आष्टा। जैन धर्मं के अनुसार व्रत-उपवास समस्त पापनाशी, अनेक पुण्य, मोक्ष ओर स्वर्गं के कारण हैं। इन व्रत-उपवासो में भोजन के त्याग के साथ-साथ असत्य व हिंसा त्याग, ब्रह्नचर्य का पालन, प्रातः काल एवं सायंकाल सामायिक,प्रतिक्रमण, कार्योत्सर्गं, स्वाध्याय और धर्म-ध्यान को भी महत्वपूर्ण माना गया हैं। पर्युषण पर्व आत्मशोधन का पर्व हैं। पर्युषण पर्व में नगर में व्रत-उपवास का क्रम अनवरत् जारी हैं।
यह इस नगर के निवासियों की धर्म की प्रति आस्था एवं नगर में चार्तुमास में विराजे पूज्य गुरूदेव अणुवत्स संयंत् मुनि जी महाराज साहब आदि ठाणा 4 के प्रताप का प्रभाव हैं। उक्त आशय के उद्गार मेघनगर से आष्टा पधारी तपो शिरोमणि की उपाधिप्राप्त स्नेहलता बागरेचा ने प्रसन्नकुमार बनवट, श्रीमति विजया बनवट के निवास पर
उनकी पौत्री कुं. यशस्विनी एवं औजस्विनी बनवट के उपवास अनुमोदना के अवसर पर व्यक्त किए। इस अवसर पर पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार, स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष लोकेन्द्र कुमार बनवट, राजेश बनवट, विपिन बनवट, नरेन्द्र गंगवाल, प्रदीप प्रगति, जितेन्द्र जैन, सुरेन्द्र परमार, महेश देशलहरा, श्रीमति रेखा बनवट, शर्मिला बनवट, जसवीर परमार, जिनेन्द्र बनवट आदि उपस्थित थे।