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आष्टा। जब भक्त पवित्र मन,निस्वार्थ भाव से भगवान की भक्ति करता है तो निश्चित उसे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है,वही अगर भक्त की भक्ति में स्वार्थ के साथ मन मे भक्ति के दौरान विकार के भाव हो और विकारों से युक्त भावों से वो प्रभु की भक्ति करता है तो उसे केवल निराशा ही प्राप्त होती है। उक्त उदगार श्रीनाथ जी की हवेली में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के दौरान पंडित श्री कन्हैयालाल शर्मा ने उपस्थित भक्त जनों से कहे।

पंडित श्री शर्मा ने कथा के दौरान कहा की अगर भगवान को पाना है तो उनकी भाव से भक्ति कर के ही पाया जा सकता है। पंडित श्री कन्हैया लाल शर्मा ने कहां की भक्ति के दौरान मन साफ,पवित्र हो,भक्ति का भाव निस्वार्थ हो तब भाव से की गई सेवा से भगवान का आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त हो सकता है। आज भक्त भगवान की सेवा तो करता है लेकिन जब उसकी सेवा में कुछ पाने के भाव आ जाते हैं तब वह सेवा निरर्थक हो जाती है।

भगवान का अगर आशीर्वाद पाना है तो प्रभु की सेवा पवित्र मन एवं निस्वार्थ भाव से ही की जाना चाहिए। आज दूसरे दिन पंडित श्री कन्हैया लाल शर्मा ने भागवत कथा महापुराण के अंतर्गत ध्रुव की तपस्या एवं श्री वल्लभाचार्य के अवतरण के बारे में उपस्थित भक्तों को विस्तार से बताया। इस अवसर पर आज दूसरे दिन श्रीनाथजी की हवेली में भागवत कथा महापुराण श्रवण करने सतनारायण कामरिया, राजू चौरसिया, प्रेम नारायण शर्मा, भगवती प्रसाद शर्मा, सतीश शर्मा, हरिओम कटारिया,

धीरज शर्मा, चिंटू ताम्रकार, गोपाल ताम्रकार, उमेश साहू, रमेश साहू, मुकेश ताम्रकार, लखन साहू, मनोज पोरवाल, ललित अग्रवाल, पंकज ताम्रकार,राजू जयसवाल मोहित सोनी, कैलाश मालवीय सहित बड़ी संख्या में भागवत प्रेमी भक्त उपस्थित थे। आयोजक वैष्णवजन एवं महिला मंडल की सदस्याओ ने नगर

के नागरिकों से अपील की है कि श्रीनाथजी की हवेली में प्रतिदिन दोपहर मैं 2 से शाम 5 बजे तक भागवत कथा का आयोजन किया गया है। भागवत कथा का अधिक से अधिक संख्या में हवेली पहुंचकर भागवत कथा श्रवण करने का लाभ उठाएं एवं अपने जीवन को धन्य बनाएं। आज कथा समापन पर भक्त दिनेश माखनलाल सोनी की ओर से प्रसादी का वितरण किया गया।

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