भगवान जगन्नाथजी का रथ खींचने से व्यक्ति अपने दुर्भाग्य को दूरकर सौभाग्य का सृजन करता है – रायसिंह मेवाड़ा
भगवान जगन्नाथ निकले नगर भ्रमण पर, हुवे प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन
आज सम्पूर्ण नगर मे उत्साह ला माहौल है, नगर के प्रत्येक मंदिर मे धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही विभिन्न आयोजन हुवे. अलीपुर स्थित बांसबेड़ा मंदिर मे भगवान जगन्नाथ जी की भव्य पूजा अर्चना कर महाआरती हुई.
तत्पश्चात मंदिर समिति एवं नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा द्वारा भगवान जगन्नाथ को सिर पर धारण कर सुसज्जित रथ पर सवार किया, जिसे उपस्थित भक्तो द्वारा अपने हाथों से खींचकर भगवान जगन्नाथ जी की जयघोष करते हुए नगर भ्रमण के लिए निकले ।
नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा ने कहा कि भगवान जगन्नाथजी का रथ खींचने से व्यक्ति अपने दुर्भाग्य को दूरकर सौभाग्य का सृजन करता है। भगवान की रथयात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
भगवान नाम का संकीर्तन करने मात्र से सौ जन्मों का पाप नष्ट हो जाता है, रथ में स्थित पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण, बलभद्र और सुभद्राजी का दर्शन करके मनुष्य अपने करोड़ों जन्मों के पापों का नाश कर लेता है।
प्राणप्रतिष्ठा समारोह मे की पूजा अर्चना- इसी प्रकार नामदेव छीपा समाज द्वारा आयोजित भगवान शिव परिवार प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा द्वारा शामिल होकर भगवान की पूजा अर्चना कर नगर के नागरिको की मंगल कामनाये की ।
इस अवसर पर नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा, जुगलकिशोर मालवीय, पार्षद कमलेश जैन, रवि शर्मा, डॉ सलीम खान, धनरूपमल जैन, ओम नामदेव, जीतमल बागवान, गजेंद्र शास्त्री, तारा कटारिया, सुभाष नामदेव, आरती नामदेव, राजकुमार मालवीय, भगवती प्रसाद शर्मा, राजू मिश्रा सहित बड़ी संख्या मे भक्तगण मौजूद थे
“दिल में रहने वाला दोहरे चरित्र के कारण दिल से उतर जाता है
लोगों को जीवन से मोह है लेकिन मौत से डरते हैं — मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज”
प्रवचन सुनने से लाभ नहीं, लेकिन गुरु द्वारा दिए गए मार्ग दर्शन में लोगे तो प्रवचन सुनने से लाभ। कोई मार्ग दर्शन के रूप में लेते हो तो जीवन में उसकी अमिट छाप होती है। हम अपनी आत्म मुग्धा से मुक्त नहीं हो रहे हैं। माया की गांठ बड़ी मजबूत बंधी है।
जिस पर अटूट विश्वास वह व्यक्ति दोहरा चरित्र रखता है तो वह दिल में रहने वाला व्यक्ति दिल से उतर जाता है।जिसको आप सबकुछ अपना समझते हैं वह आपका नहीं है, सत्य का बौध होना चाहिए। जिसने जन्म लिया है उसकी मौत निश्चित है। जन्म लेने वाले मरते हैं लेकिन हम नहीं दूसरे मरते हैं। दुनिया भर की योजनाएं धरी की धरी रह जाती है। व्यक्ति को जीवन से मोह, मृत्यु से डरता है।
मृत्यु से कोई नहीं बच सकता है। जैसा करोंगे वैसा भरोगे, कुछ लेकर आए नहीं और न ही लेकर जाएंगे। कोई हमारे नहीं है। मुठ्ठी बांधकर आए और हाथ पसार कर जाओगे। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजित शंका समाधान एवं सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र पर गुणायतन प्रणेता मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।
“दुनिया से एक दिन सभी को जाना है”
