आष्टा। आष्टा जनपद के ग्राम बागैर वासियों के द्वारा 16 मई से 22 मई तक श्री मद भागवत कथा का आयोजन किया गया है जिसमे कथावाचक पंडीत हरिमाधव शास्त्री के श्रीमुख से से संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का श्रवण श्रद्धालुओ को कराया जा है ।
इस दौरान ग्राम बागेर में अयोजित श्री मद भागवत कथा के दूसरे दिवस कथावाचक पंडित हरीमाधव शास्त्री ने बहुत सुन्दर प्रसंग सुनाते हुए बताया की कैसे भगवान श्री कृष्ण ने साड़ी के आंचल के बदले द्रोपदी की भरी सभा में लाज बचाई थी!
कथावाचक पंडित हरीमाधव शास्त्री ने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर बताया की भाई रक्षाबंधन पर अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करते हैं ।
और रक्षाबंधन को लेकर पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं,भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी कथा सबसे अधिक प्रचलित है। श्रीकृष्ण और द्रौपदी के रिश्ते में भाई-बहन जैसा असीम स्नेह था। एक बार युद्ध भूमि में जब श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहा था, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया था, जिस पर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बहन मानते हुए इसका ऋण चुकाने का वचन दिया था।
और श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा था कि- जिस समय भी वह स्वयं को संकट में पाएं, उन्हें याद कर ले। तभी जब धृतराष्ट्र के भरी राजसभा में द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था कि तब कृष्ण ही थे जिन्होंने अपनी बहन की लाज बचाई थी। और एक छोटे से साड़ी के टुकड़े के बदले कई साड़ीया बड़ाई थी ।
बहन द्रौपदी की पुकार सुनते ही श्रीकृष्ण ने लाज बचाई। उन्होंने द्रौपदी की साड़ी को इतना बड़ा कर दिया कि दु:शासन साड़ी खींचते-खींचते थक गया और बेहोश हो गया। राजदरबार में साड़ी का ढ़ेर लग गया, लेकिन द्रौपदी की साड़ी कृष्ण की लीला से समाप्त नहीं हुई। इस तरह से श्रीकृष्ण ने अपने दिए वचन से बहन द्रौपदी की लाज बचाई और रक्षा का दायित्व निभाया।
इसी तरह यदी अपनी बहन पर कभी भी संकट आए तो कृष्ण की भांति मदद करे! ग्राम बागैर में कथा का दूसरा दिवस था कथा का आयोजन दुपहर 12 बजे से 3 बजे तक किया जा रहा है जिसका समापन 22 मई को किया जाएगा। इस दौरान कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है