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 आष्टा। क्षेत्र के अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों सहित जावर एवं अन्य स्थानों पर प्राइवेट अस्पतालों में जो मनमानी इस कोरोना कॉल में करके लोगों को दोनों हाथों से लुटा गया,कई मौत के मुंह में समा गये,किस तरह प्राणवायु एवं प्राण बचाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शनों की आष्टा से नीमच तक कालाबाजारी हुई। इन सब की शिकायतों पर भोपाल संभाग के आयुक्त कविंद्र कियावत, जिले के कोविड-19 प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग,कलेक्टर अजय गुप्ता तक शिकायते हुई, अधिकारियों को जांच करने,कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे कि जिन प्राइवेट अस्पतालों की शिकायतें मिल रही है ,उनकी जांच कर कार्रवाई की जाए। आश्चर्य की बात है कि जावर के देव श्री हॉस्पिटल की नायब तहसीलदार एवं जावर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक द्वारा जांच की,जांच की रिपोर्ट प्रतिवेदन भेजा, उस पर कार्यवाही करने के नाम पर कारण बताओ नोटिस 1 सप्ताह पश्चात मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुधीर डेहरिया ने अस्पताल के संचालक को जारी किया है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार जो नोटिस चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी  श्री सुधीर डेहरिया ने जारी किया गया है वह 12 मई की तारीख में जारी किया है और यह नोटिस आज सोशल मीडिया पर भी भेजा गया है। जिसमें मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी श्री डेहरिया द्वारा देव श्री हॉस्पिटल के संचालक को नोटिस दिया है,जिसमे लिखा है कि 7 मई को शेखर चौधरी नायब तहसीलदार एवं डॉ अमित माथुर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी जावर ने आपके अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था ।

जारी नोटिश

जिसमें उन्होंने अस्पताल में 23 कोविड मरीजों को बिना जांच के केवल सिटी स्कैन के आधार पर भर्ती करना पाया तथा यह उपचार बिना अनुमति के किया जा रहा था । उक्त भर्ती मरीजों का डॉक्टर देवेंद्र ठाकुर बी ई एम एस द्वारा उपचार किया गया जो कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जनमानस के उपचार हेतु वैद्य नहीं है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया अधिनियम 1956 एवं नर्सिंग होम अधिनियम 1973 के तहत दंडनीय अपराध है।


उपरोक्त प्रकरण को देखते हुए एवं जांच समिति के सदस्यों की अनुशंसा अनुसार क्यो नही मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया अधिनियम 1956 एवं नर्सिंग होम अधिनियम 1973 के तहत देवश्री अस्पताल का पंजीयन क्रमांक एन एच 18 /3006/2016,दिनांक अक्टूबर 2016 दिनांक 1 अप्रैल 2019 को पत्र दिनांक से निरस्त किया जाए। क्यो ना आपके विरुद्ध प्रकरण को पंजीबद्ध कर  काउंसिल को आपकी पैथी का पंजीयन निरस्त किए जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत कर आप के विरुद्ध न्यायालय में प्रकरण दर्ज किया जाए । पत्र के माध्यम से निर्देशित किया जाता है कि आपके द्वारा अस्पताल में आज दिनांक से किसी भी कोविड-19 संक्रमित मरीजों को भर्ती नहीं किया जाए ।

आप उक्त प्रकरण में अपना मत 3 दिवस के अंदर मय एलोपैथिक चिकित्सक जिसका नाम आपके द्वारा पंजीयन के समय प्रस्तुत किया गया है ।आप स्वयं संपूर्ण दस्तावेज सहित कार्यालय में समिति के समक्ष प्रस्तुत होना सुनिश्चित करेंगे ।जबाव, उत्तर संतोषजनक न होने की स्थिति में आपके विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई कर आपके निजी चिकित्सालय का पंजीयन निरस्त कर आपके विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई कर न्यायालयीन प्रकरण दर्ज किया जाएगा। ये तो एक अस्पताल पर कार्यवाही के पहले नोटिश जारी किया है,आष्टा में ऐसे एक नही कई प्राइवेट अस्पतालों में भी दो दिन पूर्व हुई छापा मार कार्यवाही में कई अनियमितताए पाई गई है,उन पर कार्यवाही कब होगी।(सभी चित्र फाइल)

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