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आष्टा। चातुर्मास हेतु जब हम बिहार कर आष्टा आ रहे थे तब ही लसूडिया में हमें आष्टा श्रीसंघ की एकता के दर्शन हो गए थे। हम जब आष्टा पहुंचे थे तब हमने शुरू दिन ही कहा था की सफलता के पीछे सबका साथ और सबका विकास मूल मंत्र है। आज उसका प्रतिफल आप सबके सामने सफलता के रूप में आप सब के सामने हैं,उक्त अमृत वचन पूज्य महाराजश्री संयत मुनि जी महाराज श्री ने आज किला मन्दिरजी उपाश्रय में आयोजित सामूहिक क्षमावाणी के दौरान प्रवचन के माध्यम से कहे। मुनिश्री ने कहा चातुर्मास के आज लगभग 50 दिन पूर्ण हो गए। इन 50 दिनों में जो तपस्या की झड़ी लगी वह सबका साथ सबका विकास और सबका सहयोग का ही प्रतिफल है।

जब हम आष्टा आ रहे थे तभी आष्टा के बारे में जो सुना था वो प्रत्यक्ष देखा भी ओर अनुभव भी किया। यहां पर सभी की श्रद्धा समर्पण और पुरुषार्थ का प्रतिफल है कि आज जो एकता आष्टा नगर में श्वेताम्बर जैन समाज की दिखती है वैसी एकता बहुत कम स्थानों पर नजर आती है। क्षमा पर्व को लेकर उन्होंने कहा क्षमा याचना किससे करना चाहिए। आज क्षमावाणी का पर्व है आज हम सबको सभी जीवो के साथ क्षमा याचना करना चाहिए।

आपने देखा होगा जब कोई व्यक्ति घायल होकर अस्पताल जाता है तब उसकी मलमपट्टी उस स्थान पर की जाती है जहा उसको चोट लगती है। मेरे कहने का तात्पर्य यही है कि हमारी वाणी से जिस व्यक्ति को भी गहरी चोट लगी हो उसका मन उसका कोमल हृदय दुखा हो तो आज क्षमावाणी के पर्व पर हमें सबसे पहले उस व्यक्ति से प्रत्यक्ष रूप से मिलकर क्षमा याचना करना चाहिए यही क्षमावाणी का सबसे बड़ा संदेश है। आज श्रीसंघ ने तपस्या करने वाले तपस्वियों का सम्मान किया है। वास्तव में सभी तपस्वी इस सम्मान के हकदार हैं।

आज बच्चे, युवा, युवती या महिलाएं सभी ने तपस्या की है आधुनिकता के इस युग में धर्म तथा तप आराधना से जुड़े हैं यह बहुत बड़ी बात है। सभी तपस्वी श्रीसंघ एवं जिन शासन की शोभा बढ़ा रहे हैं और सेवा कर रहे हैं। श्रीसंघ भी धन्यवाद का पात्र है। चातुर्मास के 50 दिन के करीब पूरे हो गए हैं चातुर्मास आगे भी चलेगा सभी का जैसा सबका साथ,सहयोग मिला है वैसा ही सबका साथ और सहयोग आगे भी मिलेगा। आज महाराज श्री ने सभी संतो की ओर से भी श्रीसंघ से क्षमा याचना की।

उन्होंने कहा कि हम में से भी किसी संत से अगर कोई प्रतिकूल व्यवहार किसी भी श्रावक श्राविका के साथ हुआ हो तो हम भी उनसे क्षमावाणी के इस पर्व पर क्षमा याचना करते हैं महाराज श्री ने कहा कि हम प्रवचन के दौरान कई दृष्टांत और कई उदाहरण देते हैं लेकिन कई बार ऐसा होता है कि वह दिया गया उदाहरण दृष्टांत हम केवल उदाहरण के रूप में देते हैं लेकिन वह किसी न किसी पर सटीक बैठ जाता है जबकि हमारी ऐसी कोई भावना नहीं होती है। जैसे टोपी उछाली जाती है तो वो वह किसी के भी सिर पर जाकर बैठ जाती है।

महाराज श्री ने कहा कि गोचरी के दौरान किसी के घर हम ना पहुंचे हो और उनका दिल दुखा हो, अन्य व्यवहार से मन दुखा हो तो हम सिद्ध भगवान की साक्षी से क्षमा याचना करते हैं। महाराज श्री ने कहा कि श्रीसंघ हमारा माता-पिता है और हमें माफ करेंगे हमें पूरी आशा है। इस अवसर पर आज श्री संघ अध्यक्ष पारसमल सिंघवी के नेतृत्व में श्री संघ की ओर से चातुर्मास प्रारम्भ से आज तक जिन तपस्वियों ने अठ्ठाई से लेकर 31 उपवास की तपस्या की है उन सभी 39 तपस्वियों का बहुमान किया गया।

आज मासक्षमण तपस्या के तपस्वी
कविता सोनी ,शिल्पा बुपकया ,स्नेहलता रुणवाल,
21 उपवास के तपस्वी शीतल रांका,16 उपवास के तपस्वी संयम सुराणा,एवं 33 अट्ठाई के तपस्वियों का श्रीसंघ ने बहुमान किया गया। आज श्रीसंघ ने महाराज श्री के आष्टा आगमन एवं आष्टा से बिहार के दौरान चारो दिशाओं के ग्रामो में महाराज श्री की सेवा करते हैं उन सभी को भी आज आमंत्रित किया गया था

उनमें से आज कोठरी निवासी श्री शैलेंद्र पटेल पूर्व विधायक इछावर, आष्टा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष कैलाश परमार,लसुलड़िया के मानसिंह जी,अरन्डीया निवासी प्रेमसिंह जी सहित अन्य सभी का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर सामूहिक क्षमावाणी कार्यक्रम में गंज मंदिर, किला मंदिर, दादाबाड़ी स्थानक समितियों के प्रमुख पारसमल सिंगी,कैलाश परमार,नगीन जैन एडवोकेट राकेश सुराणा,रविंद्र राका, पवन सुराणा, दिलीप संचेती, ललित बनवट , विजय कोचर ,त्रिलोक वोहरा ,डॉक्टर चंदा वोहरा,अलका रांका ,शैले न्द्र पटेल ने सम्बोधित कर क्षमायाचना की। संचालन -अतुल सुराणा ,अभिषेक सुराणा ने किया।

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