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आष्टा । देश की जनता को गुमराह करते हुए सरकार द्वारा आगामी दिनों में बिना एजेंडे के बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर प्रदेश कांग्रेस महासचिव तथा पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने कड़ी आलोचना की है । परमार ने इसे निरंकुशता का पर्याय बताते हुए आहूत संसद सत्र के तौर तरीकों पर भी एतराज जताया है । निरंकुशता और आत्म मुग्धता में लिप्त केंद्र की भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते हुए प्रदेश कांग्रेस महासचिव कैलाश परमार ने बताया कि


लोकतंत्र में जन स्वीकार्यता तभी हासिल होती है जब लोक कल्याण के दायित्वों का निर्वहन संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप किया जाए । संविधान की शपथ औऱ तदनुरूप जनतंत्र के स्तम्भ कार्यपालिका , न्याय पालिका और विधायिका के निष्पक्ष इस्तेमाल से कल्याणकारी राज्य की स्थापना की जाती है । मीडिया भी लोकतंत्र की प्रहरी है इसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है ।

लेकिन बीते वर्षों में यह देखा गया है कि सरकार द्वारा सत्ता लोलुपता के चलते देश मे भ्रम और भय का वातावरण बना कर उसी लोकतांत्रिक व्यवस्था को तहस नहस किये जाने के प्रयास किये जा रहे है जिसके चलते वर्तमान सरकार अस्तित्व में आई है ।

यह एक काबिले गौर बात है कि वर्तमान भाजपा सरकार खुद अपने ही संगठन और सत्ता में ही व्यक्ति केंद्रित हो गयी है ।
देश के संघीय ढांचे को भाजपायी मानसिकता के चलते बर्बाद करने पर तुली इस विचारधारा का नया पैंतरा है विपक्ष से मशविरा किये बगैर ही अचानक संसद का सत्र बुलाना ।


किसी को नही पता कि सरकार आखिर चाहती क्या है ? भाजपा का वन मेन शो खुद को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने का है । इसके लिए कथित प्रधान सेवक और उनका मीडिया सेल खुद की लाइन बड़ी करने के बजाय या तो पूर्ववर्ती नेतृत्व का चरित्र हनन करने पर आमादा रहता है या फिर नोटबन्दी जैसे उल्टे सीधे निर्णय करके आत्म मुग्धता धारण किये रहता है ।

सरकार द्वारा अचानक विशेष सत्र का आव्हान निश्चित ही किसी छुपे हुए एजेंडे को लागू करने के लिए बुलाया प्रतीत होता है । देश की सबसे बड़ी पंचायत का बगैर एजेंडा के सत्र बुलाया जाना इस बात को बल प्रदान करता है कि सरकार अपनी निरंकुशता को बरकरार रखना चाहती है।

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