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आष्टा । नूतन वर्ष के प्रथम दिन से शुरू हुई सात दिवसीय श्री भागवतकथा में उमड़े भक्तो के जन सैलाब को कथा के माध्यम से संत श्री गोविंद जाने ने कहा कि अपने जीवन में धन बढ़ाओ, मान सम्मान बढ़ाओ, लेकिन साथ-साथ भगवान की भक्ति को भी बढ़ाओ । श्रृंगार अगर करना है तो राधे कृष्ण नाम का श्रृंगार करो । भगवान पर भरोसा रखो जीवन की गाड़ी को भगवान के भरोसे पर छोड़ दो । कलयुग में बुराई का प्रचार तेजी से होता है और खत्म भी जल्दी ही हो जाता है ।

वही अच्छाई का प्रचार धीरे-धीरे होता है और हमेशा टिका रहता है । चित्र तो सुंदर सब देखना चाहते हैं लेकिन चरित्र सुंदर जिस दिन देखना शुरू कर दोगे उसे दिन रघुनाथ आपसे मिलने आएंगे । अपने अनमोल मिले जीवन को श्री राम के चरित्र जैसा पवित्र बनाओ ।

इस कलयुग में हिंदुओं के घर में दो चीज ज्यादा देखने को मिलती है । एक तो दारू दूसरा आपसी फूट (झगड़े) इन पर लगाम लगाना चाहिए धन का बल तो आसानी से प्राप्त किया जा सकता है लेकिन जिस व्यक्ति ने चरित्र का बल प्राप्त कर लिया उसका जीवन सार्थक हो जाता है।

भगवान को प्राप्त करना है तो अपने अंदर करुणा रूपी बेचैनी को बढ़ाओ । जहां पर अहंकार होता है वह लंका होती है और जहां मर्यादा व संस्कार होते है वह अयोध्या होती है । अपनत्व का भाव रखना ही संसार का सबसे बड़ा रिश्ता है जिस घर में आपस में बेर रखते है ।

वहां प्रेम नहीं झलक सकता। हम रामा दल के लोग हैं । हमारा कर्तव्य, हमारे धर्म के नियमों का पालन करना और रक्षा करना है । जीवन में बैठक बहुत महत्व रखती है । अगर आप संत सत्संग भक्ति मार्ग की बैठक बैठेंगे तो यह बैठक आपके बैकुंठ तक को सुधार देगी । श्रीमद् भागवत कथा का मुख्य लक्ष्य परमात्मा से हमको जोड़ना होता है ।

छोटी-छोटी पगडंडियों के रास्ते से जैसे भजन, भाव, दया, धर्म, कर्म से हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं । जिस प्रकार हम हमारी जमीन में खेती करते हैं इस प्रकार हमारे जीवन में भी खेती करना चाहिए । अगर आपके परिवार में अच्छाई सच्चाई संस्कार की खेती होगी तो पूरे परिवार की फसल सुधर जाएगी ।संतों का सत्संग भागवत पुराण भजन भाव पर आश्रित अगर होने लगेंगे तो हमारे जीवन की आशाएं जागृत होने लगेगी ।

“हमे सद्गुरु के द्वारा कहे वचनों पर चलना चाहिये-गोविंदजाने” 

भक्तो से खचाखच भरे पांडाल में उपस्तिथ भक्तो को आज कथा का मुख्य बिंदु “वचन या वाणी” विषय पर प्रकाश डालते हुए गोविंदजाने ने कहा कि “सद्गुरु वैद्य वचन विश्वासा” का मतलब है कि श्री सद्गुरुदेव को अपना योग्य वैद्य बनाना चाहिए और उनके वचनों पर हमे चलना चाहिए । ईश-कृपा की प्राप्ति के लिए पहले श्री सद्गुरुदेव को अपना योग्य वैद्य बनाना चाहिए और उनके वचनों पर अटूट विश्वास रखना चाहिए ।

