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सीहोर । सीहोर जिला मुख्यालय पर वर्षो से पदस्थ एक लक्ष्मी का पुजारी कहा जाने वाला अधिकारी इन दिनों अपने घुंघरू जो बजते तो थे पर सुनाई नही देते थे,घुंघरू सुनाई नही देने के पीछे इस लक्ष्मी पुत्र की जुगाड़,दलाल,बिचोलिये ऐसे साउंड प्रूफ घुंघरू बांधते है कि उसकी आवाज फाइलों में दब कर दम तोड़ देती थी। अब लगता है सेर को सवा सेर मिल गये है वाली कहावत नजर आ रही है। वर्षो से इस अधिकारी का जिले में जिस विधा का ये अधिकारी है,उससे संबंधित लोग घुट घुट कर जी रहे थे उसके पीछे कारण भी जो था वो खेत को हो बागड़ खाने वाली कहावत के चरितार्थ होने के कारण अपने ही अपनो को दिल खोल कर घुंघरू बाजवा रहे थे और मजे लूट रहे थे।

ये घुंघरू जो बजते नही है,पर सुनाई देते है…

इस बार इस बागड़ का भी पूरे जिले के व्यापारियों ने ऐसा काम लगाया की बागड़ चारो खाने चित्त हो कर पड़ी है। अब घुंघरुओं के मजे लेने वाले अधिकारी परेशान तो है ही,उसके खिलाफ जो शिकायत सीएम तक पहुची है,हमे यहा तक खबर है की उक्त शिकायत को मुखिया ने अति गम्भीरता से संज्ञान में ले कर उसे जांच हेतु जिले को भेजा गया है। जब से ये खबर घुंघरू (पैरों में बंधने वाले नही,जेब मे खनकने वाले) के शौकीन अधिकारी को लगी है उनका दिन का चेन ओर रात की नींद गायब है। इनके वे आका जो अभी तक इनके कारण अपनी जेब मे भी घुंघरुओं में से घुंघरू रख लेते थे जैसे अंगूर के बड़े गुच्छे में से कोई दो चार अंगूर तोड़ कर स्वाद चख लेता है उसी तरह मजे लेने वाले भी परेशान है।

घुंघरू की तरह बजता ही रहा हु में…!

वैसे कुछ ने तो कोविड़ काल में भी जब पूरा देश मानव सेवा ही सर्वोपरि है को लेकर सेवा में जुटे थे वही कुछ लोग इसकी आड़ में जेबें भरने में लगे थे,जिनने जेबें भरी वे केवल अपने अंदर झांक कर अपने से ही प्रश्न कर ले कि क्या सुखी हु,क्या मुझे मेरी आत्मा को शांति है..अंदर से एक ही आवाज आयेगी क्या तूने अच्छा किया था जो अच्छे की कामना कर रहा है। जिस जिले के अधिकारी के एक शिकायत से घुंघरू बजे है निश्चित उसके घुंघरू तो बजना है ! क्योंकि शिकायत जहां से आई है,जिनके पास आई है उन दोनों से पीड़ितों,दुखियों को पूरे न्याय की उम्मीद है..हमे उम्मीद भी है कि ये घुंघरू जो बजते तो नही है पर इसकी आवाज जरूर सुनाई देती है…
वैसे ये पहली किस्त है,इसकी दूसरी क़िस्त भी हम तक आने की उम्मीद है..!

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