मुनिश्री के प्रवचन की जानकारी समाज के नरेन्द्र गंगवाल ने देते हुए बताया कि मुनिश्री ने कहा कि आज में आप सभी को मृत्यु का बौध करा रहा हूं,सात दिन की जिंदगी है, सच्चाई को सुनकर भी अनसुना क्यों कर रहे हों। दो दिन की जिंदगी,पलभर का सफर है।तय यह करो कि कैसे जाना है।मौत निश्चित है,पुण्य के सिंहासन पर सवार होकर जाना है या बेड़ियों में जकड़ कर,तय करों। हरपल मृत्यु के लिए तैयार रहो।
“जब शरीर ही आपका नहीं तो …. आत्म कल्याण के लिए जीओ”
मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने कहा जब शरीर भी तुम्हारा नहीं तो फिर परिवार कैसा। जीयो आत्म कल्याण के लिए। खुदके होकर जियो,पर के लिए नहीं।मोह में जीने वाला अपनी अंतरात्मा को नहीं पहचान पाया है। व्यक्ति माला के पीछे नहीं माल के पीछे भाग रहा है।
“जीवन नश्वर है और आत्मा अमर”
मुनिश्री ने कहा यह जीवन नश्वर है। मरने के पहले अमर बन जाओ,चिता जले उसके पहले चित्त को जगा लो।पहले श्मशान में थोड़ी बहुत त्याग की बात होती थी और आज वहां भी हंसी ठिठोली करते हैं। आत्मा से अनुराग जोड़े,एक तिनका भी साथ नहीं जाएगा, जोड़ना है तो वह जोड़े जो साथ जाएंगा,वह है धर्म।धन, वैभव यही रह जाएगा,गुण वैभव जोड़े, दृष्टि को बदलें, अपनी सिर्फ आत्मा है।
“किसी की कमी एकांत में बताएं”
मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने कहा किसी की भी कमी सबके सामने न बताएं,उसकी अच्छाई के साथ कमी दिखाएं। अपनी बेटी बड़े नगरों में देना चाहते हैं और अपने यहां बहू को लाना चाहते हैं,यह कैसे संभव है,अपनी मानसिकता बदलना होगी।
“जीवन हमारे जीवन का साधन,साधक नहीं”
मुनिश्री ने कहा जीवन हमारे निर्माण का साधन है,साधक नहीं। व्यक्ति की पहचान चेहरे से नहीं चरित्र से होती है। आदमी के चरित्र को पहचान कर काम करे।
“काल सर्प योग वाले देश में प्रख्यात हुए”
मुनिश्री ने शंका समाधान कार्यक्रम में काल सर्प योग के प्रश्नोत्तर में कहा कि 55 साल पहले किसी ने इसे निजात किया है।हाथ कंगन को क्या आरसी। भगवान की भाव भक्ति से आराधना करों, सारे कष्ट दूर होंगे।काल सर्प योग वाले मुकेश अंबानी, सचिन तेंदुलकर सहित अनेक लोगों को काल सर्प योग लेकिन आज वे पूरे देश ही नहीं विश्व में प्रसिद्ध है।
“बच्चा बाद में पैदा हो रहा जन्म पत्रिका पहले बन रही”
मुनिश्री ने कहा 36 गुण मिलाकर शादी करने वाले के आज 36 का आंकड़ा चल रहा। आज पहले जन्म पत्रिका बन रही, बच्चे बाद मे जन्म ले रहे हैं। प्रपंचों में न उलझें। महापुरुषों का जन्म पुण्य भूमि पर होता है।यह देव भूमि है। यहां तीर्थंकरों और महापुरुषों का जन्म हुआ है। जब भी मौका आए में नहीं हम का उपयोग करें। धर्म क्षेत्र पर सिर्फ धर्म की ही चर्चा होनी चाहिए।हिरण और शेर अपने अपने लिए जीते हैं। अनेक बार शेर भूखा भी रहता है।
निर्वेग सागर महाराज का प्रश्न चरणों की रज का महत्व है या चरण स्पर्श का। चरणों और चरण रज दोनों का महत्व मुनिश्री ने बताया।चरण आचरण का प्रतीक। चरणों में इसीलिए शीर झुकाते हैं। गुरु के चरण स्पर्श कर उनकी ऊर्जा मिलती है।होश मत खोइए,चरण रज से हम अपने जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं गुरु की रज शिष्य के मस्तिष्क पर चंदन के समान है। पूर्वाग्रह के कारण अच्छाई नहीं दिखती है। बच्चों को पाठशाला में थोपें नहीं। उन्हें धर्म आराधना सिखाए।