“जय जिनेंद्र महिला मंडल ने भक्ति भाव से किया श्री भक्तांबर पाठ”
श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर गंज के जय जिनेंद्र महिला मंडल द्वारा चंदननगर में मंडल का मासिक श्री भक्तांबर जी का पाठ भक्ति भाव से किया। वहीं गेम भी खिलाएं गए और विजेताओं को श्रीमती प्रभा राजेश जैन ने पुरस्कार प्रदान किए।
जय जिनेंद्र महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती सुनीता अष्टपगा ने बताया कि जय जिनेंद्र महिला मंडल प्रत्येक माह अपनी एक पदाधिकारी या सदस्य के निवास पर श्री भक्तांबर जी का पाठ करते हैं।इस माह का मंडल का भक्तांबर जी का पाठ श्रीमती प्रभा राजेश जैन के यहां किया गया। जिसमें मंडल की सभी महिलाओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
“आष्टा की आस्था एवं संतो के प्रति सेवाभाव सदैव स्मृति में रहेगा – मुनि निष्कंप सागर”
सेवा किसी भी रूप में हो सेवा को हमेशा उच्च मान्यता एवं स्वीकृति मिलती है। सेवा एक उच्च कोटि का संस्कार है। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सेवा कार्य से जोड़े। सेवा कार्यों के प्रति उन्हें प्रोत्साहित करें। व्यक्ति में सेवा, दया धर्म के प्रति अनुरागिता परिवार से प्रदत्त संस्कारों एवं गुरु सानिध्य से प्राप्त होती है। आष्टा आस्थावान नगर है। चाहे किसी भी धर्म एवं मत के संतों का आगमन आष्टा शहर में हो आम नागरिक की आस्था प्रकट होती है।
प्राणी मात्र में रहने वाले परमात्मा प्राणी मात्र की सेवा से ही प्रसन्न होते हैं। सेवा का अर्थ है, अपने प्राप्त साधनों का तथा अपनी शक्ति का दूसरे के हित के लिए दूसरे की सेवा के लिए, दूसरे के काम में आने के लिए निष्काम भाव से उपयोग करना. जिस क्रिया से दूसरे में रहने वाला रहने वाले परमात्मा प्रसन्न हो, जिससे दूसरे का चित्त शांत हो, उसी का नाम सेवा है।
सेवा से अहंकार का नाश हो जाता है और विनम्रता, शील, संतोष, क्षमा आदि गुणों का पादुर्भाव होता है। जैसे दर्पण से काई हटाने पर प्रतिबिंब नजर आ जाता है, वैसे ही संत सेवा से हृदय रूपी दर्पण सहजता से ही परमात्मा का दर्शन करा देता है। इसलिए मनुष्य सेवा कार्य से जुड़ा रहे। उक्त आशय की वैचारिक परिचर्चा मुनि निष्कंप सागर जी महाराज एवं मुनि निष्काम सागर जी महाराज ने आष्टा के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कैलाश परमार से शुजालपुर प्रवास के दौरान की।
इस अवसर पर शुजालपुर दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष सचिन जैन, वरिष्ठ समाजसेवी संतोष जैन संतोष क्लॉथ स्टोर्स एवं पारस जैन ने पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कैलाश परमार एवं आष्टा दिगम्बर जैन समाज मुनि सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष सुनील जैन प्रगति, सुरेन्द्र परमार एडवोकेट का शुजालपुर दिगंबर जैन समाज की ओर से अभिनंदन किया।
“रावण नहीं राम बनना-मुनि श्री निर्णय सागर
शीतकाल वाचना के पावन प्रसंग में धर्म गंगा की अमृत वर्षा हो रही है”
श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पाठशाला प्रेरक श्री निर्णय सागर जी महाराज ने सीहोर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मन में खोटा ध्यान करना विचार करना अपधयान होता है। जो की जीव को नरक की ओर ले जाता है । जैसे रावण हमेशा राम लक्ष्मण के प्रति बुरा विचार करता था उसके मन में अच्छे विचार कहां आते थे । रावण हमेशा सीता को अपनी पटरानी बनाने का सोचता था पर सीता लंका में जाकर के भी सुध्यान करती थी । जब रावण ने लाखों लाख प्रयत्न सीता को अपना बनाने के कर लिए , तब मंदोदरी ने कहा तुम राम का रुप रखकर सीता के पास जाओ सीता आपको पसंद कर लेंगी। तब रावण कहता है मेने ऐसा भी कर लिया ।
पूछा क्या हुआ रावण ने कहा जैसे ही में राम का रुप बनाकर सीता के पास जाता हूं मेरे मन में सीता के प्रति विचार ही बदल जाते है ।
