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आष्टा। वाणी के माध्यम से व्यक्ति दूसरों को अपना बना सकता है और अपनों से दूर भी कर देता है। सभ्यता से बोलना हमारी संस्कृति है।भगवान महावीर स्वामी की दिव्य देशना सुनने के लिए बैठे हैं।जो संतों– अरिहंतों की चार बातों को सुनते हैं, उन्हें बाहर की चार बातों को सुनना नहीं पढ़ती है। भगवान की चार बातों को सुनना और समझना चाहिए।जो भी सज्जन है वह चार बातों पर अमल करें। सहनशीलता, धैर्यवान रहना ,हमेशा सभ्यता से, चलना हमेशा संभल कर ।

पत्थर को तराशने में शिल्पी भी चोटों को सहन करता है और भगवान की प्रतिमा बनाता है। संघर्ष तो करना ही पड़ेगा।गलत काम पर मंत्री का पुतला चौराहे पर फूंक देते हैं।धन के कारण आप सभी ग्राहकों की सुनते हैं। संतों का कहना है समय पर कहना और समझ के कहना। उक्त बातें नगर के अरिहंत पुरम अलीपुर के श्री चंद्र प्रभ दिगंबर जैन मंदिर में आशीष वचन देते हुए

परम पूज्य आचार्य श्री 108 विनम्र सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिराज मुनि श्री 108 विनत सागर जी महाराज ने कहीं। मुनिश्री के प्रवचन की जानकारी समाज के नरेन्द्र गंगवाल ने देते हुए बताया कि मुनि विनत सागर महाराज ने कहा कि वाणी के माध्यम से अपना भी बना सकते हैं और दूर भी कर सकते हैं। सभ्यता से बोलना हमारी संस्कृति है।जैसा आया वैसा बोल दिया वह विकृति है।

जितने भी झगड़े होते हैं ,वह वाणी से ही होते हैं। युधिष्ठिर बहुत ही समझदार थे, भीम ताकतवर थे।अर्जुन में विनम्रता थी,नकूल तो मौनी बाबा थे, सहदेव तो अपने नाम के अनुरूप थे। कुल की इज्जत वाले पैसे नहीं देखते। एकता में बहुत शक्ति हैं। मुनि विनती सागर महाराज ने कहा अर्जुन ने वाणों का काम वाणी से कर दिया। अच्छी वाणी, मिठास वाली रहेगी तो दुश्मन भी मित्र बन जाएगा। समझदारी से व कम बोलने वाले सम्माननीय रहते हैं। वकील अपने क्लाइंट से शांत रहने का बोलते हैं। संसार से सबसे सुखी वकील हैं।जीत गए तो वाह – वाह,हार गए तो अपील।वे झूठ को भी सच साबित कर देते हैं। में वकीलों का हमेशा ध्यान रखता हूं। सभी से मुनिश्री ने कहा रहना हमेशा सभ्यता व प्रेम से। मिलकर साथ रहें, परेशानियों को सहना सीखें।संघ, संगठन में रहने से बहुत लाभ हैं।

आज घर -घर व समाज में झगड़े। घर में रहकर घरवालों से विश्वासघात मत करना।आज तिजोरी खुली है ,लेकिन मोबाइल पर लाक लगा है।संत सबसे सुखी है, उनके पास कुछ भी नहीं फिर भी सुखी और आपके पास सबकुछ फिर भी दुखी।जो भगवान को धोखा देते हैं वह सुखी नहीं। दूध -पानी की तरह मिलकर विश्वास के साथ रहे। पानी दूध से अलग होगा तो उसकी कीमत कम रहती है। संतों के साथ कभी भी विश्वासघात नहीं करें।

संत आपके विश्वास पर आहार करते हैं।आज देश को पाकिस्तान से खतरा कम अपने देश में रहने वालों से अधिक है। मुनि विनत सागर महाराज ने कहा हमेशा संभल कर चलें ।जिंदगी चार दिन की है। दान चार प्रकार का होता है और चार बातों पर ध्यान देना।

हमें भी चार माह चातुर्मास करने हेतु रहना है। आष्टा का समाज समर्पित व गुरु भक्त है। अध्यक्ष धर्मेंद्र जैन अमलाह वाले आंखों में ही बात कर हमारी बात को समझ लेते हैं। गुरु का ह्रदय विशाल होता है।इस अवसर पर मुनिश्री 108 विश्वमित्र सागर जी महाराज भी उपस्थित थे। खंडवा से पधारे समाज जनों ने पूज्य मुनि द्वय को खंडवा में चातुर्मास के लिए श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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