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आष्टा । श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ मालीपुरा आष्टा के पावन तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के तृतीय दिवस पर वृंदावन से आए राधा, कृष्ण के कलाकारों ने महारास की भव्य मनमोहक प्रस्तुति दी! आज 20 जुलाई को परम श्रद्धैय मां कृष्णा जी का अवतरण मनाया जायेगा । इसी शुभ अवसर पर आष्टा नगर में एक विशाल एंव भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा सुबह 9:30 बजे गायत्री मंदिर आष्टा से प्रारंभ होगी जिसका मुकाती पेट्रोल पंप पर 12 बजे समापन होगा।


आज के सत्संग में परम श्रद्धैय कृष्णा माँ ने अपनी ओजस्वी निर्मल वाणी में कहा कि,अच्छे कर्मों का फल विलंब से मिलता है किंतु जब भी मिलता है हजारो गुना मिलता है। और जब मिलता है जब हमे उसकी सख्त आवश्यकता हो। कभी-कभी हम मेहनत अधिक करते हैं और फल कम मिलता है,

किंतु इससे निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी ऐसा भी समय आता है जब हम मेहनत कम करते हैं और फल अधिक मिलता है । व्यक्ति हमेशा उसे देखता है जो उसे नहीं मिला होता है किंतु वह यह नही देखता कि भगवान ने मुझे मेरे कर्मो के अनुसार बहुत कुछ दिया है। जो उसे प्राप्त है उसमें संतुष्ट रहने की बजाय उसे जो नहीं मिला है उसे देखकर दु:खी होता रहता है।

जबकि व्यक्ति को भगवान ने जो दिया है उसी में संतुष्ट होकर उसका सदुपयोग करके जीवन में संतुष्ट और आनंन्दीत रहना चाहिए। व्यक्ति को धन संपदा की इतनी अपेक्षा रखनी चाहिए कि उसके परिवार का अच्छे से भरणपोषण हो जाये।


कहा भी है कि:-
सांई इतना दीजिये, जा मे कुटुबं समाय,में भी भूखा ना रहूं, साधू ना भूखा जाय । किन्तु आज व्यक्ति धन कमाने में इतना आसक्त हो गया है कि भगवान् को ही भूल गया है। वह यह भी भूल गया है कि एक दिन मुझे सबकुछ छोड़कर ही जाना है!इसलिए भौतिक संपदा की कमाई के साथ साथ परमात्मा के नाम की भी कमाई करते रहे जो मरने के बाद भी हमारे साथ जायेगी।

परमात्मा ने जो भी हमें दिया है चाहे कोई पद हो, समय हो, धन हो, उसका हमेशा सदउपयोग करना चाहिए।नहीं तो यह सब हमें दुबारा नही मिलेगा।यदि हमने उसका सदुपयोग नहीं किया तो बाद में वह हमें नहीं मिलेगा । एक प्रसंग के माध्यम से कृष्णा माँ ने बताया कि अयोध्या में कभी धन, संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ वहां तो काम, अर्थ ,धर्म और मोक्ष का बटवारा हूआ था और बंटवारे में काम, माता कैकई के हिस्से में आया। अर्थ, भारत जी के हिस्से में।

धर्म, दशरथ जी के हिस्से में और मोक्ष भगवान राम के हिस्से में आया था। इसलिए यदि हम राम का नाम लेते हैं तो हमारे हिस्से में भी मोक्ष आएगा और मोक्ष के आते ही हमारे संसार के सब बंधन मुक्त हो जाएंगे और हम परम को प्राप्त कर लेंगे। परमात्मा हमें कुछ देने से पहले कुछ लेता है। भगवान् पहले हमे धर्म, और सद्कर्म करने, दान देने का अवसर प्रदान करता है और इन सभी कर्मों का हजारों गुना हमे वापस लौट भी देता है।

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