बुरे विचार का नाम ही अप ध्यान है ।
राम के मन में हमेशा सुधायन रहते थे। जिसको धर्म ध्यान कहते हैं।
रावण हमेशा अपधयान में डूबा रहता था। परिणाम स्वरूप रावण नरक गया।राम का मन धर्म ध्यान मय रहता था वह मोक्ष चलें गये । भगवान बन गये । अब हमें सोचना है कि हम क्या बनना चाहते हैं कहा जाना चाहते हैं। यदि हम राम की तरह धर्म ध्यान करेंगे अच्छा ध्यान करेंगे तो स्वर्ग मोक्ष मिलेगा।ओर रावण की तरह अप ध्यान खोटा ध्यान करेंगे तो नरक के कष्ट मिलेंगे।
मुनि श्री ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि भैय्या मानव जीवन को समझो मन मिला है प्रभु गुरु मिले हैं अच्छा करो अच्छा बोलों ओर अच्छा सौचो। मुनि श्री ने यह भी कहा हमारा नव वर्ष एक जनवरी से प्रारंभ नहीं होता है। भारतीय संस्कृति परंपरा में नव वर्ष चैत्र शुक्ल एकम से अथवा दीपावली से प्रारंभ होता है। पश्चिमी संस्कृति को मत अपनाओ सुरज पुर्व से उगता है ओर पश्चिम में डूबता है।
आप लोग पश्चिमकी नकल करोगे तो डूबना ही है। ओर राम महावीर बनना चाहते हो तो भारतीय संस्कृति पर्व मनाओ विदेशी मत बनो। प्रातः श्री जी के अभिषेक शांति धारा धार्मिक अनुष्ठान मुनि श्री के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने संपन्न कर धर्म लाभ अर्जित किया। तत्पश्चात धर्म सभा में मुनि श्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रवचन दिये । उक्त जानकारी समाज के विमल जैन ने दी
“तीन किलो वाट के सौर संयंत्र लगाने पर 78 हजार की मिलेगी सब्सिडी”
केंद्र सरकार द्वारा लोगों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पीएम सूर्य घर योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना में एक किलोवाट का सोलर संयंत्र लगाने पर 30 हजार रूपये, दो किलोवाट का सोलर संयंत्र लगाने पर 60 हजार रुपए तथा तीन किलोवाट या उससे ऊपर 10 किलोवॉट तक के सोलर संयंत्र स्थापना पर 78 हजार रुपए की सब्सिडी केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही है। इसके लिए देशभर के उपभोक्ताओं को इस योजना में शामिल करके पीएम सूर्य घर योजना से जोड़ने का लक्ष्य केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अपने क्षेत्रान्तर्गत पीएम सूर्य घर योजना के शुभारंभ दिवस 13 फरवरी 2024 से अब तक 6 हजार 377 से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को योजना से जोड़ा गया है। आवेदन के लिए पीएम सूर्य घर योजना की वेबसाइट https://www.pmsuryaghar.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए कंपनी की वेबसाइट www.portal.mpcz.in अथवा उपाय एप, वॉट्सएप चेटबॉट व टोल फ्री नं, 1912 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
“प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में ऑनलाइन आवेदन करने का तरीका”
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना हेतु नागरिक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए पोर्टल pmsuryaghar.gov.in पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन/पंजीयन करें। राज्य का चुनाव करके विद्युत वितरण कंपनी चुनें। फिर उपभोक्ता क्रमांक दर्ज करें। इसके बाद अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी डालें।
उपभोक्ता नंबर और मोबाइल नंबर से लॉगिन कर रूफटाप सोलर के लिए आवेदन करें। अनुमोदन अर्थात अप्रूवल के लिए थोड़ा इंतजार करें। बिजली वितरण कंपनी में पंजीकृत वेंडर से ही सौर संयंत्र लगवाएं। एक बार इंस्टॉलेशन पूरा हो जाने पर प्लांट का विवरण जमा करें। नेट मीटर की स्थापना और डिस्काम द्वारा निरीक्षण के बाद पोर्टल से प्रमाण पत्र दिया जाएगा। कमीशनिंग रिपोर्ट प्राप्त कर आप अपना बैंक खाता विवरण तथा एक निरस्त चेक पोर्टल के माध्यम से जमा करें। तत्पश्चात 45 दिनों में आपको केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सब्सिडी प्राप्त हो जाएगी।