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आष्टा । जो छात्र छात्राएं अपने माँ बाप की आंखों के तारे है,माँ बाप ने इन बच्चों को उनका सुंदर भविष्य बनाने देश की जिस नामी यूनिर्वसिटी वीआईटी में अपना व अपने परिवार के खर्चो को कम कर मनमानी,मोटी फीस जमा कर वीआईटी कोठरी भेजा ।

आज वे बच्चे जो कॉलेज के होस्टल में रह रहे है भीषण आग उगलती गर्मी में दो से तीन सप्ताह से बूंद बूंद पानी को तरस रहे है,विद्यार्थियों को ना पीने को पानी मिल रहा है और ना ही उनको नहाने-धोने के लिये बाथरूम,शौचालयों में पर्याप्त पानी आ रहा है।

इसकी शिकायत छात्र छात्राओं ने उन सब जिम्मेदारों से की लेकिन हिटलर तो हिटलर होता है वाली कहावत के तहत किसी ने परेशान विद्यार्थियों की नही सुनी। और अंततः आज रात्रि में करीब 1 से 2 बजे के बाद

होस्टल में रह रहे प्यासे छात्र छात्राओं के सब्र का बांध टूट गया और सभी जिनकी संख्या सैकड़ो में नही हजारों में होगी होस्टल के अपने अपने कक्षो से बहार आ गये ओर परिसर में जम कर पानी दो,पानी दो के नारों के साथ प्रदर्शन किया।

वीसी भी आये उनको भी घेर लिया। पुलिस को सूचना दी पुलिस भी मौके पर पहुची। पीड़ित विद्यार्थियों की समस्या को हल करने के बदले वीआईटी ने एक तुगलकी आदेश जारी करने की आपुष्ट खबर आई कि उसने आज से 30 मई तक जो परीक्षाएं होना थी उसे निरस्त कर 17 जून तक समर वेकेशन घोषित कर विद्यार्थियों को अपने अपने घर जाने को कह दिया।

वैसे कॉलेज की ओर से इसकी अधिकृत सूचना जारी नही की लेकिन सूत्र बताते है कि विद्यार्थियों को मेल पहुचे है। रात्रि में आंदोलन रत विद्यार्थी गेट खोल सड़को पर आ गये, जम कर नारेबाजी की,खबर है जब किसी भी जिम्मेदारों ने इनकी पीड़ा को ना ही सुनी और ना ही समझी तब अंदर जम कर तोड़ फोड़ भी हुई जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए है।

आज प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार मुकेश सांवले,अमलाह चौकी प्रभारी राजेश पंथी पूरे मामले को सुनने,जानने,समझने कालेज पहुचे। जब हमने उनेह फोन किया तब उन्होंने बताया कि वो कालेज पहुचे है,सभी के साथ बैठक चल रही है,बैठक के बाद आपको बताता हूं। रात्रि में घटना की सूचना पर अमलाह चौकी प्रभारी राजेश पंथी सादल बल के वीआईटी पहुचे थे।

उन्होंने बताया कि होस्टल में करीब 2 सप्ताह से पानी की समस्या चल रही है उसको लेकर ही रात्रि में आंदोलन हुआ था। अब बड़ा प्रश्न यह है कि जो वीआईटी विद्यार्थियों से पढ़ाई,होस्टल में रहने,बस सुविधा आदि के नाम पर मनमाना शुल्क लाखो में बसूल रहा है तो उस मान से विद्यार्थियों को पर्याप्त सुविधाए क्यो नही दी जा रही है,इसकी उच्चस्तरीय जांच हो।

जो छात्र छात्राएं होस्टल में रहते है सूत्र बता रहा है कि उनसे एक सेमेस्टर के देढ़ से 2 लाख रुपया लिया जाता है,अगर इतनी बड़ी मोटी रकम ली जा रही है तो विद्यार्थियों को पर्याप्त पानी क्यो उपलब्ध नही कराया जा रहा है,कालेज में जल स्त्रोत नही है,सुख गये है तो बाजार से टैंकरों से पानी माँगये और उपलब्ध कराएं विद्यार्थी जल संकट क्यो भुगते।

अगर कालेज व्यवस्था नही कर सकता है तो लिया शुल्क वापस करे या कम करे। बताया जा रहा है कि जब पीड़ित परेशान छात्र आवाज उठाते है तो जिम्मेदार उनेह तरह तरह से डराते, धमकाते है,उन पर कार्यवाही करते है,उनका साल या भविष्य बर्बाद करने जैसी कार्यवाही करने के नाम पर डराया जाता है।

शायद मैनेजमेंट भूल गया है कि ये अब वो भारत नही है जब जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के नाम पर डराया जाता था। निश्चित मामला गम्भीर है,विद्यार्थियों की बात और मांग भी जायज लगती है।

इसको लेकर जिला कलेक्टर श्री प्रवीणसिंह जी को चाहिये कि वे पहल कर मैनेजमेंट को बुलाये ओर विद्यार्थियों की समस्या भीषण गर्मी में पानी की समस्या को हल करने के निर्देश दे ताकि आग उगलती इस भीषण गर्मी में पानी के कारण कोई अनहोनी घटना दुर्घटना ना घटे। स्मरण रहे लम्बे समय से वीआईटी किसी ना किसी कारण से सुर्खियों में बना रहता है।

यहा अव्यवस्थाओ का बोल बाला है इसको लेकर भी शासन प्रशासन को संज्ञान लेना होगा। पीड़ित विद्यार्थियों का कहना है जो होस्टल है वो कालेज से काफी दूर है,भीषण गर्मी में होस्टल से कालेज तक आना भी बड़ी परेशानी का कारण है,जितने विद्यार्थियों को यहा प्रवेश दिया जा रहा है उस मान से व्यवस्थाए भी ना काफी है मतलब साफ है बस अर्थ आने दो.?


आज स्थानीय प्रशासन की ओर से राजस्व,पुलिस,पीएचई का एक दल भी वीआईटी पहुचा आई समस्या को जानने,कैसे हल हो सकती है समस्या को लेकर चर्चा हुई है।
जो संस्था मनमानी फीस,शुल्क ले कर सुविधा ना दे ऐसी संस्था पर ठोस कार्यवाही होना चाहिये ।

वही पीड़ित विद्यार्थियों के साथ क्षेत्र के सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी,विधायक गोपालसिंह इंजीनियर, कोठरी नप अध्यक्ष नगीना राधेश्याम कासन्या को भी खड़ा होना चाहिये आखिर मामला इनके क्षेत्र का ही तो है।

वीआईटी में मूक जानवरो के ये हाल है,अंदाजा लगाओ…!

देखते है पानी को तरसते विद्यार्थियों के साथ कौन न्याय करता है.!
इस पूरे मामले में अभी तक वीआईटी की ओर से किसी भी जिम्मेदार ने अपना पक्ष प्रेस को नही भेजा है,उसके आने का इंतजार है।

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