आष्टा । निर्गुण विचारधारा के प्रमुख और भक्ति काव्य के पुरोधा सन्त कबीर दास जी की जयंती रविवार को प्रभु प्रेमी संघ के मासिक सत्संग के रूप में परमार लॉ चेम्बर पर श्रद्धापूर्वक मनाई गई । सन्त कबीर की जयंती और माह के प्रथम रविवार के मणि कांचन संयोग पर कैलाश परमार मित्रमंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सन्त कबीरदास जी की साखियों तथा समाज की विसंगतियों पर उनके प्रचलित दोहों का सस्वर पाठ करते हुए इस कट्टरता के दौर में उनकी शिक्षाओं और सरल भक्ति मार्ग पर प्रकाश डाला गया । समाज मे व्याप्त आडम्बरों और कुरीतियों पर कबीर जी की शिक्षाओं की सामयिकता पर भी वक्ताओं ने विचार व्यक्त किये ।
कार्यक्रम की शुरुआत में वरिष्ठ समाजसेवी मोहन सिंह अजनोंदिया , पूर्व जनपद अध्यक्ष बापूलाल मालवीय तथा प्रसिद्ध भजन गायक नानूराम नागदा ने दीप प्रज्ज्वलन किया। वरिष्ठ कबीरपंथी जगन्नाथ सिंह मालवीय ने माल्यार्पण किया। संत कबीर के चित्र पर जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रदीप प्रगति, पूर्व पार्षद शैलेष राठौर, जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह चौहान, ब्लाक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह दरबार, पूर्व जिला पंचायत सदस्य जगदीश चौहान , एच आर परमाल , देवबगस पटवारी, सुभाष सोनी सावरिया, डॉ आर पी श्रीवास्तव आदि वरिष्ठजन ने माल्यार्पण किया । प्रखर कबीर पंथी जगन्नाथ मालवीय ने साहिब बन्दगी कर सभी को प्रणाम किया साथ ही विद्वान समाजसेवी नानूराम नागदा ने संत कबीर के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे ऐसे सन्त थे जो निरक्षर होकर भी ज्ञानी थे ।
उन्होंने काया की नश्वरता और अनमोल मनुष्य जीवन की सार्थकता पर आधारित साहित्य सृजन करके संसार भर के विद्वानों को अचंभित कर दिया था। मूलतः रहस्यवाद के कवि कबीरदास जी के साहित्य ने नए सुधारवादी पन्थ को तो प्रतिपादित किया ही वही उनका साहित्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नए- नए शोध प्रबन्ध की विषय वस्तु बना है । वक्ताओं ने बताया कि सन्त कबीर समाज मे प्रचलित रुढियों, अंध विश्वास और विरोधाभासों पर चोट करके अमर हो गए। अनुयायी कबीरदास को अवतार पुरुष मानते हैं । निरक्षर होकर भी ज्ञान मार्ग को प्रशस्त करने वाले संत कबीर की जयंती पर सभी उपस्थितजन ने सामाजिक बुराइयों को दूर करने का संकल्प भी लिया । इस अवसर पर भक्ति संगीत के स्वर बिखेरते हुए नानूराम नागदा तथा विनोद नागदा गणेश वंदना प्रस्तुत की । लोक गायक जीवनराज और अजय मालवीय ने ” भरोसे थारे चाले रे सतगुरु म्हारी नाव प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह चौहान ने भी कबीर के दोहों का सस्वर पाठ किया । डॉ राजेन्द्र मालवीय ने “जरा हल्के गाड़ी हांको ” भजन सुनाया ।
इस अवसर पर प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ने संत कबीर की जयंती और स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज द्वारा स्थापित प्रभु प्रेमी संघ द्वारा प्रति माह होने वाले सत्संग के सुखद संयोग पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संतत्व कथनी और करनी में एक रूपता से प्राप्त होता है । संतों की शिक्षाएं जीवन और चरित्र के निर्माण में सहायक होती हैं । कार्यक्रम के अंत मे प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति ने आभार व्यक्त किया । संचालन सुरेंद्र परमार ने किया। इस अवसर पर शैलेष राठौर, सुनील प्रगति, बी एल बॉम्बे, डॉक्टर, रामचंद्र दावरिया,अर्जुन सिंह अजय, भेरू सिंह दरबार, पूर्व सरपंच मोती सिंह, नरेंद्र पोरवाल, संजय सुराना, संजय जैन किला, राहुल सुराना, मनोज कुशवाह, जितेंद्र चौहान, संतोष मालवीय, देवराज परमार, महेश मेवाडा, सुनील परमार आदि मौजूद थे।