आष्टा । नगर के दिगम्बर जैन दिव्योदय तीर्थ किला पर विराजमान पूज्य मुनि श्री भूतबलि सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में एक विनयांजलि वैराग्य सभा को सम्बोधित करते हुए संघस्थ ब्रम्हचारिणी मंजुला दीदी ने कहा कि आचार्य श्री तो इस देह का त्याग कर विदेह की अपनी अंतिम यात्रा के लिये निकल पड़े है ।
,कुछ ही भव में उनको तीर्थकर प्रकति का बन्ध होगा और वह जीव निश्चित रूप से भावी तीर्थकंर बन कर अपना मोक्ष मार्ग प्रशश्त करेंगें,एवं अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर संसार के इस जन्म जरा म्रत्यु के चक्कर से मुक्त होंगे ।
आचार्य श्री जी की वाणी को आप यू ट्यूब पर मोबाइल के माध्यम से देख कर उसका लाभ लेकर अपने मनुष्य भव को सार्थक करे । आज वर्तमान में कोई माता ऐसी नही जिसने तीर्थंकर जैसे बालक को जन्म दिया हो पर आचार्य श्री जी की माँ श्रीमन्ती जी ने ऐसे पुत्र पुत्रियों को जन्म दिया।
जो सभी ने दिगम्बर दीक्षा धारण कर पूरे परिवार ने अपना मोक्ष मार्ग प्रशश्त किया है,ओर स्वयं माता पिता ने भी अपना दीक्षा धारण कर मोक्ष मार्गी बने है । आध्यात्मिक जैन भजन गायक शरद जैन ने मार्मिक भजन “अब हम अमर भये न मरेंगे “भजन के माध्यम से आचार्य श्री के चरणों मे अपनी वैराग्य मय भावना व्यक्त की ।
विनायनजली सभा को गुरु भक्तो ने अपने संस्मरण के माध्यम से समाज के गणमान्य श्रावक एव श्रीवाकाओ ने आचार्य भगवन को अपनी ओर से विनयांजलि समर्पित की । सभा मे मुकेश बड़जात्या,नरेंद्र जैन, दिलीप सेठी,
मनोज जैन,आनंद जैन पोरवाल ,रमेश जैन,अरविंद जैन ,महेंद्र जैन,श्रीमती संगीता सेठी,डॉ मीना सिंगी,मनीषा जैन, शर्मिला जैन,संतोष जैन, अंकित जैन धर्मेंद्र जैन ,प्रमोद जैन,विमल जैन सुखानंद जैन आदि ने अपनी ओर से विनयांजलि रखी,
सभा का संचालन सुरेंद्र जैन ने किया।
पूज्य मुनि श्री भूतबलि सागर महाराज ने इस अवसर पर कहा कि उनके अंदर के गुण क्या है कैसे प्रकट करे ये बात आप सभी को मालूम नही,महाबल मुनिराज के साथ हम ओर आचार्य श्री एक साथ रहे और ध्यान अध्यन किया था । आचार्य श्री विरले जीवो में एक महान पूण्य वान व्यक्तित्व थे,जिन्होंने इस भारत भूमि जिनेंद्र देव् के द्वारा बताए गए मार्ग को जन जन को बताया था ।
वे जगत के समस्त जीवों के प्रति समभाव रख कर सभी के कल्याण की भावना रखते थे । अंतिम समय तक उन्होंने किसी भी शिष्य को हाथ नही लगाने दिया । यह उत्कृष्ट समाधि का ही फल है । हमारे ऊपर सदैव ही आचार्य श्री का आशीर्वाद मिलता रहता था । अभी अभी तीन दिनों पहले भी आचार्य श्री ने हमे आशीर्वाद भेजा था