी जयंती पर जिला प्रशासन (अनुसूचित जाति विकास विभाग)
सीहोर द्वारा जिला स्तरीय अस्पृशता निवारणार्थ सद्भावना शिविर एवं सहभोज कार्यक्रम में भाग लेंगे। जावर मंडी में आयोजित उक्त कार्यक्रम में आष्टा विधायक श्री गोपाल सिंह इंजीनियर सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे।