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आष्टा। जो इश्वर रूपी अजेय, अनंत सामर्थ से हमारा परिचय करा दे उसी तत्व का नाम गुरू है। विचार, विवेक, ज्ञान और उसका अभ्यास ही गुरूत्व का प्राकट्य है। इसलिए गुरूत्व का अर्थ है जिसे नित्य, विवेक, विचार और अभ्यास के साथ अनुभव किया जा सके। जैसा भी आप बनना चाहते है उसकी सामर्थ आपके भीतर विद्धमान है, उस असिमित सामर्थ से जो परिचय करा दे उसे ही गुरू कहा गया है।

जय जय गुरुदेव की

इस आशय के उद्गार स्थानीय मानस भवन आष्टा में गुरू भक्तो को संबोधित करते हुए डॉ0 ओमप्रकाश दूबे ने व्यक्त किये। डॉ0 दूबे ने आगे कहा कि लाखो वर्षो की तपस्या के बाद किसी व्यक्ति के भीतर गुरूत्व प्रकट होता है और गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है, गुरू बिना ज्ञान अर्जित नही होता है और बिना ज्ञान के हम परमात्मा की प्राप्ति नही कर सकते। जन्मजन्मांतर के सस्ंकारो के बाद ही सदगुरू की प्राप्ति होती है। जो सच्चे मन से अपने गुरू मे श्रद्धा रखता है वह ज्ञान की प्राप्ति कर जीवन की समस्त विसंगतियो का शमन करता है। गुरू और शिष्य का रिश्ता समर्पण के आधार पर टिका होता है और इस जीवन समर को पार करने के लिए सदगुरू रूपी सारथी का विशेष महत्व होता है।

कु मानविका ने प्रस्तुत की शानदार प्रस्तुति

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थ त्याग कर गुरू के बताये मार्ग पर चलकर समाज कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। गुरूपुर्णिमा भक्ति और कृतज्ञता दोनो के उदित होने का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करती है। प्रभुप्रेमी संघ द्वारा आयोजित इस गुरूपुर्णिमा महोत्सव में सास्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें कु. मानविका परमार ने श्री कृष्ण और राधा के भाव को प्रकट करते हुए कत्थक एवं भरत नाट्यम की विशेष प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में नगर के प्रसिद्ध भजन गायक श्रीराम श्रीवादी, शिव श्रीवादी, सुमित चौरसिया और हीना बैरागी द्वारा एक से बढकर एक प्रस्तुति दी गई जिनका ढोलक पर राजपाल विश्वकर्मा व पैड पर आनंद झाला ने साथ दिया।भजन गायको ने कई भावप्रिय भजनो की प्रस्तुति दीं। श्रवण मास की पुण्य बेला पर भजन गायको ने जय जय भोला भंडारी, भारत मां को समर्पित देश भक्ति गीत जय भारती वंदे भारती की भी प्रस्तुति इस अवसर पर दी गई। प्रेरणा हम अगर शहीदो से नही लेंगे तो आजादी ढलती हुई सांझ हो जाएगी, वीरो को अगर नही पूजा गया तो सच मानिये वीरता बांझ हो जाएगी जैसी पंक्ती को उद्दत करते हुए कोविड काल मे शहीद हुए कोरोना योद्धाओ को श्रंद्धाजलि भी दी गई।

गुरुपूर्णिमा पर उपस्तिथ गुरु भक्त

कार्यक्रम में गीत, नृत्य, छंद व भजनो के माध्यम से गुरूपुर्णिमा महोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ संध के पदाधिकारियो द्वारा स्वामी जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। गुरू भक्तो द्वारा कोविड नियमो का पालन करते हुए पूर्ण अनुशासन में स्वामी अवधेशानंद जी महाराज की चरण पादुका की पूजन भी की गई। तत्पश्चात महाआरती संपादित कर संघ की ओर से प्रसादी का भी वितरण किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधिगण, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओ के प्रतिनिधि, पत्रकारगण भी गुरू भक्तो के साथ उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गोविंद शर्मा द्वारा किया गया।

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