आष्टा । मत कर माया का अहंकार, मत कर काया का अभिमान काया गार से काची, हो काया गार से काची.. रे जैसे ओस रा मोती, ऐसा सख्त था महाराज, जिनका मुल्कों में था राज जिन घर झूलता हाथी, हो जिन घर झूलता हाथी, रे जैसे ओस रा मोती जैसे सुप्रसिद्ध कबीर भजन की वर्ष 2024 के पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कालूराम बामनिया ने प्रस्तुति दी ।
उक्त भजन का भावार्थ उपस्थितजनो को समझाते हुए कहा कि- संत कबीर कहते है अपनी माया (धन-संपत्ति) का अहंकार मत कर, अपने काया (शरीर-ताकत) पर अभिमान मत कर, क्योंकि ये काया (शरीर), गार (मिटटी) से भी काची (कच्ची) है,
नाजुक है, ये काया उतनी ही झूठी है जैसे पत्ते पर जमी ओस की बून्द मोती सी प्रतीत होती है, अनेक मुल्कों में राज करने वाले महाराज थे, जिनके महलों में हाँथी तक विचरण करते थे, उनके घरों में आज दिया और न बाती हैं, सबकुछ नष्ट हो गया है।
देश विदेश में कबीर भजनो को अपने अनुठे अंदाज में पहुचाने वाले कालूराम बामनिया ने कबीर के भजनो की श्रृंखला में…… देश देश का वैद बुलाया, लाया जडी और बूटी, जडी बूटी तेरे काम न आई, जड़ राम के घर की छूटी, जरा हलके जरा हलके गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले जैसे प्रसिद्ध भजन की भी प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तीमय बना दिया।
कबीर, गोरखनाथ, बन्नानाथ और मीरा जैसे भक्ति कवियों के भजनो से भी श्री बामनिया ने भजन व दोहो के माध्यम से परिचय कराया और कहा कि- संत कबीर ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, बाह्य आडंबरों का पूरे जीवन विरोध किया। उनके विचारों को मानव जीवन में उतारने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कबीर साहेब जाति-पांति और ऊंच-नीच के घोर आलोचक थे। उन्होंने सदा सद्मार्ग पर चलने की बात कही है। उनकी वाणी को आत्मसात कर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। संसार एक माया है, लेकिन कबीर के जीवन पर इस माया का कोई असर नहीं रहा है। उनकी साखी हमें अंधेरे से उजाले की तरफ ले जाती है।
कबीर ने सदा मानव सेवा की बात कही है। सद्गुरु कबीर ने कहा है कि निरंतर गुरु के दरबार में जाना चाहिए, ताकि आपके जीवन में जो कुछ भूले हैं तो उसे याद दिला देंगे।पद्मश्री से सम्मानित कालूराम बामनिया ने कबीर मीरा के जीवन से जुड़े हुए रोचक प्रसंगो को भजनो के माध्यम से व्यक्त किया जिसका अनवरत उपस्थित भक्तों ने रसपान किया। इस प्रकार संपूर्ण वातावरण भारतीय नववर्ष की शुभ बेला में भक्तिमय हो गया।
इस प्रकार परम्परा अनुसार चैत्र शुक्ल एकम विक्रम संवत् 2081 (गुड़ी पड़वा) वासंतीय नवरात्रारंभ की शुभ बेला में प्रभुप्रेमी संघ द्वारा स्थानीय मानस भवन में भारतीय नववर्ष को स्वागतोत्सव के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास व गरिमामयी कार्यक्रम करके मनाया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में उपस्थितजनों द्वारा पांडाल में मां सरस्वती प्रतिमा एवं पूज्य आचार्यश्री अवधेशानंद जी महाराज की पादुका के समक्ष दीप को प्रज्जवलित कर माल्यार्पण किया गया।
राम राज्य अभिषेक के प्रतीक के रूप में धर्मध्वजा फहरायी गई। इस अवसर पर महाडीक परिवार द्वारा परम्परा अनुसार गुड़ी पूजा विधिविधान से करवायी गई। कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रसिद्ध भजन गायक श्रीराम श्रीवादी द्वारा गणेश वंदना की प्रस्तुति दी गई।
मानस भवन में सुंदर पांडाल बनाकर पांडाल का तौरण ध्वज नवश्रृंगार किया गया था। स्वागत भाषण प्रभुपे्रमी संघ के संयोजक कैलाश परमार द्वारा दिया गया। आगंतुकों का स्वागत धर्माधिकारी गजेन्द्र शर्मा द्वारा तिलक लगाकर एवं रक्षासूत्र बांधकर किया जा रहा था।
कार्यक्रम का सफल संचालन सुरेन्द्रसिंह परमार एडव्होकेट द्वारा किया गया तथा आभार प्रभुप्रेमी संघ के अध्यक्ष सुरेश पालीवाल द्वारा व्यक्त किया गया। अंत में सभी उपस्थितजनों ने महाआरती संपादित की एवं
छोटो ने अपने से बड़ो के पैर छुकर अर्शीवाद लिए और एक दूसरे को भारतीय नववर्ष की शुभकामनाए दी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रभुप्रेमी संघ के सदस्यगण, पदाधिकारीगण, श्रद्धालुजन, महिलाए और बच्चे शामिल थे।