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आष्टा । आष्टा नगर के कुशवाहा समाज के जीर्णोद्वारित प्राचीन मंदिर में पंचकुंडीय श्री राधाकृष्ण प्राण प्रतिष्ठा पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण के प्रथम दिवस संपूर्ण वातावरण भक्तिमय था ज्ञानगंगा के रस से पूरा माहौल डूब गया ।

इसके बाद मंत्रोच्चार के द्वारा यज्ञाचार्य नगरपुरोहित पंडित मनीष पाठक ने विधि विधान के साथ पूजन कार्य संपन्न कराया तत्पश्चात् कथा व्यास नगरपुरोहित डॉ दीपेश पाठक के द्वारा शुकदेव के आगमन एवं परीक्षित के जन्म का वृतांत बताते हुए कहा की मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मिट जाता है। जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है।

श्रीमद् भागवत कथा परमात्मा का अच्छा स्वरूप है। यहां परमहंसों की संहिता है। भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखता है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है।यह कथा रूपी अमृत देवता को भी दुर्लभ है। इसके साथ ही परीक्षित जन्म की कथा सुनते हुए बताया कि पांडव के पुत्र अर्जुन,अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा जो राजा विराट की पुत्री है।

वह अभिमन्यु के साथ दिखाई गई थी, युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से पुरोहित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर आज पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, लेकिन वे पांडव न होकर द्रोपदी के पाच पुत्र थे । जानबूझकर चलाए गए इस अस्त्र से उन्होंने उत्तरा को अपना निशाना बनाया। अभिमन्यु की पत्नी पुत्र उत्तरा उस समय गर्भवती थी। बाण लगने से उत्तर का गर्भपात हुआ।और गर्भपात होने के बाद परीक्षित का जन्म हुआ ।

इस अवसर पर कथा यजमान पटेल मनोज कुशवाहा एवं अक्षय कुशवाहा ने भागवत पुराण की पूजा अर्चना कर कथा व्यास एवं यज्ञाचार्य सहित विप्रजनों,संगीत मंडलियों का पुष्पों के द्वारा स्वागत किया गया तत्पश्चात् सुंदर स्वरूप के साथ आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया,इस अवसर पर कथा श्रवण हेतु प्रांगण में नगरवासी सहित माताएं बहनें उपस्थित थी।

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