आष्टा । आस्था वालो की भक्ति में श्रद्धा झलकती है, यही सम्यक आस्था है। हम जब से आये है तभी से लेकर आज तक श्रावक गण कोई न कोई धार्मिक विनय लेकर अपनी भावना रख देते है और हम से आशीर्वाद देने का आग्रह करते है, आष्टा वालो की आस्था सम्यक आस्था है ,जो सभी को धार्मिक अनुष्ठान में लगाये रखते है।
उक्त आशय के उद्गार पूज्य मुनि श्री भूतबलि सागर महाराज ने नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर में अष्टान्हिका महा पर्व के तहत नन्दीश्वर द्वीप महामण्डल विधान पूजन के प्रथम दिवस धर्म सभा के दौरान व्यक्त किये ।विधान पूजन प्रारम्भ में ध्वजारोहण करने का सौभाग्य श्रीपाल हेमंत कुमार जैन परिवार को प्राप्त हुआ
बाल ब्रह्मचारिणी मंजूला दीदी के निर्देशन में 52 जिन चैत्यालयों की पूजन प्रथम दिन विधान के दौरान सम्पन्न हुई ।वही आध्यत्मिक जैन भजन गायक शरद जैन ने अपने भजनों से पूजन में अध्यात्म रस का पान कराया। इस अवसर पर पूज्य महाराज जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आज देखकर हमको बहुत अच्छा लग रहा है।
आप लोगो ने अष्टान्हिका पर्व में नन्दीश्वर द्वीप मण्डल विधान की पूजा करने जा रहे है यह चौमासा से भी बढ़कर आप आये है, बहुत पुण्यवान है। मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज ने कहा कि अष्टान्हिका महापर्व में आपने जो आराधना की है
इस आराधना से भव -भव का चक्र जरूर छूटेगा।आप अष्टान्हिका पर्व आठ कर्मो को जीतने के लिए आठ दिनों के इस पर्व की पूजा भक्ति कर के दुखमय काल से निश्चित रुप से बच जाएंगे।धार्मिक कार्यो के प्रति आष्टा वालो में आस्था हैं ।यही सम्यक आस्था होती है ।
जीवन बहुत अनमोल है, इसका ज्यादातर समय धर्म कार्यो में ही व्यतित करना चाहिये।इस भाव से आयु ज्यादा बांध कर स्वर्ग में जाकर अपना भव भ्रमण जरूर रुकेगा, भद्र परिणामी बन कर विदेह क्षेत्र में जन्म होगा। मनुष्य राजा के पुत्र बन कर वज्रवर्षभ नाराच सहनन प्राप्त कर भगवान से प्रार्थना कर के जीवन मे वर्तमान सुधार लो भविष्य भी सुधर जाएगा।