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आष्टा । आष्टा- कन्नौद रोड जो इंदौर नाके से शुरू होता है और देवास जिले के कन्नौद रोड तक करीब 45 किमी तक जाता है। इसमें इंदौर नाके से कॉलेज तक का जो मार्ग कन्नौद रोड है,जिसकी सीमा आष्टा नगर पालिका क्षेत्र में आती है ..।

वो करीब तीन से चार किमी का लंबा कन्नौद रोड जो आज से नही वर्षो से कन्नौद रोड के नाम से ही सब जगाह चाहे वो नगर पालिका में हो,राजस्व विभाग में हो या किसी भी अन्य विभाग में हो सब स्थान पर इस मार्ग को कन्नौद रोड के नाम से ही जाना पहचाना जाता है।

अन्य विभागों में भी ये मार्ग वर्षो से कन्नौद रोड के नाम से ही दर्ज है। लेकिन आप सब को ही नही स्थानीय,जिला प्रशासन,एसडीएम आष्टा, तहसीलदार आष्टा, कलेक्टर सीहोर,कमिश्नर भोपाल को आश्चर्य होगा की जो मार्ग जिसको आष्टा कन्नौद रोड कहा जाता है ।

जो आज से नही वर्षो से अस्तित्व में है,वर्षो पूर्व जर्जर इस गड्ढे युक्त कन्नौद रोड का निर्माण हुआ तब भी मप्र की तत्कालीन भाजपा की सरकार ने इस मार्ग के निर्माण के लिये जो राशि स्वीकृत की थी वो भी आष्टा कन्नौद रोड के नाम से ही स्वीकृत की थी। वो कन्नौद रोड आष्टा तहसील कार्यालय के राजस्व रिकार्ड में कही भी नही है।

राजस्व रिकार्ड में जो कन्नौद रोड दर्ज है वो कही भी अस्तित्व में नही है । मतलब जो रोड अस्तित्व में है वो राजस्व रिकार्ड में है ही नही ओर जो अस्तित्व में नही है वो राजस्व के रिकार्ड में दर्ज है। आखिर वर्षो से राजस्व विभाग में ये जो महा बड़ी ढोल की पोल चल रही है इस ओर आखिर आज तक किसी का ध्यान क्यो नही गया।

वही भोपाल नाके से कॉलेज तक एक नही अनेकों भवनों का चाहे वे रहवासी हो या कमर्शियल के निर्माण की परमिशन कैसे हो गई,इस मार्ग पर कई अचल संपत्ति की खरीदी बिक्री हुई होगी रजिस्ट्री के दौरान या भवन निर्माण की परमिशन के दौरान नक्से भी लगे होने नक्से में कन्नौद रोड लिखा होगा जबकि वो राजस्व रिकार्ड में अस्तित्व में है ही नही तो फिर नपा ने परमिशन कैसे दे दी।

रजिस्टार कार्यालय में इस रोड के दोनों ओर जमीन,प्लॉट की रजिस्ट्रियां कैसे हो गई। रजिस्ट्रियों की गाइड लाइन रोड के हिसाब से सबसे अधिक हर वर्ष तय हुई ली भी गई।

जबकि रोड राजस्व रिकार्ड में जब है ही नही तो गाइड लाइन तय करने के दौरान सबसे अधिक दर कैसे तय हो गई। ये सब ऐसे बड़े यक्ष प्रश्न है जो राजस्व विभाग की ढोल की पोल खोलता है। सबसे बड़ी बात इतनी बड़ी त्रुटि जो वर्षो से चली आ रही है।

इस दौरान इस हल्के के कई पटवारी,गिरधावर, तहसीलदार,एसडीएम,जिले में कई कलेक्टर,संभाग में कई कमिश्नर ओर प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की कई बार सरकारें आई

लेकिन आखिर इस बड़ी त्रुटि की ओर आज तक किसी का ध्यान क्यो नही गया.? इस बड़ी त्रुटि को आज तक नही सुधारने का आखिर जिम्मेदार कौन कौन.? क्या इसकी भी जांच के साथ जिम्मेदारी तय होगी.?

“ऐसे खुली राजस्व विभाग की ये ढोल की पोल”

यू तो ये पोल अभी भी नही खुलती वो तो भला हो आष्टा नपा के सीएमओ राजेश सक्सेना का जो उनेह यह जानकारी लगी कि नगर के कन्नौद रोड पर नगर के सेठ रविन्द्र रांका अपनी कन्नौद रोड की जमीन पर कोई बड़ा माल बना रहे है,ओर जल्दी ही उसकी छत भराई जायेगी लेकिन रांका द्वारा जिस मॉल का निर्माण कई महीनों से किया जा रहा है ।

उसकी कही से भी कोई निर्माण की परमिशन ही नही ली गई है,बिना परमिशन के उक्त निर्माण किया जा रहा है। जानकारी मिलने के बाद सीएमओ सादल बल,जेसीबी,ट्रेक्टर ट्राली,निर्माण तोड़ने की पूरी गैंग ले कर मौके पर पहुचे। मालिक को सूचना दी। सूचना के बाद मालिक रविन्द्र,संतोष,आकाश रांका मौके पर पहुचे।

नपा ने उनसे उक्त मॉल के निर्माण की परमिशन मांगी जो नही थी। लेकिन रविन्द्र रांका ने सीएमओ को बताया कि उन्होंने नपा आष्टा एवं टीएनसीपी में ऑनलाइन भवन निर्माण स्वीकृति का जो आवेदन किया उसे उन्होंने कैंसिल कर दिया।

कारण यह था की परमिशन के दस्तावेजों में जो भूमि का खसरा नम्बर,नक्सा, लगाया गया था। जब परमिशन देने वाली टीएनसीपी एवं नपा ने नक्से की ऑनलाइन जांच की तो उसमे कन्नौद रोड कही भी है ही नही,जहां हमने नक्से में कन्नौद रोड लिखा बताया,वहां राजस्व रिकार्ड में कन्नौद रोड कही है ही नही,उस स्थान पर हमारी जमीन जिसका खसरा नम्बर बताया जा रहा है।

इसको लेकर कई बार नपा एवं तहसील के चक्कर लगाये लेकिन राजस्व रिकार्ड में अगर कन्नौद रोड हो तो वे बताये। रांका ने बताया कि वर्तमान एसडीएम श्रीमती स्वाति उपाध्याय को भी हमारे द्वारा इसकी शिकायत की गई तब उन्होंने आष्टा के पटवारी को भी निर्देश तो दिये लेकिन रिकार्ड में जो था वो दे दिया पर कन्नौद रोड नही निकला। बस इस तरह ये पोल खुली।


वर्तमान में जो कन्नौद रोड है,राजस्व रिकार्ड में वो रविन्द्र रांका के नाम दर्ज है,उसका खसरा क्र 382 बताया गया है।

“अब जब पोल खुल ही गई तो इस मामले को कलेक्टर सीहोर को संज्ञान में लेना चाहिये”

अब इस मामले में क्या होगा ये एक बड़ा प्रश्न सभी के सामने खड़ा है ? इस मामले को अब कलेक्टर सीहोर को ही संज्ञान में लेना होगा। वे ही इस वर्षो की बड़ी समस्या का कैसे हल निकाल सकते है,क्योकि ये मामला इतना सामान्य नही है जितना देखा,समझा और सुना जा रहा है..!

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