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आष्टा । भगवान शिव का सत्संग हो या शमशान यहां से बुलावा नहीं आता यहां तो भक्तों को स्वयं जाना पड़ता है और जो भक्त भगवान शिव के सत्संग में जाता है। उसे शमशान में ज्यादा पीड़ा नहीं भोगना पड़ती है

उक्त उद्बोधन माता पार्वती की पावन नगरी आष्टा में श्रावण के साथ अधिक मास के पावन अवसर पर नगर के बीचो बीच सिद्ध स्थल श्री मानस भवन में आज स्वयं मां पार्वती रूपी शिव महापुराण का जयघोष हुआ। सर्वप्रथम नगर के गायत्री मंदिर से भगवान शिव की मंगलमय शिव महापुराण के आयोजन को लेकर कलश यात्रा निकाली गई।

कलश यात्रा में महिलाएं पारंपरिक परिधान चुनरी व पीले वस्त्र पहनकर शामिल हुईं। कलश यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से भ्रमण के बाद पुन: कथास्थल मानस भवन पहुंची। इस दौरान महिला-पुरुष भजनों पर नृत्य करते हुए चल रहे थे। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धाुलूजन, भागवत प्रेमी, माता बहने, महिलाएं शामिल हुईं ।

इसके बाद श्री शिवमहापुराण को ढोल-नगाड़ों के साथ कथा स्थल पर लाकर स्थापित किया गया । व्यासपीठ पर विराजित होकर कथा व्यास पंडित श्री मोहित रामजी पाठक ने शिव तत्व को जीवन का आधार बताते हुए शिवपुराण कथा का वाचन शुरू किया। कथा प्रतिदिन दोपहर दो से शाम चार बजे तक जारी रहेगी।

आध्यात्मिक चिंतन व श्रवण कार्यक्रम में कथा के प्रथम दिवस उन्होंने शिव प्राकट्य की कथा सुनाई। माता पार्वती का प्राकट्य क्यों हुआ उसे लेकर कथा का वाचन किया । उन्होंने कहा आत्मिक ख़ुशी ही सफल जीवन जीने का सूत्र है।


इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री पार्वती शिव भक्त मंडल समिति ने बताया कि सभी के सहयोग से शहर के प्रसिद्ध मानस भवन प्रांगण मे श्रावण मास एवं अधिक मास महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है ।

इसी कड़ी में आज पांच दिवस शिव महापुराण का शुभारम्भ हुआ। संत पंडित मोहित राम जी पाठक द्वारा कथा का वाचन किया जायेगा। इस मौके पर यहां पर स्थापित रुद्राक्षों का आचार्यों सहित अन्य विप्रजनों के द्वारा पंचामृत से अभिषेक किया गया। कई वर्षों के बाद सावन मास और अधिक मास का संयोग हमें मिला है।

इसलिए भगवान की भक्ति के साथ कथा का श्रवण करें। कथा के प्रथम दिवस सीहोर से पधारे गुरुदेव की वाणी सुनकर श्रोता जन पंडाल में झूम उठे साथ में बड़ी संख्या में समिति के पदाधिकारियों के अलावा श्रद्धालु मौजूद थे।

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