आष्टा । कल शाम करीब 4 से 5 बजे के बीच जावर थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम कान्याखेड़ी में खेत की मेढ़ एवं खेत मे पत्थर जमाने को लेकर मेढ़ पड़ोसियों में जो की आपस मे रिश्तेदार है,में जम कर विवाद हुआ,लठ्ठ चले,विवाद में एक घायल जिसकी जावर थाने में एमएलसी कराने के बाद तबियत बिगड़ी जिसे तत्काल सोनकच्छ ले जाया गया था जहां उसकी मृत्यु हो गई।
जावर थाने में तबियत बिगड़ने पर ईलाज हेतु ले जाते पीड़ित
इस विवाद के बाद जब पीड़ित पक्ष जावर थाने पहुचा तब वहां पर उनके साथ जावर पुलिस ने जो व्यवहार किया,एवं रिपोर्ट लिखने में जो आना कानी की जिसका सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हुआ
वायरल पीढ़ियों से लिए चित्र,बहुत कुछ कह रहे है..
उसके बाद जिला पुलिस अधीक्षक श्री मयंक अवस्थी ने जावर थाने के एसआई अनिल डोडियार,दो पुलिस कर्मी भरतराम एवं अर्जुन को निलंबित कर दिया गया है।
श्री मयंक अवस्थी एसपी ने तीन को किया निलंबित
पीड़ित पक्ष के अर्जुन सेंधव ने रिपोर्ट में लिखाया की में मेरा भाई चेतन,बलवान,भतीजा पुष्पेन्द्र, शुभम खेत की मेढ़ का विवाद अपने चचेरे भाई सोभालसिंह से सुलझा रहे थे सोभाल के साथ उनके भाई लखन,रामसिंह,विजेन्द्रसिंह भी थे तभी सोभाल,रामसिंह,विजेंद्र,लखन ने मेरे खेत मे पत्थर जमा दिये ओर डंडे ले आये ।
पीड़ित पक्ष ने कैमरे के सामने लगाये पुलिस पर आरोप
तभी पिंटू उर्फ शिवनारायण,गोपालसिंह,अरविंदसिंह भी डंडे ले कर आ गये ओर मारपीट की। घटना के बाद पीड़ित जावर थाने पहुचे । पीड़ित पक्ष का आरोप है की जब वे रिपोर्ट लिखाने जावर थाने पहुचे तब उनकी रिपोर्ट लिखने के बदले पुलिस ने हमारे साथ अभद्रता की ओर रिपोर्ट लिखने में आना कानी की। थाने में हमारे भाई बलवान की तबियत बिगड़ने लगी तब हम उसे ईलाज हेतु सोनकच्छ लाये यहा उसकी मौत हो गई।
थाने में पुलिस कर्मियों का ये चित्र बहुत कुछ कह रहा है
एसडीओपी आकाश अमलकर ने जानकारी देते हुए बताया की कल खेत की मेढ़ को लेकर दोनों पक्षो में विवाद मारपीट हुई थी।
श्री आकाश अमलकर,एसडीओपी आष्टा
दोनों पक्ष थाने पहुचे,पीड़ित पक्ष के घायलों की एमएलसी कराई उसके बाद बलवान की तबियत बिगड़ी जिसे शुगर की बीमारी थी,घबराहट होने पर उसे उच्च इलाज हेतु परिजन इंदौर ले जा रहे थे तभी सोनकच्छ में तबियत बिगड़ने के बाद यही सिविल अस्पताल में ले गए जहां उसकी मृत्यु हो गई।
आष्टा अनुविभाग का चर्चित जावर थाना,सफाई की जरूरत
जावर पुलिस ने अर्जुन पिता मोहनसिंह सेंधव निवासी कान्या खेड़ी की रिपोर्ट पर आरोपी सोभालसिंह,लाखनसिंह,रामसिंह सेंधव,विजेन्द्रसिंह,पिंटू सेंधव,गोपालसिंह एवं अरविंदसिंह के खिलाफ धारा 307,323,294,506,34 के अंतर्गत मामला दर्ज कर सभी आरोपियों को पुलिस अभिरक्षा में ले लिया है।
घायल की मौत की खबर के बाद ग्राम में शोक छा गया है तथा माहौल भी तनाव पूर्ण होने की खबर है।
जावर पुलिस की दिखी वीडियो में दादागिरी,ये अच्छा नही है
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि जब घटना के बाद हम पीड़ित जावर थाने पहुचे तब पुलिस ने पीड़ित होने के बाद भी बुरा व्यवहार किया,हमारी बात पुलिस सुनने को ही तैयार नही थी,जब हमने रिपोर्ट लिखने उसने आरोपियों के नाम बताये तब पुलिस आरोपियों के नाम लिखने में आना कानी करने लगी।
घायल चिल्लाता रहा हमारी सुनो,रिपोर्ट लिखो,पर नही..
