आष्टा। मानव जीवन में योग और ध्यान का बहुत महत्व है।मंत्र की आराधना यंत्र से नहीं मन से करना चाहिए।ओम सृष्टि का महत्वपूर्ण, ऊर्जा का महत्वपूर्ण भंडार है। समीचीन ज्ञान और चारित्र से बना हुआ है। अर्हम यह अक्षर सिद्ध परमेष्ठि समूह का सप्रबीज है और ब्रह्मा का वाचक है। में सब और से ऐसे मंत्र को नमस्कार करता हूं। गुरु के प्रसाद से अर्हम को तीन प्रकार से ध्याना चाहिए।
ओम परमेष्ठि वाचक घ्रुत, विनय और तैजस बीज मंत्र पद हैं।अ- ज्ञान का,उ- दर्शन का,म-चारित्र का प्रतीक है।अ-उ-म संघी होने पर औंकार शब्द बनाता है।शत्रु स्तम्भन के लिए पीले रंग में ,द्वेष के समापन के लिए काले रंग , वशीकरण के लिए लाल वर्ण में और पाप कर्म के नाश के लिए श्वेत वर्ण में चिंतन करना चाहिए ।
ओम का ध्यान शरीर में पांच तत्वों की पूर्ति करता है।ओम मंत्र अपने आप में व सृष्टि का सार भूमित मंत्र है।इसकी आराधना सभी धर्मों में की जाती है। उक्त बातें नगर के विश्राम गृह परिसर में आयोजित दो दिवसीय अर्हम ध्यान योग शिविर को संबोधित करते हुए मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहीं।
आपने उपस्थित जनों से अहम का त्याग और अर्हम की आराधना करने का आव्हान किया। स्वस्थ रहने के लिए नित्य ही ध्यान और योग करने की बात कही। आपने कहा आत्मा अनादि है ,मानवता अनादि है, अक्षर अनादि है।
उसी प्रकार यह मंत्र भी अनादि है। मंत्र मनन, चिंतन और ध्वनन क्रिया के प्रतीक हैं। मंत्र बीजात्मक होते हैं।बीज ही विशाल वृक्ष का रूप धारण करता है। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा भारतीय संस्कृति जो योग और ध्यान की ओर जोड़ता है।
यह दुर्लभ मानव काया आत्म कल्याण हेतु मिली है, संसार में डूबने के लिए नहीं। आज आपाधापी का युग है। जिसमें आपको अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नित्य ही समय देना चाहिए। अनादिकाल से ऊर्जा के भंडार को कैसे प्राप्त करें।शरीर रूपी तंत्र का निर्माण पंच तंत्र से हुआ है।
जाल की तरह नाड़ियां शरीर में फैली हुई है। सकारात्मक ऊर्जा का पिंड बनाएं। आप लोगों की दिनचर्या बिगाड़ने से रोगों में वृद्धि हुई है। ओम अर्हम और अर्हम ध्यान से जुड़े। सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा जिससे आप जुड़ेंगे वैसी ही ऊर्जा आपको प्राप्त होगी।
शरीर साधन है,साधना नहीं।आप चिंतन,मनन करें कि सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो रही है। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज के परम सानिध्य में अर्हम ध्यान योग शिविर पिछले रविवार को भी आयोजित किया गया था।
जिसमें जैन समाज ही नहीं अन्य समाज के लोगों ने शामिल होकर ध्यान व योग किया था। शनिवार 26 अक्टूबर को सभी के आग्रह पर दो दिवसीय अर्हम ध्यान योग शिविर प्रारंभ किया गया। रविवार 27 अक्टूबर को सुबह सवा छः बजे यह शिविर विश्राम गृह परिसर में होगा।