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आष्टा । आष्टा की कृषि उपज मंडी लगातार अखबारों,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,सोशल मीडिया में चर्चा में बनी हुई है। आष्टा मंडी में जिम्मेदारों की मनमानी,तरह तरह के नये नियम कायदे बिना सभी पक्षो को विश्वास में लिये थोपने को लेकर कई बार मंडी में व्यापारी ओर मंडी प्रशासन आमने सामने हो चुका है,जो अखबारों की सुर्खियों में बना रहा। हुए विवादों के बाद स्वयं नवागत एसडीएम श्रीमती स्वाति मिश्रा को मैदान में उतरना पड़ा था। खबर है की रात्रि में भी वे अचानक मंडी पहुची थी।


जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मंडी के अधिकारी कर्मचारी बिना नाथ मोरे के हो गये है। इसका नजारा स्वयं एसडीएम द्वारा कुछ दिनों पूर्व प्रातः मंडी के औचक निरीक्षण के दौरान स्वयं देख चुकी है। जब मंडी के निरीक्षण के दौरान 10 से 15 अधिकारी कर्मी अनुपस्तिथ मिले थे । तथा लम्बे समय से मंडी में सुरक्षा गार्डों की संख्या को लेकर जो घालमेल चल रहा था जब एसडीएम ने जानकारी ली तब उसकी भी पोल खुल चुकी थी ।

सुरक्षा गार्डों के मामले को लेकर मंडी में तरह तरह की चर्चा आम है। आष्टा मंडी में जिम्मेदारों की मेहरबानी से आज भी मंडी में नीलम हुआ माल मंडी से बहार कैसे तुलने जाता है इसका कोई जवाब नही है,नीलाम हुआ माल दुकानों पर पहुच कर किसी कारण से कैंसिल हो जाता है तो फिर वो कैंसिल हुआ माल कहा जाता है,क्या उसकी दोबारा नीलामी होती है,नही होती है तो वो माल कहा तुलता है,क्या उसका टेक्स जमा होता है या बाले बाले हार पहन लिये जाते है।

कैंसिल हुए माल का रिकार्ड कौन रखता है,कितना माल कैंसिल हुआ,उसमे से कितना माल वापस डबल नीलाम हुआ,अगर वो माल नीलम नही हुआ तो क्या किसान वापस घर ले गया अगर घर ले गया तो निश्चित इसकी इंट्री जावक गेट पर तो होगी ही,ओर अगर वो माल ना ही डबल नीलम हुआ और ना ही जावक गेट से बहार गया तो आखिर वो माल कहा गया क्या उस माल को मंडी प्रांगण निगल गया या आकाश में उड़ गया।

जब से वर्तमान मंडी सचिव आष्टा में पदस्थ हुई तब से आज तक कितना माल कैंसिल हुआ,क्यो हुआ,क्या उसकी डबल नीलामी हुई,नही हुई तो क्या वो माल जावक गेट से वापस किसान ले गया,नही ले गया तो आखिर वो कैंसिल हुआ माल कहा गया इसकी जांच हो तो एक बड़ा भांडा उजागर हो सकता है,नीलाम माल कैंसिल होने को लेकर पूरी मंडी में 3 रुपये कुंटल की गर्मागर्म चर्चा ने भी सभी को परेशान कर रखा है। आखिर ये 3 रुपये कुंटल का क्या मामला है इसको भी जांच के दायरे में शामिल करना चाहिये ।

क्या भारसाधक अधिकारी इसको भी संज्ञान में ले कर जांच करेंगी.? आज आष्टा मंडी के गलियारों से खबर आई कि कुछ पत्रकारो को मंडी से बिना टैक्स चुकाये कुछ वाहन कृषि उपज भर कर जावक गेट से जाने वाले है,इसको कवर करने कुछ पत्रकार मौके पर पहुच भी गये,अपना गला फसता देख अपनी बला उतारने के लिये मंडी सचिव ने मंडी के एक व्यापारी को ये जानकारी दी कि कुछ पत्रकारो को,मंडी में जो चल रहा है उससे मुझे तो नही पर उन पत्रकारो को दिक्कत है,अगर मंडी में कुछ गलत हो रहा है तो उस गलत से मंडी सचिव को आखिर कोई दिक्कत क्यो नही है ये बहुत कुछ कहता है। कुछ तो क्या सब कुछ कहता है और इसे वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में लेना चाहिये कि अगर मंडी में कुछ भी गलत हो रहा है तो उसको देख कर भी अनदेखा करना भी बड़ा अपराध है और उस अपराध की सजा तो मिलना ही चाहिये।

मंडी सचिव द्वारा कही झूठी बात को पुख्ता किये बिना एक नासमझ व्यापारी ने नगर के एक पत्रकार को इसकी जानकारी दे दी। पत्रकार ने भी चुगली करने पर मंडी सचिव की इस गंदी हरकत की,मंडी की भारसाधक अधिकारी एसडीएम श्रीमती स्वाति उपाध्याय को शिकायत कर मंडी में सचिव के संरक्षण में जो चल रहा है उसे संज्ञान में लेने की मांग की।

एसडीएम ने इस पूरे मामले को बड़ी गम्भीरता से सुना और पत्रकार को भरोसा दिया कि वे इस मामले को लेकर मंडी सचिव को जल्द तलब कर पूरी जानकारी लेंगी। एसडीएम ने कहा अगर पत्रकार के पास कोई मामले की शिकायत,जानकारी आती है तो उसे पूरा अधिकार है कि वो आई सूचना या जानकारी की सम्बंधित अधिकारी से चर्चा कर उसकी पुष्टि करे। एसडीएम ने आई शिकायत की पूरे मामले को संज्ञान लेने की बात कही है ।

जब झूठ की पोल खुल गई तो पोल खुलते ही रात्रि में मंडी सचिव ने मजबूरी में कई वाहनों की चेकिंग की। सूत्र बताते है की कुछ वाहन जो ना जाने क्यो जावक गेट से बहार जाने को आतुर नजर आये आखिर ऐसा क्या उतावला पन था की ये वाहन बहार जाने को उतावले थे। उनका उतावला पन चीख चीख कर कह रहा था की दाल में बड़ा काला है। जब बात बढ़ गई तब मंडी सचिव को एहसास हुआ तब पत्रकार को स्पष्टीकरण देती रही कि मैने व्यापारी को किसी भी पत्रकार का नाम नही बताया ना ही कोई चर्चा की।

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