प्रभु-भक्ति ही वह संजीवनी वटी है, जिसके प्रयोग से सभी व्याधियों का विनाश हो सकता है । हमारी वाणी में चुगली ना रहे, किसी का घर बर्बाद ना हो, अपने कर्मों को प्रबल बनाओ, समय की पहचान करो, समय से भजन करो भजन रस में जो आनंद और मजा है ।

बस संसार के किसी भी रस में नहीं । अगर हमारी आखिरी सांस में राम निकल जाए तो जीना मरना मनुष्य धर्म का कर्म सफल हो जाता है । जिस घर में प्रतिदिन राम कथा होती हो वह घर वैष्णव जन होता है । संत तो अपार समुद्र के समान होता है अगर संत को समझना है तो आपको संत ही बनना पड़ेगा ।

जननी माता, गौ माता, तुलसी माता, पीपल का पेड़, उनकी छाया में बैठकर जो भी ज्ञान ग्रहण करते हैं, वह ज्ञान अमर होता है । गंगा में स्नान करने से काम, क्रोध, मोह, लोभ, कम होता है । अपने व्रत भजन सद्गुरु के भरोसे को कभी कम मत होने देना,आप कभी नहीं हारोगे । जो व्यक्ति भाई, मां-बाप ओर परिवार से कपट करे तो वह दुर्योधन कहलाता है । अपने कर्मों को इतना सार्थक कर ले कि संत अगर आपके कर्मों को बड़ा करें और साथ-साथ अगर आपका शत्रु भी उसके मुख से कहे कि सामने वालों के कर्मों में उसके बातों में उसके व्यवहार में दम तो है उसे दिन समझना कि आपका कम सार्थक हो जाएगा ।

आज व्यक्ति ने गौ माता को छोड़ दिया, खेत की मेड को मोड़ दिया,इसलिए भगवान ने भी अपनी कृपा को छोड़ दिया । जहां पर लेने के भाव खत्म हो जाते हैं,वहा लालच समाप्त हो जाता है और देने का भाव करुणा का भाव जागृत हो जाता है, वह चित्रकूट कहलाता है ।जिन पर राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू तक नहीं सकता । रघुनाथ जिस पर कृपा करते है उस पर तो सभी की कृपा अपने आप होने लगती है । 

“नपाध्यक्ष हेमकुंवर मेवाड़ा ने संत गोविंदजाने का सम्मान कर लिया आशीर्वाद”

 स्थानीय भोपाल नाका पर मालवांचल के प्रसिद्ध संत गोविंदजाने के मुखारबिंद से आयोजित सात श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन कथा श्रवण करने पहुंचे, इसी कड़ी में नपाध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवर मेवाड़ा, प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा, पार्षदगण रवि शर्मा, तारा कटारिया के साथ पहुंची, जहां श्रीमती मेवाड़ा ने व्यासपीठ पर विराजित संत श्री गोविंदजाने का पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मान कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

कथा के पश्चात् नपाध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवर रायसिंह मेवाड़ा ने श्रीमद्भागवत की आरती उतारी । कथा के द्वितीय दिवस हजारों की संख्या में नगर सहित ग्राम्यांचलों से महिला-पुरूष श्रद्धालुजन कथा श्रवण करने पहुंचे, जहां संत श्री गोविंदजाने ने अपनी मधुरवाणी से उपस्थित भक्तों को श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराया।इस अवसर पर कथा में मुख्य रूप से अनोखी लाल खंडेलवाल, मेहरवान सिंह मुंडीखेड़ी,सोभालसिंह मुगली, सोनू गुणवान,बंटी मेवाड़ा,

चेतन सिंह ठाकुर, राजा मेवाड़ा, चेतन वर्मा, जुगल पटेल, जीवन सिंह मंडलोई, नानूराम मेवाड़ा, डॉ मीना सिंगी मनोज नागर,राय सिंह मेवाडा, कैलाश परमार, रवि शर्मा, तारा कटारिया, जगदीश चौहान,चन्दर ठेकेदार ,विजय खंडेलवाल, धीरज पटेल, जाटाल सिंह मेवाडा, गणेश सोनी, देवराज परमार,जितेंद्र सिलोटिया, गोविंद सोनी,आदि प्रमुख जन उपस्तिथ रहे।

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