सीहोर। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता कार्यशाला का आयोजन ए.एन.एम.प्रशिक्षण केन्द्र में किया गया। कार्यशाला को जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.टी.आर.उईके तथा जिला एपीडियोमीलॉजिस्ट एवं नोडल अधिकारी एनबीसीसी प्रोग्राम डॉ.रूचिरा उईके ने संबोधित किया। कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, शास.महाविद्यालय की एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस.ईकाई की छात्र-छात्राएं बडी संख्या उपस्थित थे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.सुधीर कुमार डेहरिया ने जानकारी दी कि कार्यशाला में जनसामान्य को जागरूक करने के लिए विस्तार से प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण सह कार्यशाला में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.उईके ने जानकारी दी कि रेबीज की रोकथाम के लिए जरूरी है कि पालतु कुत्तों के साथ-साथ आवारा कुत्तों का भी टीकाकरण किया जाना जरूरी है। जानवरों/रेबीज के रोगियों को संभालने वाले लोगों को पूर्व टीकाकरण कराना जरूरी है। उन्होंने जानकारी दी कि देश में रेबीज के कारण प्रति वर्ष अनुमानित 20 हजार व्यक्तियों की मृत्यु होती है।
कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ.रूचिरा ने कार्यशाला में बताया कि समय पर उचित उपचार द्वारा रेबीज को व्यावहारिक रूप से शत प्रतिशत रोका जा सकता है। अगर किसी जानवर ने काट लिया हो तो घाव को साबुन और बहते पानी से तुरंत धोएं, समय पर और उचित उपचार के लिए अपने डॉक्टर से तत्काल संपर्क करें। जानवरों के द्वारा चाटने, खरांच अथवा घाव को अनदेखा ना करें। कटे घाव पर मिर्च, सरसों का तेल जैसे जलन पदार्थ ना लगाए। अंधविश्वास से दूर रहें। घाव को ढंके नहीं या टांके ना लगाएं। बच्चों को आवारा जानवरों, के संपर्क में आने या उनके साथ खलने से मना करें। जानवरों के काटने की कोई घटना हो तो तुरंत शासकीय अस्पताल में संपर्क करें।