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आष्टा।दुख से मुक्त होना है, तो कर्तव्य से मुक्त हो जाओ। कर्तव्य से मुक्त हो जाओगे, तो दुख स्वयं ही चले जाएंगे। बच्चों को अच्छे संस्कार मिलेंगे तो माता-पिता एवं समाज गौरवान्वित होगा। प्रत्येक परिवार के बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण अवश्य होना चाहिए। क्योंकि परिवार सत्ता, संपदा, सौंदर्य, शिक्षा से नहीं चलता ,बल्कि स्नेह और संस्कारों के साथ ही सहयोग व सहकार्य से चलता है।
यह बात मुनिश्री अजीत सागर महाराज ने मैना में चल रहे श्रीमज्जिनेंद्र पंचकल्याणक जिनबिंब प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन तप कल्याणक दीक्षा पर आयोजित धर्मसभा में कही।

उन्होंने कहा कि निज आत्मा को देखोगे, तो परमात्मा बन जाओगे। जो जिननाथ का आनंद ले लेता है, वह जिननाथ बन जाता है। जब तक देव, शास्त्र, गुरु को जान न लो, तब तक यह न मान लेना कि मैंने सब को जान लिया है। मुनिश्री ने कहा कि विश्व में तेरा कोई शत्रु नहीं है और न कोई मित्र है। शत्रु तुम्हारे अंदर है। जब अंदर के शत्रु का नाश हो जाता है, तब बाहर के सभी मित्र लगने लगते है।

धर्मसभा के पश्चात सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं जैन धर्म एवं ब्राह्मण समाज के नियमों का पालन करता हूं और इन लोगों के बीच में रहता हूं ।भगवान श्री राम भी सभी के आराध्य हैं ।भगवान श्रीराम हम सबकी आस्था के अटूट केंद्र हैं । सांसद श्री सोलंकी ने कहा कि भगवान श्रीराम के जीवन को देखकर संपूर्ण हिंदू समाज और हिंदू धर्म को उसका अनुशरण करना चाहिए।


भगवान श्रीराम ने अपना सम्पूर्ण जीवन मर्यादित जीवन जिया है,उन्होंने कभी मर्यादाओं को नही तोड़ा। भगवान श्रीराम के जीवन के हर पक्ष से हम सबको बहुत सी बातें सीखने को मिलती है ।
आपने कहा बाल ब्रह्मचारी विनय भैय्या ने पंचकल्याणक महोत्सव के कार्यक्रम के दौरान यहां पर युवाओं को एवं सभी लोगों को तंबाकू व अन्य व्यसनों से मुक्त रहने की शपथ दिलाई है।में भी आज महाराजश्री के चरणों को साक्षी मानकर इस बात की शपथ लेता हूं कि अपने जीवन काल में ना ही कभी तंबाकू व अन्य वस्तुओं का सेवन नही करूंगा,हमेशा सभी व्यसनों से मुक्त रहूंगा ।

सांसद श्री सोलंकी की उक्त घोषणा से पंडाल में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। सांसद श्री सोलंकी ने कहा कि
जब हम सब भगवान श्री राम की जीवन शैली का अनुशरण करेंगे ,उनके जीवन के हर पक्ष को अपने जीवन में उतारेगे तो निश्चित माने राम राज्य की स्थापना होगी। भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन मर्यादित जीवन रहा है ।उनके जीवन का प्रत्येक पक्ष से हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए और उनके जीवन शैली को अपनी जीवन शैली में भी उतार कर उसका अनुशरण करना चाहिए।


महोत्सव के चौथे दिन शनिवार को तप कल्याणक दिवस पर महाराजा नाभिराय के दरबार में आदिकुमार का राज्याभिषेक हुआ। मुकुटबद्ध राजाओं एवं सांसद श्री सोलंकी ,विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय, पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समिति के अध्यक्ष इंजीनियर मयूर जैन द्वारा भेंट की गई। विवाह के दौरान नीलांजना नृत्य को देखकर आदिकुमार को वैराग्य आ गया। तत्काल उन्होंने राज्य व्यवस्था को सौंपकर वन की ओर प्रस्थान कर दिया। आदिकुमार को आचार्यश्री ने मुनि दीक्षा दी। सौधर्म इंद्र द्वारा तप कल्याणक क्रियाएं संपन्न कराई गईं।


महोत्सव में आज
महोत्सव के पांचवें दिन रविवार 29 नवंबर को ज्ञान कल्याणक पर नित्य नियम पूजन के बाद महामुनि 108 आदिनाथ की प्रथम विधि आहार विधि होगी। दोपहर में मुनि अजीत सागर महाराज द्वारा सूर्य मंत्र दिया जाएगा। केवल ज्ञान कल्याणक पूजा और समवशरण रचना, प्राणप्रतिष्ठा होगी। महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को मोक्ष कल्याणक पर सूर्योदय के पूर्व कैलाश पर्वत पर ध्यानरुढ़ मुद्रा में आदिनाथ के दर्शन होंगे। निर्वाण कल्याण पूजा होगी। दोपहर में मुनि संघ के सानिध्य में गजरथ परिक्रमा होगी।

