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आष्टा । मराठवाडा में अपने शौर्य , साहस और कूटनीति से राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले शिवाजी महाराज का जीवन चरित हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है । शिवाजी ने जिंदगी भर हार नही मानी । प्रारम्भिक विफलताओं के बाद भी थक कर न बैठने का हौसला ही शिवाजी महाराज को हमारी संस्कृति का गौरवशाली चरित्र बनाता है ।

वो जितने उदार थे उतने ही आक्रामक भी , जितनी मुस्तेदी से उन्होंने आमने- सामने की लड़ाईयां लड़ी उतनी ही कुशलता से वह छापामार या गुरिल्ला युद्ध करके भारतीय संस्कृति और अपनी अस्मिता को बचाने में जुटे रहे ।

शिवाजी महाराज कुशल संगठक और प्रशासक थे । राजकाज के संचालन में वो परस्पर संवाद को बहुत जरूरी मानते थे ।उनके बारे में यह प्रसिद्ध है कि अपने गुरु और माता से निर्देश लेते थे साथ ही प्रजा में अंतिम छोर के लोगो से भी घुलमिल कर प्रशासन संचालित करते थे ।

शिवाजी की जयंती पर हम सभी को शौर्य , उदारता , सूझबूझ और क्षमा के साथ ही उत्तम चरित्र धारण करने की शिक्षा लेनी चाहिए ।यह बात पूर्व नपाध्यक्ष तथा प्रदेश कांग्रेस महासचिव कैलाश परमार ने वीर शिवाजी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कही ।


नगर में प्रभु प्रेमी संघ से जुड़े महाडिक परिवार ने शिवाजी जयंती का आयोजन किया था
इस अवसर पर मां पार्वती धाम गौशाला के अध्यक्ष तथा पूर्व पार्षद नरेंद्र कुशवाह ने कार्यक्रम का संचालन करते हए शिवाजी के जीवन चरित के वारे में बताते हुए कहा कि शिवाजी मातृभक्ति और गुरुभक्ति का सर्वोतम उदाहरण थे ।
कार्यक्रम में प्रतीक महाडिक ने शिवाजी महाराज की जयंती और भारतीय इतिहास और संस्कृति में उनके योगदान पर विस्तार से जानकारी दी ।

समाजसेवी बब्बन राव महाडिक ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैलाश परमार , बब्बन राव महाडिक देवबख़्स पटवारी सुभाष सांवरिया आदि ने शिवाजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर माल्यार्पण किया । इस अवसर पर कैलाश सोनी रामनगर, कमल पंजाबी , सुरेश जैन, भगवान दास शुक्ला, मधुसूदन परमार , संतोष माहेश्वरी , सुभाष धारीवाल, लखन सेन, शुभम निखिल कुशवाह, सचिन नामदेव,

अरविंद सेन, जितेंद्र सेन, शुभम पाल, पवन जैन श्रीमाल, बबनराव महाडिक, प्रतीक महाडिक, राजा महाडिक, रोहित महाडिक, अनीता महाडिक , स्वर्ण महाडिक नीता महाड़ीक, अश्वनी महाडिक, रंगू बाई महाडिक, गीता नरेंद्र कुशवाहा, पूजा सुशील कुशवाहा, गीता भेरूलाल कुशवाहा, कृष्ण प्रेम नारायण जायसवाल, ज्योति दीपक मेवाडा, समस्त महिला मंडल की प्रमुख मौजूद थीं । आभार प्रतीक महाडिक ने व्यक्त किया ।

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