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आष्टा जैन शासन के वाइसवे तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ जी का जन्म कल्याणक पर्व नगर के समस्त जिनालयों में पूर्ण भक्ति भाव के साथ मनाया गया । इस अवसर पर नगर की साईं कॉलोनी में नव निर्मित दिगम्बर जैन मंदिर मन्दिर में दो दिवसीय आयोजन के तहत मूलनायक

नेमिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक पर्व आर्यिका पूज्य श्री चरण मति माता जी ससंघ के पावन सानिध्य में पूर्ण भक्ति भाव के साथ मनाया गया । जन्म कल्याणक के पूर्व संध्या पर नेमिनाथ जिन मन्दिर में मांगलिक भजन बुलावा रखा गया । जिसमे समाज की माताओं बहनों ने भगवान के जन्म कल्याणक के गीत गाकर के भजनों की प्रस्तुति दी।

आज प्रातः काल की बेला में मूलनायक भगवान का वार्षिकी अभिषेक एवं शन्तिधारा करने के लिए समाज जनों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । पूज्य शरण मति माता जी ने अपने मधुर कंठ से भगवान की सामूहिक पूजन करवाई गई । इस अवसर पर पूज्य आर्यिका संघ को आगामी समय मे नेमिनाथ जिन मन्दिर में पदार्पण हो ।

इस हेतु मन्दिर सेवा संघ द्वारा श्रीफल भेँट किया गया । अपने आशीर्वचन में पूज्य आर्यिका सुविर्मति माता जी ने कहा कि जिसका जन्म हुआ है उसका मरण अवश्य होता है । हमे हर समय अपने परिणामो को सम्हालना चाहिए न जाने किस समय हमारी आयु का बन्ध हो जाये ।


परिणामो की सम्हाल रखोगे तो ही हम जीवन मे शांति पा सकते है ।
आष्टा की समाज बड़ी धार्मिक समाज है । आपके यहाँ बाराह महीने ही साधु गणो का सत्संग मिलता रहता है। ये महान पुण्य का विषय है ।

अपने पुण्य को निरंतर गाड़ा कीजिये। इस बार जन्म कल्याणक पर्व के पावन अवसर पर भगवान के जन्म को याद कीजिये उन्होंने अपने कर्मो के बंधन को तोड़ते हुए अपने जन्म मरण रूपी चक्र को समाप्त किया,ओर तीर्थंकर प्रकति को बांध कर सिद्ध शिला पर विराजमान हुए।
आर्यिका शरण मति माता जी ने कहा कि इतना सुन्दर जिनालय ओर इतनी सुंदर जिन प्रतिमा आप लोगो ने विराजमान की है।


जिस तरह से बड़ी मनोहारी ओर आलोकि जिन प्रतिमा आपने विराजमान की है
इन जिन प्रतिमाओ से आप अपना सम्यग्दर्शन पुष्ट कर के अपना भव को सुधार लो। आपको धर्म करने का लाभ मिल रहा है इस समय को सदुपयोग कर जीवन का कल्याण करे। इस अवसर पर नेमिनाथ जिन मन्दिर सेवा संघ द्वारा प्रभावना वितरण की गई ।

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