वैराग्य के लिए कोई निमित्त अवश्य बनता है , पुण्य आत्माएं लम्बे समय तक सांसारिकता में बंध कर नही रह सकती । भगवान आदिनाथ ने राज्यारोहण के पश्चात राज दरबार मे नृत्यरत नीलांजना की मृत्यु देखी यद्यपि सभा मे मौजूद इंद्र ने अपनी माया से नीलांजना का प्रतिरूप बना दिया ।नृत्य भी यथावत चलता रहा पर यह बात राजा आदिकुमार से छुपी नही और उन्होंने निश्चित मृत्यु तथा जीवन की क्षण भंगुरता को भांप कर वैराग्य धारण कर लिया । दुर्लभ मनुष्य जीवन का उद्देश्य भी यही होना चाहिए कि हम वैराग्य धारण कर जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पाने का उपक्रम करें ।

भगवान आदिनाथ के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए आज धर्मसभा में मुनिश्री ने भारतीय संस्कृति में आदि ब्रह्मा भगवान द्वारा लौकिक और पारलौकिक जीवन के लिए शिक्षाओं और व्यवस्थाओ के बारे में बताया गया । धर्म सभा मे मुनि अजित सागरजी महाराज ने उत्कृष्ट श्रावक धर्म को भी चिन्हित करते हुए कहा कि विषय राग से तटस्थता जीवन को पवित्र करती है और वैराग्य धारण कर कठोर तप के बाद प्राप्त ज्ञान से लोक कल्याण के उपदेश दिए जाते हैं । तीर्थंकर भगवन्तों के जीवन चरित्र और जिनवाणी से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए , मोह माया छोड़ कर वैराग्य धारण किये हुए सन्यासी प्रखर पुरुषार्थ करते हैं और आत्म कल्याण करते हैं । हमारा यह दायित्व है कि सद्गुणों को धारण कर जीवन मे पावित्र्य और दिव्यता प्रकट करें ।


तप कल्याणक विशेष :-
मैना स्थित अयोध्या नगरी परिसर में पाषाण से भगवान बनाने के लिए चल रहे पंच कल्याणक महोत्सव में आज तप कल्याणक पर्व मनाया गया । सूर्योदय के साथ ही समारोह स्थल पर नित्यमह अभिषेक , शांति धारा ,तप कल्याणक पूजन और शांति हवन के लिए मंत्रोच्चार गूंजने लगे । भक्ति भाव से इंद्र इंद्राणियो सहित सभी चयनित पात्रों ने पूजन अभिषेक में भाग लिया । शांति हवन में बैठे श्रद्धालुओं ने राष्ट्र की सुख समृद्धि और वर्तमान काल मे चल रही कोरोना के निदान की कामना से आहुतियां दी ।
तीर्थंकर आदिनाथ के सन्यास पूर्व लौकिक जीवन से सम्बंधित घटनाओं का सांस्कृतिक मंचन किया गया जिसमे युवराज आदि कुमार के विवाह और उनके राज्याभिषेक के दृश्य के साथ ही राजा आदि कुमार द्वारा तात्कालिक समय की जरूरत अनुसार अस्त्र शस्त्र संचालन , लिपि लेखन कृषि कार्य पद्धति शिल्पकारी की शिक्षा आदि प्रदान की गई । मान्यता है कि भगवान आदिनाथ द्वारा उपरोक्त शिक्षा के पूर्व पृथ्वीवासियों की सभी आवश्यकताएं कल्पवृक्षो के नीचे इच्छा व्यक्त करने मात्र से पूरी हो जाती थीं ।

काल दोष के कारण कल्पवृक्ष निष्फल होने पर भगवान आदिनाथ ने राज्यकाल में षटधर्म उपदेश के माध्यम से जीवन यापन उपयोगी शिक्षाओं के साथ ही दण्ड व्यवस्था और लिपि अक्षर ज्ञान प्रदान करके विद्याध्ययन की व्यवस्थाओं का भी सूत्रपात किया ।
सभी पौराणिक घटनाओ के दृश्य मंचन के बाद आदिकुमार के वैराग्य का कारण बने नर्तकी नीलांजना के नृत्य के दौरान हुई मृत्यु के दृश्य भी मंचित हुए ।सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान को वैराग्य के बाद उनके पुत्र भरत, बाहुबली को राज्य सौंप कर दीक्षावन की और प्रस्थान और दीक्षा विधि भी दर्शाए गए ।ऐलक दयासागर एवं विवेकानंद सागर महाराज ने भी आशिष वचन दिया।


तप कल्याणक की क्रियाओं में अंक न्यास ,संस्कार रोपण तथा पूजन अर्चन विधि विधान से की गई । आज पंच कल्याणक परिसर में सांसद महेंद्रसिंह सौलंकी ,विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय भी पधारे। उन्होंने मुनि श्री अजीत सागर जी महाराज को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया । समिति अध्यक्ष मयूर जैन , समाज अध्यक्ष राजेश जैन , महामंत्री नरेंद्र श्रीमोढ , एवं अन्य पदाधिकारियों ने अतिथियों का बहुमान किया ।
शाम को गुरु भक्ति के बाद पांडाल में श्रावकों ने भक्ति भाव से मंगल आरती की वही आचार्य विद्यासागर संस्कार पाठशाला के अजय जैन किला , श्रीमती मोनिका विजय के निर्देशन में कुमारी नेक्षी जैन , कु. स्नेहा एव पलक जैन ने मनोरंजक नृत्य प्रस्तुत किया ।वहीं स्थानीय मण्डल कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

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