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आष्टा। आज सुबह से ही इस पार्श्वनाथ भगवान के प्रांगण में अत्याधिक उत्साह देखने को आ रहा है। आपसे ज्यादा उत्साह बच्चों में नजर आ रहा है।मालवा में छोटे-छोटे बच्चे उपवास करते हैं आज ,यह अच्छी विशेषता है। पांच कल्याणक होते हैं, जिसमें मोक्ष कल्याणक विशेष है।हम उनसे प्रेरणा लेते हैं।

जब लक्ष्य की प्राप्ति होगी कर्मों की निर्जरा से यह उमा स्वामी जी कह गए हैं। आने वाली पीढ़ी धर्म को बहुत आगे ले जाएंगी। भगवान पार्श्वनाथ जी पर भयंकर उपसर्ग हुए, लेकिन उन्होंने सभी उपसर्ग सहें, इसलिए उपसर्ग विजेता पार्श्वनाथ भगवान को कहा जाता है।


उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज एवं मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के अवसर पर आशीष वचन देते हुए कहीं।


मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा माता-पिता के द्वारा दिए गए संस्कारों के कारण आज इतने अधिक बच्चें मुकुट सप्तमी पर उपवास व्रत कर रहे हैं। सम्यक दर्शन, सम्यकज्ञान और सम्यक चारित्र परम औषधि है।आठ कर्मो में चार घातिया और चार अघातिया कर्म है। आप गुणों की आराधना कर रहे हैं।आज के दिन 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ जी मोक्ष गए थे।आप सभी ने भगवान बनने का लक्ष्य रखा है।

अपने आदर्श के रूप में पार्श्वनाथ भगवान को विराजमान करें।हम दस मिनट भी क्षमता नहीं रख पाते, पार्श्वनाथ भगवान ने दस भवों तक उपसर्ग सहें। पर्व हमें जगाने, संदेश देने आते हैं। कर्नाटक के सदलगा ग्राम में एक महापुरुष का जन्म हुआ।अष्टंगी परिवार में विद्यासागर महाराज ने जन्म लिया ।

आचार्य विद्यासागर महाराज के माता-पिता सहित परिवार के आठों सदस्यों ने दीक्षा अंगीकार की।अष्ट कर्मों को नष्ट करने के लिए भाई महावीर शिवपुर में दीक्षा ली। शांतिनाथ छोटे भाई को 1980 में सबसे पहले दीक्षा दी। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा सावन और भादो मास में बहुत पर्व आते हैं।

मुकुट सप्तमी पर छोटे- छोटे बच्चे आज इतनी अधिक संख्या में उपवास कर रहे हैं।यह पहली बार देखा। धर्मनिष्ठ समाज में अच्छी पहल है। कुछ पर्वो को बहुत प्रसिद्धि प्राप्त है। भक्त नहीं दुश्मन प्रसिद्धि दिलाता है।जब व्यक्ति के जीवन में दुःख,संकट आता है उस समय परीक्षा होती है। पार्श्वनाथ भगवान पर भयंकर उपसर्ग हुए,वह आत्मा का चिंतन करते रहे।दस भवों से कमठ भगवान पर उपसर्ग करता आ रहा है। पहले बचपन में भाई को चोट लगने पर दूसरे भाई को आंसू आते थे, वहीं भाई बड़े होने पर जरा सी भूमि पर आपस में मारपीट, विवाद करते हैं।

अपराध करके उसका बौध न होना सबसे बड़ा पाप है। छोटी सी बात पर भाई अपने भाई की हत्या कर देते हैं।द्वेषता रखते हैं,समता भाव रखना चाहिए। कर्म पीछे चलते हैं वह छोड़ते नहीं। दुर्जन तो सज्जन व्यक्ति को परेशान करता है। दुश्मन का काम दुश्मनी निकालना है और मित्र का काम मित्रता करना है। चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मना रहे हैं। सम्मेद शिखरजी में पार्श्वनाथ भगवान जहां से मोक्ष गए वहां आज भी वही एनर्जी है। वहां की धरा बहुत पावन है उपसर्ग विजेता पार्श्वनाथ भगवान की आराधना भक्ति कर रहे हो तो आप पर उपसर्ग नहीं आएगा। जिनेंद्र भगवान की हर प्रतिमा में शक्ति है। सारे भगवान अतिशय कारी है।


भगवान का स्मरण करने से पाप दूर हो जाते हैं। संघर्ष शील व्यक्ति खुशहाल हैं। संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध होते हैं। जन्म दिन नहीं जन्मकल्याणक मनाते हैं। मुनिश्री का जन्म दिन मत मनाना उनकी दीक्षा जयंती मनाएं।इस अवसर पर पार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष दिवस पर लाभार्थियों सहित श्रद्धालुओं ने निर्वाण लाडू श्रद्धा पूर्वक मुनि संघ की उपस्थिति में भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा के समक्ष चढ़ाया गया।

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