आष्टा। अनुविभाग के ग्राम रूपेटा में ग्राम वसूली पटेल के द्वारा शासकीय भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने का आदेश 8 माह पूर्व हुए थे , कोरोना के कारण आदेश पर अमल नहीं हो पाया था।जिस पर अमल रविवार 7 फरवरी को किया गया ।एसडीएम विजय मंडलोई, तहसीलदार रघुवीर सिंह मरावी, राजस्व निरीक्षक योगेश श्रीवास्तव सहित पार्वती थाने का पुलिस बल जब अतिक्रमण हटवा रहा था तो वसूली पटेल के पुत्र ने इसका विरोध किया।
उसका कहना था कि हमने यह मकान 31 साल पहले खरीदा है ,जिसकी लिखा पढ़ी बताना चाही, लेकिन प्रशासन ने नहीं मानी। शासकीय कार्य में वसूली पटेल के पुत्र ने बाधा डाली। पुलिस ने प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर तहसीलदार के न्यायालय में पेश किया ,वहां से उसे जमानत पर रिहा किया गया ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 216/2 रकबा 0.153 शासकीय भूमि ग्राम रूपेटा पर ग्राम के वसूली पटेल भेरूसिंह आत्मज शेरसिंह सैंधव का कब्जा था। तहसीलदार रघुवीर सिंह मरावी के अनुसार उक्त अतिक्रमण को हटाने का विधिवत आदेश जुलाई माह में किया गया था ,लेकिन कोरोना के कारण अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं हो पाई थी। जिसे 7 फरवरी रविवार को एसडीएम विजय मंडलोई तहसीलदार श्री मरावी, पार्वती थाना प्रभारी सहित पुलिस बल की उपस्थिति में जब जेसीबी का पंजा ग्राम के पटेल का अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचा तो उनके पुत्र नारायण पिता भेरु सिंह सेंधव द्वारा इसका विरोध किया गया तथा शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाई गई।
पुलिस ने कार्रवाई कर तहसीलदार श्री मरावी के न्यायालय में नारायण सैंधव को पेश किया ।उन्होंने मुचलके पर रिहा किया ।दूसरी तरफ नारायण सैंधव का कहना है कि उक्त जमीन हमने ग्राम के ही सुलेमान खां पिता करीम खां से 5000 में 7 दिसंबर 1990 को खरीदी थी, जिसकी लिखा पढ़ी बताना चाही लेकिन उक्त बात को प्रशासन के अमले ने नहीं माना।
“प्रशासन इस और भी गौर करे”
आज प्रशासन जिस अतिक्रमण को हटाने पहुची थी,प्रशासन का कहना है जिस स्थान पर बसूली पटेल का अतिक्रमण आज हटाया वो भूमि राजस्व विभाग की सरकारी जमीन है,जब वो सरकारी जमीन है,तो उसका विक्रय कैसे हो गया,आज बसूली पटेल के पुत्र नारायण ने इस प्रतिनिधि को तहसील में बताया की इस जमीन पर हम 31 साल से काबिज है,मेरे पिता ने उक्त 5 मियाल का मकान,एवं आस पास की खुली जमीन 5 हजार में ग्राम के सुलेमान खाँ/ करीम खाँ से 7 दिसम्बर 1990 में खरीदी थी,जिसकी हमारे पास स्टाम्प पर लिखापढ़ी भी है। अब बड़ा प्रश्न ये है की अगर उक्त जमीन राजस्व की है,तो सुलेमान ने कैसे बेच दी,राजस्व विभाग को क्या उक्त सरकारी भूमि बेचने वाले पर कार्यवाही नही करना चाहिये.?