तभी पीड़ित पक्ष के एक घायल बलवानसिंह की तबियत बिगड़ने लगी तब उसे लेकर इंदौर के लिये रवाना हो गये लेकिन सोनकच्छ में ही उसकी मौत हो गई। पीड़ित पक्ष का कहना है ।
घायल की मौत के बाद आष्टा पुलिस सोनकच्छ पहुची
उसे रिपोर्ट की कॉपी आष्टा एसडीओपी एवं जावर टीआई ने सोनकच्छ में जब हमारे भाई की मौत हो गई तब ला कर दी यह बड़ी जांच का विषय है.? मतलब घायल की मौत की खबर से जावर पुलिस के हाथ पैर फूल चुके थे.! अगर इस पूरे मामले का पीड़ित पक्ष जावर पुलिस की मनमानी,अभद्रता,का वीडियो नही बनाते,उसे वायरल नही करते तो कोई भी पीड़ित पक्ष की बात का विश्वास नही करता।
सोनकच्छ सिविल अस्पताल में मृतक का हुआ पीएम
“इस लगाये गम्भीर आरोप की भी हो जांच”
पीड़ित पक्ष के इस आरोप की भी जांच हो जिसमें उसने यह आरोप लगाया कि जावर पुलिस यह कह रही थी कि हम आरोपियों में इतने लोगो के नाम रिपोर्ट में नही लिखेंगे,जितने नाम पीड़ित बता रहे थे उनकी संख्या 7 थी,आखिर जावर पुलिस पर पीड़ित यह आरोप क्यो लग रहा है की जो नाम पीड़ित बता रहे थे,पुलिस उतने लोगो के नाम क्यो नही लिख रही थी।
आखिर वो आरोपियों में से किसे कितनो को क्यो,किन कारणों से बचाना चाहती थी ? पीड़ित को आखिर ये संगीन आरोप क्यो लगाना पड़े इसके पीछे आखिर कौन सा कारण छुपा है .?
“विवादों मनमानी का जावर पुलिस का पुराना इतिहास रहा है,कल पुनः दोहराया गया”
आष्टा अनुविभाग का जावर थाने का,जावर पुलिस का विवादों ,मनमानी,लापरवाही का पुराना इतिहास रहा है। कल जावर पुलिस ने पीड़ितों के साथ जो किया जैसे आरोप पीड़ित ने लगाये उससे आश्चर्य नही होना चाहिये। इस थाने का विवादों से पुराना नाता ओर इतिहास रहा है। ये वो ही थाना है
जहाँ पुलिस वाले सोते रहे थे और मुलजिम सलाखों से बहार आ कर भाग गये थे,यहा पुलिस के खिलाफ कई बार गम्भीर शिकायते हो चुकी,ट्रक कटिंग,अवैध शराब,चोरी की घटनाओं को लेकर ये थाना चर्चाओं में बना रहता है। अब इस थाने पर पूर्व से लेकर कल तक जो जो धब्बे लगे है जिला पुलिस अधीक्षक महोदय को एक बार अति गम्भीरता से लेकर इस थाने के प्रति जनता में पुनः विश्वास लोटे ऐसा कुछ करना चाहिये…