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आष्टा । सावन के अंतिम सोमवार के शुभ अवसर पर शहर के शिवालयो में प्रातः से ही भक्तो की भीड़ उमड़ी। रक्षाबंधन के साथ शुभ संयोग से मंदिरों में रौनक बढ़ी जिसके कारण भक्तो की आस्था में और अधिक उत्साह का संचार हुआ.

इसी कड़ी में नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा अपने साथियो सहित प्राचीन शंकर मंदिर पहुचे जहाँ उन्होंने भक्ति भाव से भगवान शंकर का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की. वही माँ पार्वती व पापनाश नदी के संगम स्थित भगवान पशुपतिनाथ मंदिर भी पहुचे जहाँ भव्य महाआरती का लाभ लिया ।

दोनों ही प्राचीन मंदिरो में भगवान का मनमोहक श्रृंगार किया गया था जिसको शिव भक्तो ने खूब निहारा. इसी बीच ब्राह्मण समाज द्वारा माँ पार्वती नदी में स्नान कर श्रावणी उपाकर्म का आयोजन किया

जिसमे नपाध्यक्ष प्रतिनिधि ने अपनी सहभागिता निभाते हुवे नगर पुरोहित पंडित मनीष पाठक, डॉ दीपेश पाठक, प्रेमनारायण शर्मा, पार्षद रवि शर्मा, सुनील शर्मा, कुलदीप शर्मा, हरीश शर्मा, निर्मल बैरागी,

मनोहर बैरागी सहित बढ़ी संख्या में मौजूद ब्राह्मणजनों को यज्ञोपवीत व दक्षिणा भेटकर उनका आशीर्वाद लिया.
नपाध्यक्ष प्रतिनिधि श्री मेवाड़ा ने कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसके अनुष्ठानों में छिपा है। यह पर्व न केवल पवित्रता और आचरण की शुद्धता को बढ़ावा देता है, बल्कि समाज में धर्म और कर्तव्यों की पुनः स्थापना का भी प्रतीक है।

यह दिन सनातन धर्मावलंबियों को अपने दायित्वों की याद दिलाने के साथ-साथ आत्मशुद्धि का अवसर भी प्रदान करता है। इसके अलावा इस दिन को रक्षाबंधन के रूप में भी मनाया जाता है। जहां भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और बहनें उनके दीर्घायु होने की मंगल कामना करती हैं।

इसी तरह यज्ञोपवीत संस्कार का सामाजिक महत्व भी है, जो पारिवारिक और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। इस अवसर पर नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा के साथ पार्षदगण रवि शर्मा, तेजसिंह राठौर, आशीष बैरागी, मनीष किल्लोदिया सहित बढ़ी संख्या में शिवभक्त व विप्रजन मौजूद थे ।

विप्र बंधुओ ने पार्वती नदी पर मनाया श्रावणी पर्व,शंकर मन्दिर में हुई धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न

ब्राह्मणों ,व यज्ञोपवीत
द्विजों का महापर्व श्रावणी प्रतिवर्षानुसार सोमवार को नगर के प्राचीन शंकर मंदिर व मां पार्वती की तट पर नगरपुरोहित पं मनीष पाठक के आचार्यत्व में सम्पन्न हुआ।सर्वप्रथम प्राश्चित संकल्प लिया पंचगव्य को लेकर तथा पवित्र कुश एवं आडिझाड़े से स्नान कर द्विजजनो ने संस्कार किया।साथ ही।

पं पाठक ने बताया कि इस दिन जिनका यज्ञोपवीत संस्कार हो चुका है,वह पुराना यज्ञोपवीत उतार कर नवीन यज्ञोपवीत धारण करता है।इस संस्कार से व्यक्ति का दूसरा जन्म हुआ माना जाता है।

इसी को ध्यान में रखकर विप्र व द्विजजनो ने श्रावणी पर्व पर संकल्प,संस्कार व स्वाध्याय का यज्ञोपवित कार्य सम्पन्न किया गया। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि राय सिंह जी मेवाड़ा पार्षद रवि शर्मा एवं मित्र मंडल ने आचार्य सहित सभी ब्राह्मणों का सम्मान किया

“देवऋषियो को दी आहुति”

स्नान,तर्पण के बाद ऋषिपुजन सूर्य उपासना,एवं यज्ञोपवीत पूजन तथा नवीन यज्ञोपवीत आत्मसयंम के लिये धारण किया इसी के साथ विप्र एवं द्विजजनो ने स्वाध्याय कर आहुतियां देकर सप्तऋषयो को नमन किया।उसके बाद एक दुसरो को यज्ञोपवीत समर्पित कर वरिष्ठजनों से आशीर्वाद प्राप्त किया।

श्रावणी पर्व कार्यक्रम में
पं चंद्रशेखर पंडिया,पं प्रेमनारायण शर्मा, पं हरिनारायण शर्मा , पं कांतिलाल जोशी,पं मुकेश पाठक, पं सतीश जी पंडिया, नगर अध्यक्ष सेवा संघ निर्मल वैष्णव , डॉ दीपेश पाठक, पं महेंद्र पाठक,पं उदय श्रोत्रीय

पं सुनील शर्मा शास्त्री, पं संतोष दुबे, पं सुधीर जोशी, पं संतोष जोशी, पत्रकार अक्षत पाठक,शंकर मंदिर महंत राजगीर गिरी ,शैलेन्द्र गिरी,गणेश मंदिर महंत विष्णुदास, पंडित प्रयांक पाठक,पं उज्जवल पंड्या,

पं चेतन पंड्या, हितेश शर्मा,पं सार्थक शर्मा ,पं पार्थ पाठक,दिनेश बैरागी अभिषेक बैरागी आदि सहित बड़ी संख्या में विप्रगण उपस्थित थे।
उसके बाद एक दुसरो को यज्ञोपवीत समर्पित कर वरिष्ठजनों से आशीर्वाद प्राप्त किया।

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